Women's Day Special: राजनीति में नारी की 'कागजी' भागीदारी... आधी आबादी के सच से रूबरू कराती यह खबर
Women s Day 2024 Specialआप को जानकर हैरानी होगी कि मौजूदा समय में दिल्ली एनसीआर की 13 लोकसभा सीटों में से केवल दिल्ली की एक सीट पर ही महिला सांसद हैं। नई दिल्ली सीट से मीनाक्षी लेखी को अलग कर दिया जाए तो अन्य एक भी सीट पर महिला सांसद नही हैं। राजनीति में महिलाओं की दशा बताने के लिए दिल्ली-एनसीआर का उदाहरण ही काफी है।
वी के शुक्ला, नई दिल्ली। यूं तो देश की महिलाएं राजनीति के उच्च शिखर तक पहुंच चुकी हैं, लेकिन उन्हें राजनीति में वह सम्मान आज तक नही मिल सका है, जिसकी वह हकदार हैं। और तो और देश की राजधानी में जहां देश की संसद है और जहां से देश की सरकार चलती उस दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में भी राजनीति में महिलाओं की भागीदारी की स्थिति अच्छी नहीं है।
आप को जानकर हैरानी होगी कि मौजूदा समय में दिल्ली एनसीआर की 13 लोकसभा सीटों में से केवल दिल्ली की एक सीट पर ही महिला सांसद हैं। नई दिल्ली सीट से मीनाक्षी लेखी को अलग कर दिया जाए तो अन्य एक भी सीट पर महिला सांसद नहीं हैं। राजनीति में महिलाओं की दशा बताने के लिए दिल्ली-एनसीआर का उदाहरण ही काफी है।
बेशक महिलाओं को लेकर 1998 से लंबित कानून को संसद से पास करा दिया गया है, जिसमें महिलाओं की 33 प्रतिशत की हिस्सेदारी की बात की गई है, लेकिन राजनीति में महिलाओं स्थिति अभी भी ठीक नहीं है।
दिल्ली-एनसीआर में कितनी महिला प्रत्याशी?
एनसीआर में 13 लोकसभा सीटें आती हैं। दिल्ली में प्रत्याशियों के नाम की घोषणा शुरू हो गई है, इसमें से गठबंधन में चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी ने सात में से अपने हिस्से की चार सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं, मगर एक भी महिला को टिकट नहीं दिया है। जबकि भाजपा ने घोषित किए गए पांच सीटों के प्रत्याशियों में से दो महिलाओं को टिकट दिया है।
कांग्रेस गठबंधन में बची हुई तीन सीटों में से किसी सीट पर महिला प्रत्याशी उतारेगी, अभी ऐसा कुछ दिख नहीं रहा है। एनसीआर क्षेत्र की अन्य सीटों पर भी किसी दल द्वारा महिलाओं को उतारे जाने की संभावना नहीं दिख रही है। ऐसे में साफ तौर पर कहा जा सकता है कि राजनीति में कागजों में ज्यादा, जमीन पर कम हिस्सेदारी है। हालांकि, उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में महिलाओं की राजनीति में भागीदारी बढ़ेगी।
महिलाओं की भागीदारी में भारत पीछे!
अपेक्षा की जाती है कि भारत वर्ष 2030 तक संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिका की 1.6% की तुलना में 6.8% की दर से विकास करेगी, लेकिन भारत के इस आशाजनक आर्थिक विकास के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था राजनीति में महिलाओं की भागीदारी अभी भी अनुरूप गति नहीं पा सकी है।
हाल के समय में भारतीय चुनावों में मतदान के मामले में एक आश्चर्यजनक बदलाव दिखाई पड़ा है। देश में महिला मतदाताओं द्वारा मतदान में वृद्धि हुई हैइस परिदृश्य में राजनीति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की राह में मौजूद बाधाओं को दूर करना समय की मांग है। लैंगिक समता प्राप्त करने के लिए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि महिलाओं को राजनीति में भाग लेने का समान अवसर मिले, नीति निर्माताओं, नागरिक समाज संगठनों और आम जनता को मिलकर कार्य करना होगा।