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MP Election 2023: 30 सीट और 10 फीसद से ज्यादा वोट, इन क्षेत्रों में निर्दलीय ऐसे बिगाड़ते रहे हैं भाजपा-कांग्रेस का खेल

मध्य प्रदेश में निर्दलीय उम्मीदवारों ने कई मौकों पर बड़े राजनीतिक दलों (भाजपा-कांग्रेस) का सियासी समीकरण बिगाड़ा है। कुछ उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़कर अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हैं। हालांकि चुनाव बाद भाजपा या कांग्रेस का दामन थामते हुए देखा गया है। इस चुनाव में कई उम्मीदवारों को पार्टियों ने टिकट नहीं दिया जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान किया है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Thu, 19 Oct 2023 11:26 PM (IST)
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पिछले चुनावों में निर्दलियों ने बिगाड़ा है भाजपा-कांग्रेस का खेल (फाइल फोटो)

ऑनलाइन डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में निर्दलीय उम्मीदवारों ने कई मौकों पर बड़े राजनीतिक दलों (भाजपा-कांग्रेस) का सियासी समीकरण बिगाड़ा है। दरअसल, भाजपा और कांग्रेस से नाराज होकर कुछ नेता निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भर चुनावी मैदान में किस्मत आजमाते हैं और कई दफा पूरा खेल बिगाड़ देते हैं।

विगत तीन विधानसभा चुनाव के आंकड़ों पर गौर करें तो 30 से अधिक सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को कुल वोट में से 10 फीसद से ज्यादा मत मिले हैं। साल 2008 के विधानसभा चुनाव में 62 सीटों पर उम्मीदवारों के खाते में 10 फीसद से ज्यादा वोट आए, जबकि तीन निर्दलीय को तो चुनावी सफलता भी हासिल हुई थी। टोटल वोट का तकरीबन छह फीसद निर्दलीय उम्मीदवारों के पक्ष में गया था।

कुछ उम्मीदवार निर्दलीय चुनाव लड़कर अपनी ताकत का प्रदर्शन करते हैं। हालांकि, चुनाव बाद भाजपा या कांग्रेस का दामन थाम लेते हैं, लेकिन चुनाव पूर्व इन उम्मीदवारों पर पार्टियों की भी नजर रहती है। इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने कई ऐसे नेताओं को उम्मीदवार बनाया है, जिन्होंने पिछले चुनाव में निर्दलीय लड़कर कड़ी टक्कर दी थी।

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'टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय लड़ेंगे चुनाव'

मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा के लिए 17 नवंबर को मतदान होगा और 3 दिसंबर को वोटों की गिनती होगी। ऐसे में कई नेता ऐसे भी हैं, जिन्हें भाजपा और कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया है। जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का एलान किया है। जिसकी वजह से राजनीतिक दलों की मुश्किलें बढ़ गई हैं और कार्यकर्ता नाराज बताए जा रहे हैं। हालांकि, पार्टी पदाधिकारी लगातार इन नेताओं को मनाने में जुटे हुए हैं।

पिछले तीन विधानसभा चुनावों के आंकड़ों पर गौर करें तो कम से कम तीन निर्दलीय उम्मीदवार विधानसभा पहुंचने में सफल हुए हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में अंबाह, ग्वालियर दक्षिण, बमोरी, खरगापुर, बांधवगढ़, जबलपुर उत्तर, पनागर, बालाघाट, पथरिया, जबेरा, नागोद, मऊगंज, सिहावल, सिंगरौली, पंधाना, बुरहानपुर, महेश्वर, भगवानपुरा, बड़वानी, बदनावर, बारासिवनी, सिलवानी, सीहोर, राजगढ़, सुसनेर,शाजापुर, खंडवा, महिदपुर, उज्जैन दक्षिण ,सैलाना, जावरा, गरोठ और जावद से निर्दलियों को 10 फीसद से ज्यादा मत मिले हैं।

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कहां के निर्दलियों को मिले 10 फीसद से ज्यादा वोट

साल 2013 के विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो ग्वालियर ग्रामीण, सेवढ़ा, छतरपुर, मलहरा, पन्ना, देवसर, मानपुर, लांजी, सिवनी, गाडरवारा, रामपुर बघेलान, मऊगंज, देवतालाब, गुढ़, सीहोर, सुसनेर, शुजालपुर, हरसूद, बड़वाह, जोबट, मनावर, इंदौर-एक, महिदपुर, बड़नगर, रतलाम सिटी, मंदसौर, मनासा, नीमच और जावद के निर्दलियों को 10 फीसद से ज्यादा मत मिले थे।