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MP Election 2023: विकास भरपूर फिर भी संकरी गलियों में घूमने को मजबूर गृहमंत्री, बोले- दतिया में विकास के कार्यों की लंबी लिस्ट है जिस पर...

बेशरम रंग जैसे फिल्मी गानों से लेकर धर्मांतरण वाले विज्ञापन पर बयान देने वाले मप्र के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का पिछला कार्यकाल जितना रोचक रहा है उतना ही रोचक उनके विधानसभा क्षेत्र दतिया का चुनावी माहौल हो रहा है। जैसा हम फिल्मों में देखते हैं यहां चुनाव भी वैसा ही लड़ा जा रहा है। वहां भी झिलमिल रोड लाइट् गलियां सजाई गईं थीं।

By Paras PandeyEdited By: Paras PandeyUpdated: Sat, 11 Nov 2023 07:23 AM (IST)
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विकास भरपूर फिर भी संकरी गलियों में घूमने को गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा

वीरेंद्र तिवारी, दतिया। बेशरम रंग जैसे फिल्मी गानों से लेकर धर्मांतरण वाले विज्ञापन पर बयान देने वाले मप्र के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का पिछला कार्यकाल जितना रोचक रहा है उतना ही रोचक उनके विधानसभा क्षेत्र दतिया का चुनावी माहौल हो रहा है। जैसा हम फिल्मों में देखते हैं, यहां चुनाव भी वैसा ही लड़ा जा रहा है। हाईवे स्थित भाजपा के नवनिर्मित भव्य कार्यालय से दतिया की तंग गलियों तक बिखरा प्रचार का ‘वैभव’ बता रहा है कि यहां चुनाव टशन का भी है।

छोटी सी झलक यह है कि मिश्रा के जनसंपर्क के दौरान छोटा बाजार की जिन संकरी गलियों में गलबहियां करते दो व्यक्ति भी नहीं चल पा रहे थे, वहां भी झिलमिल रोड लाइट् गलियां सजाई गईं थीं। बरात में नजर आने वाली रंग-बिरंगी आतिशबाजी लगातार बरस रही थी। गली-गली में सजे छोटे-छोटे टेंट में हर वैरायटी की मिठाइयां इतनी मौजूद थीं कि जितना मन करे खाएं। यह तब है जब नरोत्तम मिश्रा के खाते में दतिया में विकास के कार्यों की लंबी लिस्ट है। 

क्षेत्र में विकास दिखाई देता है, लेकिन जिस बड़े स्तर पर मिश्रा इस बार चुनाव लड़ रहे हैं, वह बताता है कि उन्हें भी इस बात का अहसास है कि बड़ी जीत के लिए बड़ा संघर्ष जरूरी है। मिश्रा की राह आसान करने के लिए केंद्रीय मंत्री एसपी बघेल सभा में दतिया वालों को विश्वास दिला गए हैं कि आप विधायक चुनकर भेजो हम इन्हें अब गृहमंत्री से ऊपर वाला पद (.. शायद मुख्यमंत्री) देंगे।

अब लोग असमंजस में हैं कि मुख्यमंत्री के आखिर कितने दावेदार हैं। उनके मुकाबले कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र भारती का प्रचार फीका नजर आता है लेकिन कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में अंडर करंट महसूस किया जा सकता है। राजेंद्र उनके परंपरागत प्रतिद्वंद्वी हैं। 

गांव में असल चुनौती 

दतिया शहर से इतर जब मैंने ग्रामीण इलाकों की नब्ज टटोली तो समझते देर नहीं लगी कि गृहमंत्री अपने प्रचार में इतनी ताकत क्यों लगा रहे हैं। गांव उनके लिए असल चुनौती हैं। ग्रामीण पोलिंग से वह पिछली बार हारे थे। ग्वालियर से दतिया जाते वक्त दस किमी पहले बाएं हाथ पर उपराय पंचायत है।

गाड़ी इसी ओर मोड़ दी। हाईवे से गांव तक डामर की सड़क मिली,स्कूल भी नया,अस्पताल भी, लेकिन इस गांव से नरोत्तम मिश्रा को कांग्रेस के मुकाबले आटे में नमक बराबर वोट मिलते आए हैं। जितने भी लोग मिले, अधिकांश ने उनके बाहुबल के बारे में बताया। शहर में यदि नरोत्तम दादा दयालु हैं तो इस गांव की नजरों में बाहुबली।

लोग बताते हैं कि गांव में किसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि कांग्रेस को कार्यालय खोलने के लिए अपने घर की गैरेज तक किराए पर दे दे, इतना क्यों दबाना? हालांकि पास में ही स्थित सूरजपुर पंचायत के हनुमान मंदिर के चबूतरे पर अन्य लोगों से साथ बैठे तीन बार के पूर्व सरपंच की राय में इस बार स्थिति बदल रही है।

कहते हैं- पिछले पांच सालों में मंत्रीजी कई बार गांव आए और सड़क बनाने का वादा भी कर गए हैं इसलिए कांग्रेस इस पंचायत क्षेत्र से अब पिछड़ सकती है। दोनों पंचायतों में कुल साढ़े तीन हजार वोटर हैं, रोचक यह है कि 2018 में जीत-हार ही कुल ढाई हजार वोटों से हुई थी।

संकेत साफ है इन गांवों में स्थिति गृहमंत्री के लिए चुनौतीपूर्ण है। हालांकि सोनागिर, सिमरौली, बड़ौनी के लोग भाजपा और गृहमंत्री रहते नरोत्तम मिश्रा के किए विकास कार्यों की तारीफ करते मिले। बसई जहां से जीत की आधारशिला नरोत्तम ने रखी थी इस बार कांग्रेस पूरा जोर वहां लगा रही है। मिश्रा का पूरा परिवार भी स्थिति साधने के लिए घर-घर दस्तक दे रहा है।