MP Election 2023: व्यापम के कई किरदार विधानसभा चुनाव में भाग्य आजमाने को तैयार; चल रहा आरोप-प्रत्यारोप का वार
MP Election 2023 व्यापमं की सीबीआइ जांच के बाद बहुत सारे किरदार जेल से बाहर आ गए हैं। अब वे अपना सारा ध्यान विधानसभा चुनाव 2023 पर लगा रहे हैं। संजीव सक्सेना एक बार फिर भोपाल के दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से दावेदारी कर रहे हैं। सक्सेना ने 2008 में पहली बार इसी सीट से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था।
By Jagran NewsEdited By: Narender SanwariyaUpdated: Wed, 06 Sep 2023 05:00 AM (IST)
भोपाल, धनंजय प्रताप सिंह। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार भी व्यापमं घोटाले के कई किरदार अपना भाग्य आजमाने की तैयारी कर रहे हैं। संजीव सक्सेना कांग्रेस से जुड़े हैं और भोपाल दक्षिण-पश्चिम से 2013 का चुनाव भी लड़ चुके हैं। अब एक बार फिर टिकट की दावेदारी में जुटे हैं। घोटाले के मुख्य सरगना रहे डा. जगदीश सगर भी बसपा की टिकट लेकर गोहद से चुनावी तैयारी कर रहे हैं। व्यापमं घोटाले को सामने लाने और लड़ाई लड़ने वाले व्हिसिल ब्लोअर्स भी चुनावी राजनीति में शामिल होने को तैयार हैं। व्यापमं मामले में व्हिसिल ब्लोअर की भूमिका निभाने वाले पारस सकलेचा कांग्रेस और डा. आनंद राय भारत राष्ट्र समिति से राजनीति में सक्रिय हैं। मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल लाने वाले व्यापमं घोटाले की आग अब तक ठंडी नहीं हो पा रही। अभी भी व्यापमं घोटाले के नाम पर आरोप-प्रत्यारोप चलता रहता है।
इधर, व्यापमं की सीबीआइ जांच के बाद बहुत सारे किरदार जेल से बाहर आ गए हैं। अब वे अपना सारा ध्यान विधानसभा चुनाव 2023 पर लगा रहे हैं। संजीव सक्सेना एक बार फिर भोपाल के दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से दावेदारी कर रहे हैं। सक्सेना ने 2008 में पहली बार इसी सीट से बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था। तब वे 26002 वोट से भाजपा से हारे थे। दूसरी बार कांग्रेस के टिकट पर दक्षिण-पश्चिम भोपाल से वर्ष 2013 का चुनाव पूर्व मंत्री और भाजपा नेता उमाशंकर गुप्ता के खिलाफ लड़ चुके हैं।
इस चुनाव में 18,198 वोट से हारे। वर्ष 2018 के चुनाव में व्यापमं घोटाले में फंसे होने के कारण कांग्रेस ने टिकट नहीं दी थी। पिछले चुनाव में इस सीट से कांग्रेस के पीसी शर्मा ने भाजपा को पराजित किया था। व्यापम के आरोपियों में शूमार रहे सक्सेना को वनरक्षक भर्ती मामले में क्लीनचिट मिल चुकी है। उधर, व्यापमं घोटाले के मुख्य सरगना रहे डा.जगदीश सगर भी बसपा का दामन थामने घूम रहे हैं।
वर्ष 2018 में सगर ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत की थी और बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर भिंड जिले के गोहद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। इसके बाद वे निष्क्रिय हो गया पर चुनाव आते ही फिर टिकट के लिए प्रयासरत हैं। उनके के खिलाफ मेडिकल प्रवेश परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर सैकडों की संख्या में फर्जी अभ्यर्थियों को एमबीबीएस में प्रवेश दिलाने का आरोप है।
प्रवर्तन निदेशालय ने सगर के खिलाफ मनी लांड्रिंग का केस भी दर्ज किया है। व्यापमं घोटाले की लड़ाई लड़ने वाले व्हिसिल ब्लोअर्स भी विधानसभा चुनाव की टिकट पाने की दौड़ में शामिल हैं। व्हिसिल ब्लोअर की भूमिका निभाने वाले पारस सकलेचा ने कांग्रेस से वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस से टिकट मांगा था। वे रतलाम विधानसभा से एक बार निर्दलीय विधायक रह चुके हैं। युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता के चलते सकलेचा महापौर भी रह चुके हैं।
इस बार फिर वे कांग्रेस से टिकट के लिए प्रयास कर रहे हैं। डा.आंनद राय ने भी लंबे समय से सियासत में सक्रिय हैं। पहले वे कांग्रेस में थे और राज्य सभा सदस्य विवेक कृष्ण तन्खा के करीबी हुआ करते थे। पिछले चुनाव में उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वे जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन (जयस) के साथ मिलकर राजनीति करते रहे। पिछले दिनों से वे तेलंगाना की पार्टी भारत राष्ट्र समिति में सक्रिय रहकर ओबीसी सहित अन्य छोटे दलों को एक मंच पर लाकर गठबंधन बनाने के प्रयास में हैं।