Maharashtra Election: महाराष्ट्र में एक-दूसरे के सामने ताल ठोक रहे 'अपने', चाचा से मुकाबले में उतरे दो भतीजे
महाराष्ट्र के बारामती में पवार परिवार के दो युवा नेता रोहित पवार और युगेंद्र पवार जो अपने चाचा अजित पवार से मुकाबले के लिए एक साथ चुनाव प्रचार में उतरे हैं। राज्य के विधानसभा चुनाव में पुणे जिले की बारामती सीट पर सबसे अधिक कड़ा मुकाबला हो रहा है। युगेंद्र पवार सात बार के विधायक अजित पवार के खिलाफ बारामती से चुनाव लड़ रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, बारामती। महाराष्ट्र के बारामती में चुनाव प्रचार के बीच 'इस जंग में हम दो शेर'- लिखे बैनर भी लहरा रहे हैं। ये दो शेर हैं पवार परिवार के दो युवा नेता रोहित पवार और युगेंद्र पवार, जो अपने चाचा अजित पवार से मुकाबले के लिए एक साथ चुनाव प्रचार में उतरे हैं। संयोग से तीनों को लोग प्यार से दादा कहते हैं - अजित दादा, रोहित दादा और युगेंद्र दादा।
राज्य के विधानसभा चुनाव में पुणे जिले की बारामती सीट पर सबसे अधिक कड़ा मुकाबला हो रहा है। युगेंद्र पवार सात बार के विधायक अजित पवार के खिलाफ बारामती से चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर पड़ोसी जिले अहिल्यानगर (पहले अहमद नगर) की कर्जत-जामखेड सीट से मौजूदा विधायक एवं अजित पवार के चचेरे भाई राजेंद्र पवार के पुत्र रोहित पवार का मुकाबला भाजपा के एमएलसी प्रोफेसर राम शिंदे से हो रहा है। जिन्हें पिछली बार हराकर वह विधायक बने थे।
अजित पवार के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे युगेंद्र पवार
निश्चित रूप से रोहित अपने चुनाव में भी व्यस्त हैं। लेकिन कभी-कभी वह अजित पवार के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे युगेंद्र पवार की मदद के लिए उनके साथ चुनाव प्रचार के लिए भी आ जाते हैं।ऐसे ही एक प्रचार अभियान के दौरान अजित पवार के इन दोनों युवा भतीजों से दैनिक जागरण की संक्षिप्त बातचीत हुई। दोनों कहते हैं कि यह सिर्फ चुनावी लड़ाई नहीं है। यह एक वैचारिक लड़ाई है। किसी ने पार्टी छोड़ दी और बाद में उसे हथिया लिया। जब अजित पवार को पवार साहब का हाथ थामना चाहिए था, तब उन्होंने उन्हें छोड़ दिया। हालांकि, युगेंद्र और रोहित दोनों इस बात के प्रति सावधान रहते हैं कि वे अपने चाचा का नाम न लें।
भतीजे व्यस्त तहसील-शहर और उसके पड़ोसी गांवों में घूम रहे
संयोगवश, लोकसभा चुनाव में अपनी पत्नी सुनेत्रा पवार की अपने चाचा की बेटी सुप्रिया सुले के हाथों हार के बाद यह पहली बार है कि अजित पवार को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि भतीजे व्यस्त तहसील-शहर और उसके पड़ोसी गांवों में घूम रहे हैं। बारामती के ग्रामीण इलाकों की छोटी-छोटी सभाओं में जब दोनों भाई साथ आते हैं तो तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत होता है।वहीं, लोग विधानसभा की तस्वीर के सामने रोहित और युगेंद्र की तस्वीर वाला बैनर भी लहराते दिखाई देते हैं, जिस पर लिखा होता है- 'इस जंग में हम दो शेर'। राजनीति में युगेंद्र से कुछ वर्ष सीनियर रोहित पवार कहते हैं कि हम सभी जानते हैं कि अजित दादा ने यह फैसला (शरद पवार को छोड़ने का) 'अदृश्य शक्ति' के कहने पर लिया है। जबकि युगेंद्र भाजपा पर निशाना साधते हुए कहते हैं कि साहब ने पार्टी और चुनाव चिह्न खो दिया, लेकिन उन्होंने पार्टी को फिर से खड़ा किया। लोकसभा चुनाव के नतीजे इसकी झलक देते हैं।