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MP Election 2023: MSME बदल सकती है MP की तस्वीर, युवा वोट बैंक के लिए शिवराज सरकार ने बनाया यह प्लान

MP Election 2023 सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का विस्तार सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध कराने का माध्यम बन सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि सरकार इसे प्राथमिकता में ले और वो सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएं जो छोटे उद्योगों के लिए वातावरण बनाने का काम करें। इसके साथ-साथ ग्रामीण कुटीर उद्योग पर भी फोकस करना होगा। स्थानीय स्तर पर इसको लेकर काफी संभावनाएं भी हैं।

By Prince SharmaEdited By: Prince SharmaUpdated: Sat, 09 Sep 2023 05:30 AM (IST)
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MP Election 2023: MSME बदल सकती है MP की तस्वीर, युवाओं को लेकर बनाया यह प्लान

भोपाल, सौरभ सोनी। कम लागत और बड़ा काम। यही वो तरीका है जो अर्थव्यवस्था को गति देकर मध्य प्रदेश की तस्वीर बदल सकता है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) का विस्तार सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध कराने का माध्यम बन सकता है। इसके लिए आवश्यक है कि सरकार इसे प्राथमिकता में ले और वो सभी सुविधाएं उपलब्ध कराएं जो छोटे उद्योगों के लिए वातावरण बनाने का काम करें।

सरकार भी इसी दिशा में आगे बढ़ रही है। 194 औद्योगिक क्षेत्र केवल एमएसएमई के लिए बनाए गए हैं और 22 क्लस्टर को स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें 1,300 इकाइयां स्थापित होने और 5,400 करोड़ रुपये का निवेश संभावित है। इससे 50 हजार लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा।

अभी तक दो लाख सात हजार एमएसएमई इकाइयों को पंजीकृत किया है। इनमें 14.4 लाख नौकरियां उत्पन्न करने की क्षमता है। इसके साथ-साथ ग्रामीण कुटीर उद्योग पर भी फोकस करना होगा। स्थानीय स्तर पर इसको लेकर काफी संभावनाएं भी हैं।

इन मुद्दों पर भी विचार करें सरकार

छोटे उद्योग और स्वरोजगार योजना में सब्सिडी के रूप में दिया जाने वाली सहायता बंद है। शहर से लगे औद्योगिक क्षेत्रों में जगह नहीं है। ऐसे में अधिकांश पूंजी जमीन खरीदने में चली जाती है। एमएसएमई के लिए औद्योगिक क्षेत्र की कमी है। टैक्स एक बड़ा मुद्दा हैं। निवेशक उद्योग विभाग और नगर निगम को भी टैक्स देता हैं। निगम को बिल्डिंग परमिशन शुल्क भी देना होता है।

फंडिंग सोर्स अच्छे नहीं हैं। बैंकों का रवैया सकारात्मक नहीं है। योजनाएं हैं, लेकिन लाभ लेने में व्यवहारिक कठिनाइयां आती हैं। मप्र में अन्य राज्याें की अपेक्षा पेट्रोल-डीजल का मूल्य अधिक है। इसका उद्योगों पर अधिक असर पड़ता है। खाद्यान्न की पर्याप्त व्यवस्था है, लेकिन फूड प्रोसेसिंग की व्यवस्था नहीं है।

छह ग्लोबल इन्वेस्टर समित में मिले ये निवेश प्रस्ताव

छह ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में मिले निवेश प्रस्ताव आयोजन स्थल व समय-

निवेश प्रस्ताव- राशि (करोड़ रुपये में) 

  1. इंदौर, अक्टूबर 2007 - 102- 1,20,621
  2. खजुराहो, अक्टूबर 2010 - 109- 2,37,789 
  3. इंदौर, अक्टूबर 2012- 425- 1,67,551 
  4. इंदौर जीआइएस अक्टूबर 2014- 3,160- 4,27,259 
  5. इंदौर जीआइएस अक्टूबर 2016- 2,635- 5,17,269 
  6. इंदौर जीआइएस जनवरी 2023- 6,957- 15,42,550

धरातल पर केवल 3.47 लाख करोड़ का आया पूंजी निवेश आयोजन

  1. जीआइएस अक्टूबर 2007 - 26,165.35 करोड़ रुपये- 7,240
  2. जीआइएस अक्टूबर 2010 - 24883.91 करोड़ रुपये- 13,447 
  3. जीआइएस अक्टूबर 2012- 26929.76 करोड़ रुपये- 1,02,425 
  4. जीआइएस अक्टूबर 2014- 59136.39 करोड़ रुपये- 13,863 
  5. जीआइएस अक्टूबर 2016- 197647.8039 करोड़ रुपये- 27,462 
  6. जीआइएस जनवरी 2023- 32,597.66 करोड़ रुपये- 92,723

निर्यात का 49 प्रतिशत एमएसएमई से निकलता है।

विशेषज्ञ की राय एमएसएमई इकोनॉमी का ड्राइवर है। सबसे बड़ा रोजगार देने वाला है और निर्यात का 49 प्रतिशत एमएसएमई से निकलता है। एमएसएमई के विकास के लिए यह सही समय है। इस क्षेत्र में अभी जो निवेश करेगा, वह आने वाले 25 साल में बहुत आगे जाएगा।

ईज आफ डुइंग बिजनेस में काफी काम हुआ है, लेकिन अभी बहुत सारे औद्योगिक क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर उतनी इंडस्ट्री नहीं आई हैं, जैसे कि रायसेन जिले का औद्योगिक क्षेत्र में तामोट।

प्रयास यह होना चाहिए कि दूसरे देशों से जो इंडस्ट्री निकल रही है, उन्हें हम मध्य प्रदेश में न्यौता दें। जैसे चाइना और यूरोप में श्लो डाउन आ गया है। यहां से बहुत सी इंडस्ट्रियां निकल रही है। यह बहुत अच्छा मौका है, जब हम अपने आप की मार्केटिंग करें और बताएं कि हमारे यहां बहुत अच्छा इको सिस्टम है।

सरकार इस ओर प्रयास कर रही है, लेकिन जितने उद्योग आने चाहिए थे उतने नहीं आए हैं- राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष एसोसिएशन ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज मंडीदीप

मध्य प्रदेश में स्टार्टअप

भारत सरकार के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआइआइटी) पंजीकृत स्टार्टअप - 2,787 - महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप-1,243, मप्र के छोटे से छोटे उत्पाद काे जीआइ टैग दिलाने के प्रयास मध्य प्रदेश से अधिकांश उत्पादों को जीआइ टैग दिलाने भी प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें आदिवासियों की पांरपरिक औषधियों, खाद्यान्न और उनकी कलात्मक वस्तुओं को प्राथमिकता दी जाएगी।

जीआइ टैग सबसे अधिक दक्षिण भारत के हैं। मध्य प्रदेश सरकार का प्रयास है कि प्रदेश के छोटे से छोटे उत्पाद को जीआइ टैग मिले। वर्तमान में मध्य प्रदेश में 21 उत्पादों को जीआइ टैग मिला है। मध्य प्रदेश के एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) की ब्रांडिंग की जा रही है। इसके लिए अलग से एक सेल गठित किया गया है।