MP Election 2023: OBC राजनीति की कोशिश कांग्रेस को नहीं दे रही फायदा, BJP का ये दांव कर रह बड़ा उलटफेर
ओबीसी को अवसर देने में भाजपा हमेशा कांग्रेस से आगे रही है। विधायकों की संख्या हो या कैबिनेट में मौजूदगी या फिर मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री का पद सभी जगह पर भाजपा कांग्रेस पर भारी पड़ती है। कांग्रेस को निरुत्तर करने के लिए भाजपा ओबीसी को अवसर देने के आंकड़े सामने रख देती है।
धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ ने एक बार फिर दोहराया है कि हमारी पार्टी की सरकार बनने पर वह जातिवार गणना कराएंगे, लेकिन ओबीसी वर्ग को अधिक अवसर देने का दावा कांग्रेस के लिए राजनीतिक लाभ देने के बजाय उलटा ही पड़ जाता है।
दरअसल, ओबीसी को अवसर देने में भाजपा हमेशा कांग्रेस से आगे रही है। विधायकों की संख्या हो या कैबिनेट में मौजूदगी या फिर मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री का पद, सभी जगह पर भाजपा कांग्रेस पर भारी पड़ती है। कांग्रेस को निरुत्तर करने के लिए भाजपा ओबीसी को अवसर देने के आंकड़े सामने रख देती है।
27 प्रतिशत आरक्षण का वादे के साथ कांग्रेस मैदान में
जातिगत समीकरण के दलदल में धंसती मध्य प्रदेश की सियासत पर ओबीसी कार्ड का खासा प्रभाव दिखाई पड़ रहा है। भाजपा इसमें पहले से बढ़त बनाए हुए है, जबकि कांग्रेस जातिवार गणना के साथ 27 प्रतिशत आरक्षण के वादे के साथ चुनावी मैदान में है।
विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 66 तो कांग्रेस ने 64 ओबीसी प्रत्याशियों को मौका दिया है। महिला आरक्षण में ओबीसी के लिए अलग से आरक्षण की मांग का असर कांग्रेस के टिकट वितरण में नहीं दिखा है। भाजपा ने छह, कांग्रेस ने पांच ओबीसी महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है।
भाजपा के तीन मुख्यमंत्री ओबीसी वर्ग से
भाजपा के तीन मुख्यमंत्री उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सिंह चौहान ओबीसी वर्ग से हैं। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, प्रदेश के मंत्री भूपेंद्र सिंह, सांसद गणेश सिंह से लेकर कई चेहरे हैं। इधर, कांग्रेस के पास एक चेहरा अरुण यादव हैं, लेकिन वह भी उपेक्षित हैं।
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