MP Election 2023: अगर NOTA नहीं होता तो BJP का हारी सीटों पर भी चलता जादू, अबकी फिर चुनौती बनेंगे ये मतदाता
MP Election 2023 भारतीय जनता पार्टी ने अपनी चौथी सूची में 57 प्रत्याशियों की घोषणा की। इनमें से 24 मंत्री और बाकी विधायक हैं। भाजपा 11 सीटों में उन नाराज मतदाताओं के कारण हारी थी जिन्होंने नोटा को वोट दिया था। ऐसी सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के विजयी प्रत्याशी के बीच हार-जीत के अंतर से ज्यादा नोटा को वोट मिले थे।
By Prince SharmaEdited By: Prince SharmaUpdated: Fri, 13 Oct 2023 05:30 AM (IST)
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। भारतीय जनता पार्टी ने अपनी चौथी सूची में 57 प्रत्याशियों की घोषणा की। इनमें से 24 मंत्री और बाकी विधायक हैं। पार्टी ने इस सूची में उन विधायकों को भी वापस मैदान में उतार दिया है जिनके खिलाफ स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं में रोष और एंटी इनकमबैंसी थी।
पार्टी को शायद 2018 के परिणाम याद नहीं रहे, भाजपा 11 सीटों में उन नाराज मतदाताओं के कारण हारी थी, जिन्होंने 'नोटा' को वोट दिया था। ऐसी सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के विजयी प्रत्याशी के बीच हार-जीत के अंतर से ज्यादा 'नोटा' को वोट मिले थे।
कहीं न कहीं इसके लिए वहीं पुराने परंपरागत चेहरे भी एक वजह मानी गई थी। राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि ये वोट भाजपा से ही नाराज थे इसलिए उन्होंने कांग्रेस का साथ न देकर नोटा को विकल्प के रूप में चुना।
बता दें, कि 230 सदस्यों वाली मप्र विधानसभा में भाजपा को 109, कांग्रेस को 114, बसपा को दो, सपा को एक और निर्दलीय के खाते में चार सीटें गई थीं। पिछले चुनाव परिणामों के विश्लेषण में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। इन 11 सीटों पर यह मान लिया जाए कि मतदाताओं की नाराजी अथवा प्रत्याशियों के प्रति निराशा न होती तो वर्ष 2018 में प्रदेश की सियासी तस्वीर कुछ और ही होती।
यह भी पढ़ें- 'देश के लिए भगवान का वरदान हैं PM मोदी', CM शिवराज बोले- मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार का चेहरा हैं कमलनाथइनमें से यदि आधी सीटों पर ही 'नोटा' का असर न पड़ता अथवा वह वोट भाजपा के खाते में चला जाता तो प्रदेश में कांग्रेस के बजाय चौथी बार फिर भाजपा की सरकार ही बन जाती। 'नोटा' ने बदल दिए परिणाम ब्यावरा में कांग्रेस प्रत्याशी 826 वोट से जीते, जबकि नोटा में 1481 मत गिरे। दमोह में पूर्व वित्तमंत्री जयंत मलैया 798 मतों से हारे और नोटा में 1299 वोट निकले।