Move to Jagran APP

MP Election Results: मतदाताओं ने नहीं किया कांग्रेस की गारंटियों पर विश्वास, रणनीतिक कमजोरियों ने भी दिलाई पराजय

विधानसभा चुनाव के परिणाम ने साफ कर दिया कि मध्य प्रदेश की जनता ने कांग्रेस की गारंटियों पर विश्वास नहीं किया। कांग्रेस की रणनीतिक कमजोरी भी उस पर भारी पड़ी। विधायकों के टिकट काटने का दम कांग्रेस नहीं दिखा पाई। 95 में से 91 विधायकों को फिर से चुनाव लड़ाया जबकि कार्यकर्ता नए चेहरों को मौका देने की मांग कर रहे थे।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sun, 03 Dec 2023 05:27 PM (IST)
Hero Image
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, भोपाल। विधानसभा चुनाव के परिणाम ने साफ कर दिया कि मध्य प्रदेश की जनता ने कांग्रेस की गारंटियों पर विश्वास नहीं किया। कांग्रेस की रणनीतिक कमजोरी भी उस पर भारी पड़ी। पार्टी ने चुनाव प्रचार के दौरान जोर-शोर से महिलाओं को डेढ़ हजार रुपये प्रतिमाह देने, पांच सौ रुपये में रसोई गैस सिलेंडर, 100 यूनिट बिजली फ्री, 200 यूनिट बिजली हाफ, किसान कर्ज माफी, पुराने बिजली बिल की माफी, पुरानी पेंशन योजना की बहाली, जाति आधारित गणना सहित अन्य गारंटियां दी थीं। मतदाता इनके प्रभाव में नहीं आए और फिर भाजपा पर ही विश्वास जताया।

कांग्रेस को विधायकों पर ही दांव लगाना, दलबदलुओं को प्राथमिकता देना, टिकट बदलना और कार्यकर्ताओं में भाजपा से मुकाबला करने का विश्वास न जगा पाना भारी पड़ा। कांग्रेस ने अपना पूरा प्रचार अभियान शिवराज सरकार की लाडली बहना योजना की काट के तौर पर सरकार बनने पर नारी सम्मान योजना लागू करके महिलाओं को डेढ़ हजार रुपये प्रतिमाह देने पर आधारित कर दिया था। इसको लेकर बाकायदा फार्म भरवाए गए। दावा किया गया कि एक करोड़ फार्म भरवाए जा चुके हैं। इसके साथ ही पांच सौ रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देने की गारंटी दी।

यह भी पढ़ें: विंध्य में कांग्रेस का सूपड़ा साफ! चुरहट में पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने बचाई इज्जत; BJP का लहरा रहा परचम

राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और मल्लिकार्जुन खरगे ने जाति आधारित गणना की गारंटी को बार-बार दोहराया। इसके माध्यम से दांव यह खेला गया था कि ओबीसी मतदाताओं को प्रभावित किया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

टिकट देने में भी चूक

विधायकों के टिकट काटने का दम कांग्रेस नहीं दिखा पाई। 95 में से 91 विधायकों को फिर से चुनाव लड़ाया, जबकि कार्यकर्ता नए चेहरों को मौका देने की मांग कर रहे थे। गोटेगांव, सुमावली और बड़नगर में विधायकों के टिकट काटने के बाद फिर दिए गए, जिससे पहले जिन्हें प्रत्याशी घोषित किया गया, वे बागी हो गए और कांग्रेस को जमकर नुकसान पहुंचाया। भाजपा, बसपा और सपा के नेताओं को टिकट दिया गया, जिससे स्थानीय कार्यकर्ताओं ने नाराज होकर प्रचार की केवल रस्म अदायगी की। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने कार्यकर्ताओं को भाजपा से मुकाबला करने के लिए उत्साहित तो खूब किया, पर वे तैयार ही नहीं हो पाए।

यह भी पढ़ें: ‘मोदीमय हुआ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान…देवतुल्य जनता ने विश्वास की लगाई मुहर’; CM धामी ने दी जीत की बधाई