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JHARKHAND: अबकी धनबाद के रण में नहीं दिखेंगे दो चर्चित चुनावी लड़ाके

समरेश सिंह अपने पैतृक गांव चंदनकियारी के देवलटांड़ में कुछ दिनों से हैं। अकलू राम महतो भी अपने गांव चास के चौरा में रह रहे हैं। दोनों ने अपने पुत्र को उतराधिकारी घोषित किया है।

By mritunjayEdited By: Updated: Sun, 17 Mar 2019 12:27 PM (IST)
JHARKHAND:  अबकी धनबाद के रण में नहीं दिखेंगे दो चर्चित चुनावी लड़ाके
JHARKHAND: अबकी धनबाद के रण में नहीं दिखेंगे दो चर्चित चुनावी लड़ाके

बोकारो, बीके पांडेय। अपने जमाने में बोकारो, धनबाद तथा गिरिडीह की राजनीति में गहरी पैठ रखनेवाले दिग्गज नेता समरेश सिंह और अकलू राम महतो इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इस बार इनकी भूमिका सामान्य वोटर की होगी।

बोकारो विधानसभा क्षेत्र का लंबे समय तक प्रतिनिधित्व करनेवाले समरेश सिंह ने वैसे आधिकारिक रूप से इस बात की घोषणा तो नहीं की है, लेकिन वह अपने परिवार के किसी सदस्य को टिकट दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि उन्होंने स्वयं को चुनाव से अलग कर लिया है। इधर अकलू राम महतो ने चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा कर दी है। परिवार की दूसरी पीढ़ी को राजनीति में स्थापित करने के लिए दोनों नेता इस लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं बल्कि वोटर के रूप में मतदान करेंगे। बता दें कि बोकारो से विधायक व मंत्री रह चुके समरेश सिंह अकलू राम महतो की खासी इच्छा लोकसभा पहुंचने की रही है। इसके लिए कई बार दोनों नेताओं ने न सिर्फ दल बदला बल्कि चुनाव क्षेत्र भी बदला, लेकिन किस्मत ने इनका साथ नहीं दिया। 

समरेश पांच बार तो अकलू छह बार लड़ चुके हैं लोकसभा चुनावः दोनों नेता लगभग सभी चुनावों में हिस्सा लेते रहे हैं, केवल तब चुनाव नहीं लड़े जब वे मंत्री रहे हैं। समरेश सिंह ने चार बार धनबाद तथा एक बार गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं। जबकि अकलू राम महतो चार बार धनबाद लोकसभा से, एक बार गिरिडीह व एक बार हजारीबाग लोकसभा से अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। यह पहला मौका है जब दोनों प्रत्याशी नहीं बल्कि वोटर बनकर मतदान करेंगे। 

समरेश सिंह अपने पैतृक गांव चंदनकियारी के देवलटांड़ में कुछ दिनों से हैं। अकलू राम महतो भी अपने गांव चास के चौरा में रह रहे हैं। समरेश सिंह ने संग्राम सिंह और अकलू राम महतो राजेश महतो को अपना उतराधिकारी घोषित किया है। 

समरेश सिंह का राजनीतिक सफर 

1. 1977, 1985,1990, 2000, 2009 में विधानसभा के सदस्य रहे। 

2. 1980, 1995 में वह विधानसभा चुनाव हार गए थे। 

3. धनबाद लोकसभा क्षेत्र से चार बार तथा गिरिडीह से एक बार चुनाव लड़ा।  

4. 2000 में बाबूलाल मरांडी की सरकार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रहे। 

अकलू राम महतो का राजनीतिक सफर 

1. 1980 तथा 1995 में विधानसभा चुनाव जीते। 

2. धनबाद लोकसभा से चार बार और गिरिडीह व हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र से एक बार चुनाव लड़ा। 

 बेरोजगारी समरेश के लिए बड़ा मुद्दा : पूर्व मंत्री समरेश सिंह के लिए चुनाव का मुद्दा देश की सुरक्षा, धनबाद व बोकारो का विकास एवं बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है। इसी बात को ध्यान में रखकर अपना मतदान करेंगे। समरेश ङ्क्षसह का कहना है कि देश की सुरक्षा उनके लिए प्राथमिकता है। उनका कहना है कि यदि परिवार के किसी सदस्य को टिकट मिलेगा तो  ठीक है यदि किसी दल ने टिकट नहीं दिया तो चुनाव लडऩे पर पुनर्विचार भी कर सकते हैं। 

अकलू समाजवादी को देंगे वोट : पूर्व मंत्री अकलू राम महतो के लिए चुनाव का मुद्दा जनतंत्र को बचाना है। अकलू राम महतो का कहना है कि आज धनबल के सामने जनतंत्र हार रहा है। समाजसेवियों के दरवाजे राजनीति की पहुंच समाप्त हो रही है। धनबल व बाहुबल के आधार पर चुनाव जीते जा रहे हैं। मोदी सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ा है। यदि कोई समाजवादी विचारधारा का व्यक्ति चुनाव लड़ेगा तो उन्हें वोट देंगे। कांग्रेस में भी ऐसे उम्मीदवार हो सकते हैं।