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हां ! अच्छा तो है...जरा सरकारी वाला भी देखिए न...; जब मतदाताओं ने सुनाई समस्‍या! किस मुद्दे पर डालेंगे वोट?

Lok Sabha Election 2024 जिन मतदाताओं ने पिछली बार मताधिकार का प्रयोग किया था उनके लिए इस बार भी अंगुली पर स्याही लगवाने से पहले विकास ही मुद्दा है। सड़क की समस्या जुबान पर है तो नाली की परेशानी भी तैर रही है। माननीय को चुनाव के बाद दोबारा चुनाव में देखने की बात जनता के मुंह से आम होती जा रही है पर विकल्प क्या है?

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Fri, 12 Apr 2024 01:23 PM (IST)
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Lok Sabha Chunav 2024:गांधी मैदान से गायघाट की यात्रा के दौरान चुनावी चर्चा करते यात्री।

 अक्षय पांडेय, जागरण पटना। चुनाव से पहले अपने-अपने आंकड़ों के साथ जनता निर्णय लेने को आतुर है। जिन्होंने पिछली बार मताधिकार का प्रयोग किया था, उनके लिए इस बार भी अंगुली पर स्याही लगवाने से पहले विकास ही मुद्दा है। सड़क की समस्या जुबान पर है तो नाली की परेशानी भी तैर रही है।

माननीय को चुनाव के बाद दोबारा चुनाव में देखने की बात जनता के मुंह से आम होती जा रही है, पर विकल्प क्या है? गुरुवार को राजधानी के गांधी मैदान से गायघाट तक बस यात्रा के दौरान यात्रियों ने कई वादे याद दिलाए। सफर खत्म होते-होते बात यहां पर पूरी हुई कि पथ्य तो पुराना चावल ही है।

 गांधी मैदान से दोपहर के एक बजे चिलचिलाती धूप में बस के पहिए घूमने शुरू हुए तो यात्री पसीना पोंछते हुए अपने में ही लीन थे। लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने-कटने की बात शुरू हुई तो साथ बढ़ता गया। मत और मुद्दा जुबान पर आने लगा। चर्चा के पहले साथी सबसे आगे की सीट पर बैठे जगन्नाथ शाह बने।

कहा, मैं पटना में रहता हूं। विकास दिखता है। गलियों में भी काम हुआ है, पर कहीं-कहीं पाइप टूट गया है, जिससे कीचड़ और बाद में सड़क खराब हो रही। जगन्नाथ की बात खत्म होने से पहले बगल में बैठीं बेबी देवी जुड़ गईं। कहा- सड़क कहां खराब है, पटना तो अच्छा है। विद्यालय बेहतर हैं।

छात्रा प्रीति का बस पर वैसे तो किसी से परिचय नहीं था, पर विकास की बात करते-करते उनकी कुछ महिला जरूर मित्र बनती दिखीं। प्रीति ने कहा- सही बोला, रोड तो चमचमा रही है। मुख्य मुद्दा तो स्कूल का है। निजी खूब फलफूल रहा, सरकारी का हाल देखना चाहिए। पहली बार वोट देंगी, पर कहती हैं कि समस्या कितनी भी हो, पुराना वाला ही ठीक है।

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सरकारी विद्यालयों का हाल सुधरे

बस की पीछे वाली सीट पर बैठकर सबको निहार रहे शिवनाथ महतो को आवास योजना का लाभ नहीं मिलने की टीस है। कहते हैं, हम तो अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में ही पढ़ाते हैं। कम पैसा लगता है। सरकार को स्कूलों का जीर्णोद्धार करना चाहिए।

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उमाशंकर पहले वाले वक्ता की बात को काटते हुए बोलते हैं, अच्छे कार्य कितने हुए हैं यह भी बताएं बंधू। वह पूछते हैं कि अगर विकास नहीं हुआ तो इस बार वोट किसे देंगे? जवाब मिलता है, बहुत पलटीबाजी चल रही है, पहले वाला ही ठीक है।

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