MP Election 2023: गजब है इस जिले की सियासत, अबतक नहीं मिला महिला नेतृत्व; कांग्रेस दे चुकी है दो मौके
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाए जाने को लेकर देश में अक्सर बहस होती है। लेकिन हालात यह है कि वर्तमान में कोई भी राजनीतिक दल ऐसा नहीं है जो महिलाओं को 15 प्रतिशत भी टिकट देता हो। हम राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को लेकर इसलिए बात कर रहे हैं। क्योंकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसमें मिजोरमतेलंगाना मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ राजस्थान शामिल हैं।
By Siddharth ChaurasiyaEdited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Fri, 20 Oct 2023 06:30 PM (IST)
जागरण न्यूज नेटवर्क, राजगढ़/भोपाल। राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाए जाने को लेकर देश में अक्सर बहस होती है। लेकिन हालात यह है कि वर्तमान में कोई भी राजनीतिक दल ऐसा नहीं है, जो महिलाओं को 15 प्रतिशत भी टिकट देता हो। हम राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को लेकर इसलिए बात कर रहे हैं। क्योंकि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसमें मिजोरम, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान शामिल हैं।
महिलाओं को टिकट देने के मामले में भाजपा फिसड्डी
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में राजगढ़ ऐसा जिला है, जहां पर आजादी के बाद से अब तक कोई भी महिला सदन तक नहीं पहुंच सकी है। हालांकि, अब देखना यह है कि 2023 के चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल से कोई महिला राजगढ़ के चुनावी मैदान में उतरती है या नहीं। आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि अब तक हुए चुनावों में कांग्रेस ने दो बार महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भाजपा इस मामले में पूरी तरह से अब तक फिसड्डी साबित हुई है। भाजपा ने किसी भी महिला को राजगढ़ के चुनावी मैदान में नहीं उतारा है।
राजगढ़ जिले की कुल पांच विधानसभा सीटों के लिए मतदाताओं की संख्या 11 लाख 52 हजार 47 है। जिसमें से महिला मतदाताओं की तादात भी 5 लाख 63 हजार 340 है। जबकि पुरुषों की तादात 5 लाख 88 हजार 696 है। पुरुषों के समकक्ष महिला मतदाता होने के बावजूद राजगढ़ जिले से अब तक एक भी महिला सदन तक नहीं पहुंच सकी। इसके पीछे मुख्य कारण यह भी है कि कांग्रेस ने सिर्फ दो ही बार महिलाओं को उम्मीदवार बनाया है तो भाजपा ने अब तक किसी भी महिला को मौका नहीं दिया।
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महिलाओं को टिकट देने में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस आगे
महिलाओं को टिकट देने के मामले में भाजपा के मुकाबले कांग्रेस एक कदम आगे है। कांग्रेस द्वारा पहला प्रयोग 20 वर्ष पहले 2003 के चुनाव में किया था। उस समय सारंगपुर से तत्कालीन विधायक कृष्ण मोहन मालवीय का टिकट काटकर पार्टी ने मीना मालवीय को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन वह चुनाव जतीने में सफल नहीं रही।इसके बाद कांग्रेसने ही उसी सारंगपुर विधानसभा सीट से दूसरी बार 2018 में प्रयोग करते हुए जिला पंचायत सदस्य कला मालवीय को मैदान में उतारा था, लेकिन वह भी चुनाव जीतने में सफल नहीं रही और करीब 4 हजार 381 वोटों से हार गई। इस बार दोनों राजनैतिक दलों द्वारा महिलाओं को तवज्जो दी जाती है या नहीं यह पांचों सीटों के टिकट वितरण के बाद ही स्प्ष्ट हो सकेगा।यह भी पढ़ें: MP Assembly Election 2023: राजनीति का वो चाणक्य, जिसने दुनिया को अलविदा कहा तो कफन भी नसीब नहीं हुआ