UP Lok Sabha Results 2024 लोकसभा चुनाव में सपा का पीडीए नेरेटिव असरकारक रहा। यूपी में सपा के 86 प्रतिशत सांसद पीडीए यानी पिछड़ा दलित और मुस्लिम वर्ग से चुनकर आए। 37 सीटों में से 20 पर ओबीसी आठ पर एससी और 4 पर मुस्लिम प्रत्याशी जीतकर आए। बड़ी बात यह रही इस बार समाजवादी पार्टी उन सीटों पर भी जीती जो बीजेपी का गढ़ कही जाती हैं।
UP Lok Sabha Results 2024: लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद यह स्पष्ट हो गया कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ा मुकाबला रहा। एग्जिट पोल के अनुमानों के विपरीत उत्तर प्रदेश में बीजेपी को पछाड़कर समाजवादी पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। सपा ने 37 सीटें जीतीं, वहीं बीजेपी को 33 सीटों पर संतोष करना पड़ा। जबकि कई एग्जिट पोल ने तो बीजेपी के पक्ष में बड़े दावे कर दिए थे। लेकिन परिणाम इसके उलट रहा।
लोकसभा चुनाव में सपा का पीडीए नेरेटिव असरकारक रहा। यूपी में सपा के 86 प्रतिशत सांसद पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और मुस्लिम वर्ग से चुनकर आए। 37 सीटों में से 20 पर ओबीसी, आठ पर एससी और 4 पर मुस्लिम प्रत्याशी जीतकर आए। बड़ी बात यह रही इस बार समाजवादी पार्टी उन सीटों पर भी जीती, जो बीजेपी का गढ़ कही जाती हैं। इनमें से सबसे चौंकाने वाला नाम अयोध्या का रहा। अयोध्या में बीजेपी की हार ने हर किसी को चौंका दिया। रामलला के भव्य मंदिर निर्माण का श्रेय लेने वाली बीजेपी को अयोध्या में हार मिली और सपा जीत गई।
अखिलेश की कौनसी रणनीति रही कारगर?
अखिलेश यादव शुरू से ही रोजगार, युवाओं पर फोकस रखा। साथ ही उन्होंने बीजेपी से पार पाने के लिए यही सोच रखा था कि कुछ नया ही करना होगा। यही कारण है कि वे समय के साथ नई सोच से एक नया नैरेटिव लेकर आए और यह था 'पीडीए' यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग, जिन पर सपा ने फोकस किया। इससे पहले सपा एमवाई यानी मुस्लिम और यादव फैक्टर पर लंबे समय राजनीति कर रही थी। लेकिन नारा बदला तो परिणाम भी बदले और 2019 के लोकसभा चुनाव में मात्र पांच सीटें जीतने वाली सपा 2024 के चुनाव में 37 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई। वहीं 2019 में 62 सीटें जीतने वाली बीजेपी की 2024 के चुनाव में करीब आधी सीटें कम हो गईं।
पीडीए कैसे रहा असरदार?
अखिलेश की पार्टी सपा ने इस बार 80 सीटों में से 62 सीटों पर चुनाव लड़ा और इसमें से केवल पांच यादव प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे, ये सभी उम्मीदवार मुलायम सिंह परिवार के सदस्य थे। सपा ने पीडीए वर्ग को सीटें देने में तरजीह दी। अखिलेश ने इस बार मुस्लिम और यादव वोटरों के साथ ही वोट शेयर बढ़ाने के लिए पीडीए वर्ग के प्रत्याशियों को भी प्रमुखता से खड़ा किया। वहीं उच्च वर्ग से सनातन पांडे के रूप में ब्राह्मण, रुचि वीरा वैश्य वर्ग से तो वहीं राजीव राय भूमिहर जाति से हैं। वहीं, आनंद भदौरिया और बीरेंद्र सिंह ठाकुर समुदाय से हैं। सपा ने मेरठ और फैजबाद यानी अयोध्या जैसी सामान्य सीटों पर एससी प्रत्याशियों को मैदान में उतारा।
यूपी में पार्टियों का वोट प्रतिशत
अयोध्या में हारे, लेकिन बीजेपी के 'राम' जीते
फैजाबाद में सपा के दलित प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के लल्लू सिंह को 54 हजार से अधिक मतों से पराजित किया। वहीं मेरठ में भी दलित प्रत्याशी सुनीता वर्मा पर सपा ने दांव चला। हालांकि रामायण के 'राम' बीजेपी प्रत्याशी अरुण गोविल से वह थोड़े ही अंतर यानी केवल 10 हजार से कुछ अधिक वोटों से हार गईं। सपा ने ओबीसी वर्ग के 27, अल्पसंख्यक यानी मुस्लिम वर्ग से 4 और आरक्षित सीटों पर 15 दलित प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा।
सपा-कांग्रेस गठजोड़ ने उतारे इतने PDA प्रत्याशी
सपा की 37 सीटों पर जीत हुई, तो वहीं उसकी सहयोगी कांग्रेस पार्टी ने भी इस बार 6 सीटें जीतीं। इनमें कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग से राकेश राठौड़, एससी वर्ग से तनुज पुनिया और इमरान मसूद को मुस्लिम वर्ग से खड़ा किया। इस लिहाज से देखा जाए तो सपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों ने सम्मिलित रूप से ओबीसी वर्ग से 33, एससी से 19 और मुस्लिम वर्ग से 6 प्रत्याशियों को खड़ा किया।