MP Election 2023: चुनावी मैदान में किस्मत आजमा रहे नौकरशाह; अब तक कितनों को मिली सफलता, हारने पर किसकी बच गई नौकरी?
MP Assembly Election 2023 मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में नेताओं के साथ-साथ नौकरशाह भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। बंडा से भाजपा उम्मीदवार शिक्षक की नौकरी से इस्तीफा देकर चुनावी मैदान में उतरे हैं तो वहीं पंचायत विभाग से अधिकारी भी नरयावली विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी बनने को तैयार हैं। सागर जिले में यह चौथी बार है जब किसी शासकीय कर्मी को राजनीतिक दल द्वारा अपना प्रत्याशी घोषित किया गया है।
By Jagran NewsEdited By: Deepti MishraUpdated: Mon, 16 Oct 2023 06:49 PM (IST)
विष्णु सोनी, सागर। MP Assembly Election 2023: पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव में नेताओं के साथ-साथ नौकरशाह भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। बंडा से भाजपा उम्मीदवार शिक्षक की नौकरी से इस्तीफा देकर चुनावी मैदान में उतरे हैं तो वहीं पंचायत विभाग से अधिकारी भी नरयावली विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी बनने को तैयार हैं।
सागर के चुनावी इतिहास में सरकारी नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ने वालों के नतीजों की बात की जाए तो अब तक इस तरह के दो प्रत्याशी विधायक निर्वाचित हुए हैं।
चौथी बार शासकीय कर्मी को बनाया प्रत्याशी
विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने के साथ ही भाजपा ने जिले में अपने प्रत्याशियों की घोषणा पहले ही कर दी थी। इसमें बंडा विधानसभा क्षेत्र से शिक्षक वीरेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया है।वीरेंद्र सिंह ने अपनी शासकीय नौकरी से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन दिया था, जो स्वीकार कर लिया गया है। जिले में यह चौथी बार है, जब किसी शासकीय कर्मी को राजनीतिक दल द्वारा अपना प्रत्याशी घोषित किया गया हो।
किन-किन सीटों पर प्रत्याशी घोषित?
बता दें कि राज्य में राजनीतिक घमासान शुरू हो चुका है। पहले भाजपा और फिर कांग्रेस ने सागर की चार सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जिले के बंडा क्षेत्र से भाजपा ने शिक्षक वीरेंद्र सिंह को प्रत्याशी एक माह पूर्व ही घोषित कर दिया है।
इधर, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के आजीविका मिशन में सहायक विकासखंड प्रबंधक के पद पर पदस्थ लीलाधर अहिरवार भी चुनाव के लिए विभाग को अपना त्यागपत्र दे चुके हैं, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। लीलाधर नरयावली से विधायक का चुनाव लड़ने वाले हैं।
कौन है वीरेंद्र सिंह?
भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह बंडा के लंबरदार परिवार से आते हैं और पेशे से शिक्षक हैं। वीरेंद्र के स्वर्गीय पिता शिवराज सिंह लोधी दमोह लोकसभा से सांसद और बड़ामलहरा विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं। वीरेंद्र से पहले उनके बड़े भाई रामरक्षपाल सिंह भी भाजपा के टिकट पर साल 2008 में बंडा से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन वह 1925 वोटों से कांग्रेस के नारायण प्रजापति से हार गए थे।विश्वविद्यालय से सबसे अधिक प्रत्याशी
डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में नौकरी करते हुए चुनाव लड़ने वालों की संख्या सबसे अधिक है। यहां से लक्ष्मीनारायण यादव और प्यारेलाल चौधरी विधायक बन चुके हैं। वहीं डॉ. अशोक अहिरवार नरयावली विधानसभा और जनता दल के टिकट पर डॉ. बद्री प्रसाद जैन भी चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी। बता दें कि सागर में सबसे पहले साल 1977 में विश्वविद्यालय में कर्मचारी रहे लक्ष्मीनारायण यादव को सुरखी विधानसभा से जनता पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था। वह जीते भी और मंत्री भी बने थे। इसके बाद, साल 1998 में विश्वविद्यालय में कार्यरत प्यारेलाल चौधरी कांग्रेस से चुनाव लड़े और जीतकर विधानसभा पहुंचे।ये शिक्षक चुनाव लड़े और ...
सागर के इतिहास में अब यह चौथी बार है, जबकि कोई शासकीय कर्मचारी विधानसभा चुनाव के मैदान में है। चुनाव लड़ने के लिए अपनी नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा। बता दें कि दो ऐसे उम्मीदवार भी मैदान में सामने आए जो चुनाव तो नहीं जीत पाए, लेकिन अपनी शासकीय नौकरी बचाए रखी। दरअसल, विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षा विभाग के शिक्षकों को चुनाव में लड़ने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने की अनिवार्यता नहीं है। इसी का लाभ लेते हुए साल 1990 में जनता दल से विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. बद्री प्रसाद जैन ने चुनाव लड़ा और साल 1998 में नरयावली विस क्षेत्र से डॉ. अशोक अहिरवार ने भाजपा से चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही चुनाव हार गए, लेकिन उनकी नौकरी बरकरार रही। यह भी पढ़ें - MP Election 2023: 'मैं सिंहासन पर बैठकर आनंद उठाने वाला CM नहीं हूं, सेवा करने वाला हूं' शहडोल में बोले शिवराजयह भी पढ़ें - MP Election 2023: मेरे बेटे ने खुद जेपी नड्डा को चिट्ठी लिख उम्मीदवारी पर विचार न करने का किया अनुरोध- कैलाश विजयवर्गीय