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Lok Sabha Election 2024: जिस मुद्दे से सुर्खियों में आईं ममता, वह चुनावी चर्चा से गायब, पार्टियों ने क्यों बनाई दूरी?

West Bengal Lok Sabha Election 2024 पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जिस आंदोलन के जरिए सुर्खियों में आईं थीं वह मुद्दा इस बार के चुनावी परिदृश्य से गायब है। राज्य के इससे पहले के हर चुनावों में जोर-शोर से इस मुद्दे को उठाया जाता था लेकिन इस बार पार्टियां अपने चुनावी प्रचार में दूसरे मुद्दों पर ज्यादा जोर दे रही हैं। पढ़िए बंगाल के चुनावी अभियान पर खास रिपोर्ट...

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Fri, 17 May 2024 06:05 PM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: पिछले चुनावों में सिंगुर की घटना विपक्ष के लिए प्रधान मुद्दा रहता था।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। राज्य के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में नारी अत्याचार की घटनाओं ने इस बार के चुनाव में सिंगुर जैसे मुद्दे को फीका कर दिया है। आमतौर पर देखा गया है कि वर्ष 2009 से अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं उनमें सिंगुर की घटना विपक्ष के लिए प्रधान मुद्दा बना रहता था।

इस बार जिस प्रकार से संदेशखाली में टीएमसी नेताओं द्वारा महिलाओं के यौन शोषण व जमीन हड़पने की घटनाएं सुर्खियों में आई हैं, उसके बाद से सभी राजनीतिक दल सिंगुर की घटनाओं को छोड़कर संदेशखाली को पकड़ लिया है। सिंगुर हुगली लोकसभा संसदीय क्षेत्र के अंर्तगत है।

चुनावी प्रचार से गायब

देखा गया है कि शनिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एवं रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हुगली लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार किए। इन दोनों ने कई बार अपने भाषण में संदेशखाली की घटनाओं का जिक्र किया। लेकिन सिंगुर की घटनाओं पर ऐसा कुछ भी नहीं कहा जो कि प्रत्येक चुनाव में ये कहते थे।

वर्ष 2006 में जब वाम मोर्चा ने 235 सीटें जीतकर सूबे में सरकार बनाई थी, उस समय के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने सिंगुर में टाटा मोटर्स के कारखाना बनाने का एलान किया था। उस समय कृषि भूमि अधिग्रहण करके कारखाना बनाने का ममता बनर्जी ने जोरदार आंदोलन किया था। तब से राज्य में जितने भी निर्वाचन हुए उनमें सिंगुर का मुद्दा सुर्खियों में रहता था।

संदेशखाली है मुद्दा

हालांकि, इस बार टीएमसी, भाजपा एवं माकपा के नेता सिंगुर को छोडक़र संदेशखाली पर ही बोलते दिख रहे हैं। इस दौरान संदेशखाली में हर दिन कोई न कोई घटना हो रही है। संदेशखाली सिर्फ बंगाल में ही नहीं पूरे देश में एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन गया है। पिछले कुछ दिनों के दौरान संदेशखाली को लेकर कई प्रकार के वीडियो भी आ चुके हैं। दोनों पक्षों द्वारा इस पर तरह-तरह के दावे किए जा रहे हैं।

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सिंगुर आंदोलन से सुर्खियों में आई थीं ममता

राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस सिंगुर आंदोलन के जरिए ही सुर्खियों में आई थी। सिंगुर से टाटा के चले जाने के बाद से कारखाने के पक्ष में भाजपा एवं माकपा एक सुर में टीएमसी को कोसने में लगे थे। जबकि ममता भी अनिच्छुक किसानों के पक्ष में खड़ी थी। टीएमसी के सत्ता में आने के बाद राज्य में कई चुनाव हुए। सिंगुर की घटनाओं को सभी राजनीतिक दलों ने अपना चुनावी मुद्दा बनाया था। लेकिन इस बार के चुनाव में सिंगुर का मसला मुद्दों से बाहर ही नजर आ रहा है।

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