Lok Sabha Election 2024: इस सीट पर छिड़ी युवा बनाम बुजुर्ग की जंग, जनता की अदालत में उतरे पूर्व जज; जानिए समीकरण
West Bengal Lok Sabha Election 2024 बंगाल की चुनावी लड़ाई में एक सीट ऐसी है जहां नौजवान बनाम युवा की जंग है। यहां से भाजपा ने बुजुर्ग एवं अनुभवी पूर्व जज को चुनावी मैदान में उतारा है तो टीएमसी और माकपा ने युवा चेहरों पर भरोसा जताया है। इस बीच चुनाव में स्थानीय मुद्दे भी हावी हो रहे हैं। पढ़िए इस सीट का पूरा समीकरण।
तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। पूर्व मेदिनीपुर जिले का तमलुक संसदीय क्षेत्र यूं तो धान, पान और फूलों की उपज के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इस बार मतदाताओं के सामने उलझन युवा बनाम बुजुर्ग में किसी को चुनने की है। मतदाताओं के सामने भाजपा उम्मीदवार के तौर पर जहां जस्टिस अभिजीत गांगुली जैसे बुजुर्ग हैं तो टीएमसी के देवांग्शु भट्टाचार्य और माकपा के सायन बनर्जी जैसे नवयुवक।
स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इस क्षेत्र को ताम्रलिप्त भी कहा जाता है। इस संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत सात विधानसभा क्षेत्र तमलुक, पांशकुड़ा पूर्व, मोयना, नंदकुमार, महिषादल, हल्दिया और नंदीग्राम आते है। 1952 से 1977 तक इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व सतीश सामंत जैसे स्वतंत्रता सेनानी ने किया। 1998 से 2009 तक यह सीट माकपा के लक्ष्मण सेठ के पास रही।
2009 में खुला टीएमसी का खाता
साल 2009 और 2014 में इस सीट से टीएमसी के सुवेंदु अधिकारी विजयी हुए। 2016 में उनके इस्तीफे के बाद उनके भाई दिव्येंदु अधिकारी टीएमसी के टिकट से यहां से निर्वाचित हुए। इस बार टीएमसी ने यहां से देवांशु भट्टाचार्य तो माकपा ने सायन बनर्जी जैसे नवयुवक को अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने जस्टिस अभिजीत गांगुली जैसे प्रमुख हस्ती को मैदान में उतार दिया है।बाहरी उम्मीदवार
ऐसे में तमलुक संसदीय क्षेत्र में चुनाव मैदान में कुल 9 उम्मीदवार हैं। एसयूसीआई उम्मीदवार नारायण चंद्र नायक कहते हैं कि क्षेत्र के ज्यादातर बड़े दलों के उम्मीदवार बाहरी हैं। उन्हें जनता की समस्याएं तो दूर क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के बारे में भी न्यूनतम जानकारी नहीं है।
बाढ़ और जल भराव सबसे बड़ी समस्या
क्षेत्र के तकरीबन सभी प्रखंड बाढ़ और जल भराव की समस्या से ग्रस्त रहते हैं। घाटाल मास्टर प्लान की जद में यहां के दो प्रखंड हैं। सरकारी नीतियों के चलते लंबे समय से यहां की नहरों का संस्कार नहीं हो पाया है। जिससे समस्या बारिश के दिनों में विकराल रूप धारण कर लेती है।फूल और पान यहां की प्रमुख फसलें
फूल और पान यहां की प्रमुख फसलें हैं लेकिन उन्हें केंद्र सरकार से मान्यता नहीं मिलने से ना तो किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल पाता है और ना ही नुकसान का मुआवजा। फसलों के भंडारण, बाजार और अनुसंधान केंद्र भी यहां नहीं है, जिससे किसानों को बड़ी परेशानी होती है।ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: चुनाव आयोग ने पकड़ी 8889 करोड़ के मूल्य की ड्रग्स, कैश और शराब जैसी वस्तुएं, जब्ती में गुजरात अव्वल