MP Election 2023: चुनाव में नाम वापस लेने का आज आखिरी दिन, भाजपा-कांग्रेस कर रहीं बागियों को मनाने की कोशिश
MP Election 2023 मध्य प्रदेश में इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावों से पहले सभी पार्टियों के बीच घमासान मचा हुआ है। वहीं आज चुनाव में नाम वापस लेने का आज आखिरी दिन है। प्रत्याशी दोपहर तीन बजे तक अपना नाम वापस ले सकते हैं। इसके बाद से मुकाबले की स्थिति साफ हो सकेगी।
ऑनलाइन डेस्क, इंदौर (मध्य प्रदेश)। MP Election 2023: मध्य प्रदेश में इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनावों (madhya pradesh election 2023) से पहले सभी पार्टियों के बीच घमासान मचा हुआ है। वहीं, आज चुनाव में नाम वापस लेने का आज आखिरी दिन है। प्रत्याशी दोपहर तीन बजे तक अपना नाम वापस ले सकते हैं। इसके बाद से मुकाबले की स्थिति साफ हो सकेगी।
BJP और कांग्रेस ने की बागी नेताओं से चर्चा
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों का दावा है कि उनके वरिष्ठ नेताओं ने बागियों से चर्चा कर ली है और नाम वापस लेने के लिए उन्हें मना लिया है। हालांकि दोपहर बाद ही स्पष्ट होगा कि पार्टियों के दावे की वास्तविकता क्या है।
इंदौर में बगावत के आधार पर देखें तो भाजपा और कांग्रेस दोनों ही बागी नेताओं से परेशान हैं। इंदौर जिले की 9 विधानसभा सीटों में से कम से कम दो सीटें ऐसी हैं जहां बागी परिणाम को सीधे-सीधे प्रभावित कर सकते हैं। ये दोनों सीटें ग्रामीण क्षेत्र की हैं। देपालपुर में बागी प्रत्याशी की वजह से भाजपा की चिंता बढ़ी हुई है तो महू में बागी प्रत्याशी ने कांग्रेस को चिंता में डाल रखा है।
पार्टियों ने किए दावे
देपालपुर और महू दोनों ही जगह बागी प्रत्याशी पूरे दमखम से मैदान में डटे हुए हैं। हालांकि दोनों ही राजनीतिक पार्टियां दावा कर रही हैं कि गुरुवार दोपहर तीन बजे से पहले बागी प्रत्याशी अपना नाम वापस ले लेंगे। देपालपुर में जबरेश्वर सेना के राजेंद्र चौधरी मैदान पकड़े बैठे हैं तो महू में पूर्व विधायक अंतरसिंह दरबार। चौधरी देपालपुर में भाजपा प्रत्याशी को नुकसान पहुंचा सकते हैं तो महू में दरबार कांग्रेस प्रत्याशी को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
वहीं, दूसरी ओर साल 2018 के विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो देपालपुर में कांग्रेस के विशाल पटेल ने भाजपा के मनोज पटेल को 9044 मतों से पराजित किया था।
इसी तरह महू में भाजपा की उषा ठाकुर को महज 7157 मतों से जीत हासिल हुई थी। यानी दोनों ही ग्रामीण सीटों पर हारजीत का अंतर दस हजार से कम है। ऐसी स्थिति में अगर गुरुवार दोपहर तीन बजे तक दोनों सीटों पर दम भर रहे बागी अगर नाम वापस लेने को तैयार नहीं हुए तो पार्टियों की परेशानी बढ़ना तय है।