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Chunavi किस्‍सा: 'आप सरकार हैं, खुद पता कर लो', जब संसद में भिड़ गईं थीं भिवानी की सांसद; क्‍या था मामला?

Lok Sabha Election 2024 दवाओं में मिलावट खोरी का मुद्दा 1978 में संसद में उठा था। इस मामले में सरकार को जवाब तक देना पड़ा था। मुद्दा इतना गर्मया था कि भिवानी की तत्कालीन सांसद चंद्रावती संसद में भिड़ गई थीं। दवाओं में मिलावट करने वालों के खिलाफ कड़े कानून की मांग उठाई गई थी। चंद्रावती ने पूछा था कि क्या सरकार नियम पूरा न करने वालों की जांच कराएगी।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 09 Apr 2024 07:06 PM (IST)
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Lok Sabha Election 2024: पुराना संसद भवन।

अमित पोपली, झज्जर l उन दिनों मिलावटखोरों की तरह नकली दवाओं के मामले में भी पर्याप्त सजा नहीं मिल पाती थी। सदन में उस दिन सांसद मुरली मनोहर जोशी ने सवाल पूछते हुए कहा, क्या यह सच नहीं है कि यह दवा विदेश से पूरी छूट देकर यहां भेजी गईं और उन लाइसेंस धारियों के द्वारा भेजी गईं जो यहां कपड़े और आचार मुरब्बे के आयात का काम करते थे?

इसे केंद्रीय मंत्री जनेश्वर मिश्र ने स्वीकार करते हुए कहा कि सरकार के पास जो रिपोर्ट एजेंसियों से आईं, अब उसके अनुसार 1977 में कोई ऐसी दवा नहीं आईं, जिसकी मियाद तीन साल से कम हो।

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सदन में उठी यह बात 21 फरवरी 1978 की है। जब मुद्दा उठा, दवाइयों के आयात करने में मल्टी नेशनल कंपनियों ने बहुत बड़ी मात्रा में छूट दी है, इसलिए कि वह सबस्टैंडर्ड है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्धारित जीवनरेखा के अनुसार तीन वर्ष समाप्त होने के दो तीन माह पहले तक आयात की गईं ताकि वे कानूनी शिकंजे से बच जाए।

भिवानी की सांसद ने पूछा था सवाल

भिवानी से सांसद चंद्रावती के प्रश्न पर मंत्री ने कहा कि अब इंपोर्ट लाइसेंस देते हुए ध्यान दिया जाता है कि लाइसेंस धारी ड्रगिस्ट या केमिस्ट हो। चंद्रावती ने एतराज जताते हुए पूछा कि क्या सरकार नियम पूरा न करने वालों की जांच कराएगी।

आपके पास सरकार है, खुद से पता करें

मंत्री द्वारा किसी केस विशेष से जुड़ी बात पूछे जाने पर चंद्रावती ने प्रतिक्रिया दी-हम थोड़े ही बताएंगे? आपके पास सरकार है, खुद से पता लगाएं। वैसे मंत्री ने इस बात का उल्लेख किया कि सितंबर 1977 से नियंत्रण लगा दिया गया है, अब केवल वहीं पार्टियां बल्क ड्रग्स मंगवा सकती जो यहां से दवाएं भेजती है।

भारतीय दंड विधान में संशोधन की उठी बात...

स्वस्थ समाज से जुड़े विषय पर गंभीरता से हो रही चर्चाओं के बीच भारतीय दंड विधान में संशोधन तक यहां पर बात उठीं। सदन में एक सांसद ने सवाल उठाते हुए कहा कि औषधियों में मिलावट की बीमारी ने देश में गंभीर रूप धारण कर लिया है।

कड़े कानून से ही रुकेगी ये बीमारी

एक आदमी अगर किसी को जान से मार डालता है तो फांसी या आजीवन कारावास की सजा होती है। मिलावटी दवाओं से सैकड़ों लोगों की जान जाती है। यह बीमारी कड़ा कानून बनाने से ही रुक सकती है।

दवाइयों में जो मिलावट करेगा या जिसके यहां मिलावट पाई जाएगी, उन लोगों को आजीवन कारावास और मृत्युदंड तक की सजा दी जाएगी, ऐसी व्यवस्था हो। इसे स्वीकार करते हुए विषय को कानून मंत्रालय को रेफर कर दिया गया।

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