Lok Sabha Election 2024 एनडीए से गठबंधन के साथ ही जदयू की ताकत में इजाफा होता है। साल 2014 लोकसभा चुनाव में जदयू ने भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया था। इसका असर यह हुआ कि पार्टी सिर्फ दो सीटों पर सिमट गई थी। मगर 2019 का लोकसभा चुनाव जदयू ने भाजपा के साथ लड़ा था। इससे पार्टी का ग्राफ 16 सीटों तक पहुंच गया था।
By Jagran News NetworkEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Tue, 19 Mar 2024 12:00 AM (IST)
भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का जनता दल यूनाइटेड (JDU) को पूरा फायदा मिलता है। यही वजह है कि पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार 18 सालों से मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हैं। वर्ष 2005 से वह लगातार बिहार के मुख्यमंत्री हैं। बीच में कुछ समय के लिए उन्होंने स्वेच्छा से जीतनराम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था। कभी एनडीए तो कभी महागठबंधन की मदद से नीतीश लगातार मुख्यमंत्री हैं। जदयू इस 'वन मैन शो' के साथ बिहार में दमखम के साथ बने हुए हैं।
लोकसभा चुनाव व विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो एनडीए के साथ रहने पर जदयू के नए रिकॉर्ड बने हैं। बात 2019 के लोकसभा चुनाव की है। उस चुनाव में जदयू की जुगलबंदी भाजपा के साथ थी। जदयू को 16 लोकसभा सीटों पर जीत मिली थी और भाजपा को 17 सीटों पर। जदयू के इन आंकड़े ने इसे लोकसभा में देश के सातवें सबसे बड़े दल के रूप में स्थापित किया।
गठबंधन टूटते ही JDU धड़ाम
साल 2014 में जदयू ने भाजपा के साथ 17 साल पुराना रिश्ता तोड़ लिया था। जदयू ने तब भाकपा के साथ मिलकर बिहार में चुनाव लड़ा और परिणाम यह रहा कि 20 से सिर्फ दो सीटों पर सिमट गई। इनमें एक सीट तो नीतीश कुमार के गढ़ नालंदा की थी और दूसरी पूर्णिया की। वहीं भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर 32 सीटें जीतीं। इस बड़े झटके के बाद नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा तक दे दिया था।
2009 में कितनी सीटें जीती जदयू?
साल 2009 में जदयू ने लोकसभा का चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा था। उस चुनाव में एनडीए को 32 सीटें मिली थीं। जदयू की 20 और भाजपा की 12 सीटों पर जीत हुई थी।इतना ही नहीं, एनडीए के साथ रहने पर जदयू की ताकत बिहार के विधानसभा चुनाव में भी दिखती है। जदयू ने 2005 में बिहार विधानसभा का चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ा। जदयू ने 139 सीटों पर चुनाव लड़ा, इसमें 88 पर उसे जीत मिली।
भाजपा ने 102 सीटों पर प्रत्याशी उतारे। 55 पर उसे जीत मिली। जदयू पूरी ताकत से बिहार में स्थापित हुआ। उसी चुनाव में राजद को 175 में मात्र 54 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बिहार से तब राजद के 15 वर्षों के शासन काल की विदाई हो गई थी।
2010 विस चुनाव में 27 फीसदी बढ़ा था वोटबैंक
जदयू की ताकत 2010 के विधानसभा चुनाव में बिहार में और बढ़ गई। जदयू ने 141 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसे 115 सीटों पर जीत मिली थी। उसके वोट में 27 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। तब भाजपा को 102 में 91 सीटें ही मिली थीं। जदयू बिहार में बड़े भाई के रूप में स्थापित हो गया था।
2015 और 2020 विस चुनाव में घटा आंकड़ा
साल 2015 में जब महागठबंधन में शामिल होकर जदयू ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा तो उसे 71 सीटें मिलीं। साल 2020 विधानसभा चुनाव में जदयू को 115 में केवल 44 सीटों पर जीत मिली। हालांकि, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बने। बाद में नीतीश महागठबंधन में चले गए फिर उनकी एनडीए में वापसी हुई। अब इस साल का लोकसभा चुनाव जदयू पुन: एनडीए के घटक के रूप में लड़ रहा। जदयू का साथ भाजपा के लिए भी महत्व का रहा है। भाजपा को नीतीश कुमार की विकास से जुड़ी इमेज का लाभ मिलता है।
लोकसभा में प्रदर्शन
2014 लोकसभा चुनाव
दल |
सीटों पर जीत |
जदयू |
02 |
भाजपा एवं सहयोगी |
32 |
2019 लोकसभा चुनाव
पार्टी |
जीते प्रत्याशी |
जदयू |
16 |
भाजपा |
17 |
विधानसभा में प्रदर्शन
2005 विधानसभा
दल |
उतारे प्रत्याशी |
जीत |
जदयू |
139 |
88 |
भाजपा |
102 |
55 |
राजद |
175 |
54 |
2010 विधानसभा चुनाव
दल |
उतारे प्रत्याशी |
जीत |
जदयू |
141 |
115 |
भाजपा |
102 |
91 |
2015 और 2020 विधानसभा चुनाव
विधानसभा चुनाव |
दल |
उतारे प्रत्याशी |
जीत |
2015 |
जदयू |
101 |
71 |
2020 |
जदयू |
115 |
44 |
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