MP Election 2023: MP में बीजेपी ने उतारी बुजुर्ग नेताओं की फौज, 70 पार कर चुके 14 नेताओं को टिकट; सबसे ज्यादा की उम्र 80 साल
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में वोटिंग होने में अब महज कुछ ही दिन शेष हैं। राज्य में 17 नवंबर को मतदान डाले जाएंगे। सत्ता को बरकरार रखने के लिए बीजेपी एड़ी-चोटी का दम लगा रही है और पार्टी इसमें कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसी को देखते हुए बीजेपी ने राज्य में अपने भारी भरकम राष्ट्रीय नेताओं को मैदान में उतारा है।
पीटीआई, भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में वोटिंग होने में अब महज कुछ ही दिन शेष हैं। राज्य में 17 नवंबर को मतदान डाले जाएंगे। सत्ता को बरकरार रखने के लिए बीजेपी एड़ी-चोटी का दम लगा रही है और पार्टी इसमें कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। इसी को देखते हुए बीजेपी ने राज्य में अपने भारी भरकम राष्ट्रीय नेताओं को मैदान में उतारा है।
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी तीन केंद्रीय मंत्रियों और एक पार्टी महासचिव सहित सात सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़वा रही है। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद तूफानी दौरे और रैलियां कर रहे हैं।
कांग्रेस से आगे रहने के लिए बीजेपी ने अपनाई रणनीति
इस चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस से आगे रहने के लिए हर वो रणनीति अपनाई है, जो उसे मध्य प्रदेश में जीत दिला सके। यही कारण है कि भगवा पार्टी ने अपने 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को टिकट ना देने की रणनीति में बदलाव किया है। इस चुनाव में पार्टी ने 70 साल से ज्यादा उम्र के 14 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिनमें सबसे उम्रदराज 80 साल के उम्मीदवार हैं। वहीं, विपक्षी कांग्रेस ने 9 सत्तर साल से ज्यादा उम्र के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
कर्नाटक की हार से पार्टी ने लिया सबक
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि बीजेपी ने यह फैसला कर्नाटक में मिली बुरी हार की वजह से किया है। दरअसल, कर्नाटक चुनाव में पार्टी ने शीर्ष नेतृत्व ने अपने सीनियर नेताओं से दूरी बनाकर रखी थी, जिसमें 67 साल के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टर और 74 साल के पूर्व उप मुख्यमंत्री केएस ईश्वरप्पा शामिल थे। इसकी जगह पार्टी ने युवा उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा था।
नागौद सीट से 80 साल के नागेंद्र सिंह को टिकट
मध्य प्रदेश में बीजेपी ने 80 साल के पूर्व मंत्री नागेंद्र सिंह नागोद को सतना जिले के नागौद विधानसभा और 79 साल के नागेंद्र सिंह को रीवा जिले के गुढ़ विधानसभा सीट से मैदान में उतारा है। वहीं गुढ़ से आम आदमी पार्टी ने अमेरिका से नौकरी छोड़कर आए 25 साल के युवा प्रखर प्रताप सिंह को प्रत्याशी बनाया है।
इन बुजुर्ग नेताओं की मिला टिकट
इसके अलावा बीजेपी ने दमोह से 76 साल के जयंत मलैया, अशोक नगर जिले के चंदेरी विधानसभा सीट से 75 साल के जगन्नाथ सिंह रघुवंशी, नर्मदापुरम जिले के होशंगाबाद से 73 साल के सीताशरण शर्मा, अनुपपुर सीट से 73 साल के बिसाहूलाल सिंह, ग्वालियर पूर्व से 73 साल के माया सिंह को चुनावी मैदान में उतारा भी हैं।
ये नेता भी लिस्ट में शामिल
वहीं, राजगढ़ जिले के खिलचीपुर विधानसभा सीट से हजारीलाल दांगी, नर्मदापुरम के सिवनी-मालवा से प्रेमशंकर वर्मा, शहडोल जिले के जैतपुर से जयसिंह मरावी, रेहली से गोपाल भार्गव, सागर जिले, जबलपुर के पाटन से अजय विश्नोई, श्योपुर सीट से दुर्गालाल विजय और बालाघाट से गौरी शंकर बिसेन बीजेपी से वो उम्मीदवार हैं जिनकी उम्र 70 साल से अधिक है।
पिछले चुनावों में बीजेपी ने नहीं दिया था टिकट
बता दें कि साल 2016 में सरताज सिंह (तब 76 वर्ष) को कथित तौर पर उम्र ज्यादा होने के कारण शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट से बाहर कर दिया गया था। वहीं, सरताज सिंह को साल 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने टिकट नहीं दिया था। पिछले चुनाव में तत्कालीन मंत्री कुसुम महदेले (अब 80 वर्ष) को भी टिकट देने से मना कर दिया गया था।
कांग्रेस के 9 उम्मीदवार 70 पार
जबकि, कांग्रेस ने 70 से ज्यादा उम्र के नौ उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इसमें सबसे उम्रदराज 77 साल के प्रत्याशी हैं। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने नीमच जिले के मनासा से 77 साल के नरेंद्र नाहटा, छिंदवाड़ा से 76 साल के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, बदनावर से 73 साल के भंवर सिंह शेखावत, अमरपाटन से 73 साल के राजेंद्र कुमार सिंह, होशंगाबाद से 73 साल के गिरजाशंकर शर्मा (73), गोविंद को मैदान में उतारा है।
बीजेपी ने नहीं दिया था आडवाणी और जोशी को टिकट
बीजेपी का 75 साल के अधिक उम्र के नाताओं को मैदान में उतारना हैरान करने वाला फैसला है क्योंकि साल 2019 में तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि पार्टी ने 75 से ऊपर के लोगों को लोकसभा चुनाव के टिकट नहीं देने का फैसला किया है। इस फैसले की वजह से ही लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गज नेताओं को चुनाव में टिकट नहीं दिया गया था।
दरअसल, बीजेपी इस बार सत्ता में बने रहने के लिए आजमाए और परखे हुए बुजुर्ग नेताओं पर ज्यादा भरोसा कर रही है कि वो चुनाव जीतकर पार्टी की सरकार बनवाने में मदद करेंगे।
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