अनुच्छेद 370 पर दल छोड़ने वाले पहले कांग्रेसी बने कृपाशंकर सिंह, BJP में जाने की अटकलें
अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने पर कांग्रेस के रुख का विरोध करते हुए कृपाशंकर सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है। बताया जा रहा है कि वे भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं।
By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Wed, 11 Sep 2019 07:39 AM (IST)
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने पर कांग्रेस के रुख का विरोध करते हुए कृपाशंकर सिंह दल छोड़ने वाले पहले कांग्रेसी बन गए हैं। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व गृह राज्यमंत्री मंगलवार को कांग्रेस छोड़ने वाले तीसरे व्यक्ति रहे। उनसे पहले पिछला लोकसभा चुनाव लड़ चुकीं उर्मिला मातोंडकर एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हर्षवर्धन पाटिल पार्टी छोड़ने की घोषणा कर चुके थे।
कृपाशंकर सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि अनुच्छेद 370 पर संसद के दोनों सदनों में चली बहस के बाद से ही वह अपनी पार्टी के रुख से आहत हैं। जिस मुद्दे पर देश की आम जनता एकजुट होकर सरकार के साथ खड़ी दिखाई दे रही है, उसी मुद्दे पर कांग्रेस नेताओं का नासमझी भरा बयान समझ से परे है। कांग्रेस के इसी रुख से आहत होकर राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र भेजकर पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपनी भावी योजना के बारे में कुछ भी नहीं कहा है। उनका कहना है कि अभी कुछ सोचा नहीं है।
बता दें कि विलासराव सरकार में गृह राज्यमंत्री रह चुके कृपाशंकर सिंह मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह मूलत: उत्तर प्रदेश के जौनपुर जनपद के रहने वाले हैं। पिछला विधानसभा चुनाव हारने के बाद से ही वह पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे थे। हालांकि उन दिनों उन पर तमाम तरह के आरोप लगे थे। माना जाता है कि विभिन्न एजेंसियों से जांच में आरोपों से मुक्त होने के बावजूद पार्टी में उनकी क्षमताओं का उपयोग नहीं हो पा रहा था। पिछले कुछ समय से भाजपा नेताओं के साथ उनका मेलजोल बढ़ा दिखाई दे रहा है।
पिछले सप्ताह ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस एवं महाराष्ट्र में सह चुनाव प्रभारी की जिम्मेदारी निभा रहे उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य उनके घर स्थापित गणपति प्रतिमा का दर्शन करने गए थे। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे भी गणपति उत्सव के दौरान सिंह के घर गए थे।
मुंबई में कभी पूरी तरह कांग्रेस का वोटबैंक माना जाता रहा उत्तरभारतीय समाज आज भले भाजपा के साथ खड़ा दिख रहा है, लेकिन उसके पास कोई कद्दावर हिंदीभाषी नेता नहीं है। कृपाशंकर सिंह भाजपा में यह कमी दूर करने का माध्यम बन सकते हैं।