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कौन हैं मायावती की सियासी जमीन संभालने में जुटे आकाश आनंद; जिनके मंच पर आते ही लगते हैं जोशीले नारे

सफेद शर्ट व नीली पैंट के साथ स्पोर्ट्स शूज गले में नीले रंग में हाथी के निशान वाला सफेद पटका उनकी पहचान बन रहा है और उनके वोट बैंक को रास भी आ रहा है। यही वजह है कि उनके मंच पर आते ही जोशीले नारे लगने लगते हैं-‘आकाश तुम संघर्ष करो...।’ क्‍या आप जानते हैं कि कौन हैं मायावती की सियासी जमीन संभालने जुटे आकाश आनंद...

By Ajay Jaiswal Edited By: Deepti Mishra Updated: Wed, 24 Apr 2024 01:18 PM (IST)
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Lok Sabha Chunav 2024: युवा तेवर से ‘बहन जी’ की सियासी जमीन संभाल रहे आकाश।
 अजय जायसवाल, लखनऊ। बसपा के लिए यह चुनाव महज जीत की जंग ही नहीं, बल्कि उत्तराधिकारी के नेतृत्व की परीक्षा भी है। बसपा प्रमुख मायावती के भतीजे आकाश आनंद इस बार अपनी बुआ से कहीं अधिक सक्रिय हैं और अपने युवा तेवर से एक दशक से ‘बहन जी’ की खिसकती सियासी जमीन को थामने की कोशिश में जुटे हैं।

उनकी पहली चुनौती काडर में जान फूंकने की है और अब तक के चुनाव को आधार बनाया जाए तो इसमें काफी हद तक सफल भी रहे हैं। सफेद शर्ट व नीली पैंट के साथ स्पोर्ट्स शूज, गले में नीले रंग में हाथी के निशान वाला सफेद पटका उनकी पहचान बन रहा है और उनके वोट बैंक को रास भी आ रहा है। यही वजह है कि उनके मंच पर आते ही जोशीले नारे लगने लगते हैं-‘आकाश तुम संघर्ष करो...।’

कौन है आकाश आनंद?

आकाश आनंद बसपा सुप्रीमो मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे हैं। आकाश ने लंदन के बड़े कॉलेज से एमबीए की डिग्री हासिल की है। आकाश पिछले कई सालों से पार्टी में एक्टिव थे, यूथ को जोड़ने के लिए आकाश ने हाल में हुए तीन राज्यों के विधासनभा चुनाव की जिम्मेदारी संभाली थी।

बहुजन समाज को लेकर डॉ. आंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए कांशीराम की राजनीतिक विरासत संभालने वाली मायावती ने पिछले वर्ष 10 दिसंबर को 29 वर्षीय भतीजे आकाश को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाए जाने की घोषणा की थी।

मायावती ने चार दशक पुरानी बसपा की कमान भतीजे को सौंपने की घोषणा जरूर चार माह पहले की, लेकिन आकाश लगभग सात वर्ष से अपनी बुआ का साया बन राजनीति का ककहरा सीख रहे थे।

पहली बार सहारनपुर में आए थे नजर

लंदन से एमबीए किए आकाश पहली बार वर्ष 2017 में सहारनपुर हिंसा के मद्देनजर मायावती के दौरे में उनके साथ दिखे थे। पिछले लोकसभा चुनाव से पहले 12 जनवरी, 2019 को सपा से बसपा के गठबंधन के साक्षी भी आकाश रहे हैं। तब चुनाव प्रबंधन की कमान संभालते हुए आकाश मेरठ में मायावती की रैली के मंच पर दिखे थे।

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आयोग द्वारा मायावती के प्रचार पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद आकाश ने पहली बार आगरा में रैली को संबोधित किया था। आकाश पार्टी पदाधिकारियों की बैठकों में भी बुआ के साथ रहे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद मायावती ने पहली बार आकाश को बसपा के नेशनल कोऑर्डिनेटर (राष्ट्रीय समन्वयक) का दायित्व सौंपा था। इसके बाद से आकाश राज्यों के विधानसभा चुनावों में लगातार सक्रिय रहे।

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उत्तर प्रदेश में आकाश ने अपनी रैलियों की शुरुआत नगीना से की। चश्मा लगाए, एक कान में टॉप्स पहने आकाश की हेयर स्टाइल में बसपा समर्थकों को ‘बहन जी’ की झलक दिखती है।

फुर्तीले अंदाज में रैलियों के मंच पर पहुंचते ही हाथ हिलाकर गर्मजोशी से अभिवादन, बुआ की तरह कागज पर लिखे भाषण को पढ़ने के बजाय पोडियम पर आईफोन और आईपैड का सहारा, जय भीम नारे के साथ पहले टैबलेट देख आराम से भाषण... । यह बसपा का नया युग है, जिसमें इंटरनेट मीडिया का भी स्थान है।

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रैलियों में आकाश चुनावी बांड को सबसे बड़ा भ्रष्टाचार बताते हुए कहते है-‘बीएसपी ही है जो इस घोटाले में नहीं है क्योंकि बीएसपी राजनीति की दुकान नहीं है, ये मिशन है बाबा साहेब के सपनों का भारत बनाने का।’ अपने काडर में जान फूंकने की कोशिश में आकाश खुद बताते हैं कि ‘कुछ लोग कहते हैं कि बसपा का हाथी रुका है, किसी दबाव में है, लेकिन कार्यकर्ता विश्वास रखें कि हाथी चल रहा और पूरी ताकत से जीतेगा।’

आसान नहीं ‘हाथी’ की सेहत सुधारने की राह

आकाश का आगाज भले ही प्रभावी है, लेकिन उनके लिए देशभर में ‘हाथी’ की सेहत सुधारने की राह आसान नहीं है। पिछले चुनाव में यूपी से 10 सांसदों के अलावा किसी भी दूसरे राज्य में न पार्टी का कोई सांसद जीता और न ही उल्लेखनीय वोट मिले।

पार्टी ने 26 राज्यों में चुनाव जरूर लड़ा था, लेकिन उसे आधे राज्यों में एक प्रतिशत भी वोट नहीं मिले। सात में दो प्रतिशत से कम जबकि चार राज्यों में तीन-चार प्रतिशत वोट ही पार्टी को मिले थे।

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