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महाराष्ट्र में दो गठबंधन और छह दल, पर चुनाव प्रचार में सबके अलग-अलग सुर; ये 30 सीटें पलट सकती हैं बाजी

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है। 288 में से 30 सीटें ऐसी हैं जो जीत-हार में निर्णायक साबित हो सकती है। राज्‍य में दो गठबंधन और छह पार्टियां हैं लेकिन चुनाव प्रचार में सब अलग-अलग मुद्दों के साथ मैदान में हैं। यहां पढ़िए राज्‍य में कौन-सी पार्टी किस जाति को साध रही है...

By Jagran News Edited By: Deepti Mishra Updated: Tue, 22 Oct 2024 11:11 AM (IST)
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Maharashtra Assembly Elections 2024:दोनों गठबंधनों की रणनीतियों और प्रमुख मुद्दे अलग-अलग। जागरण ग्राफिक्‍स टीम

डिजिटल डेस्‍क, मुंबई/नई दिल्‍ली। महाराष्ट्र में 14वां विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है। राज्य में दो गठबंधन में 6 प्रमुख पार्टियां सत्ता पक्ष और विपक्ष की भूमिका में मैदान में हैं। फिर भी मजबूरी ऐसी है कि सभी छह पार्टियों के सुर अलग-अलग नजर आ रहे हैं।

महाराष्ट्र की सत्ता संभाल रहे गठबंधन महायुति में तीन दल- भाजपा, शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) हैं। इन तीनों पार्टियों की आरक्षण को लेकर तीन राय हैं। कमोबेश यही हाल विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) का है। महाविकास अघाड़ी गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद) हैं, ये तीनों पार्टियां भी अलग-अलग मुद्दों को लेकर प्रचार करने की प्लानिंग कर रही हैं।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर पिछले हफ्ते इसको लेकर सत्ता पक्ष के तीनों दलों के नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में आशंका जताई गई कि मराठा आरक्षण पर तीनों पार्टियों का एक सुर में बोलना घाटे का सौदा हो सकता है।

ओबीसी-एसटी वोट पर भाजपा की नजर

राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि महाराष्ट्र में मराठा और मुस्लिम वोट का एक बड़ा हिस्सा महाविकास अघाड़ी का पक्का है। ऐसे में भाजपा की नजर ओबीसी और एसटी वोटों को अपने पाले में लाने पर रहेगी।

हाल ही में आए हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों से स्पष्ट है कि डोमिनेटिंग कास्ट के विरोध में माहौल है। महाराष्ट्र में एससी वोट भी दोनों गठबंधन में बंटा हुआ है। ऐसे में भाजपा को बहुसंख्यक वोटों को साधना होगा।

भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि जिस तरह ओबीसी और एसटी समुदाय की ओर से मराठाओं ओबीसी और धनगर को एसटी दर्जा देने की कवायद का विरोध किया जा रहा है, उससे महायुति गठबंधन को चुनाव में बड़ा नुकसान हो सकता है।

इसलिए शिवसेना-शिंदे और एनसीपी-अजीत मराठा आरक्षण को लेकर आवाज उठाएंगी तो बीजेपी पंचायत स्तर पर समुदायों के सम्मेलन कर ओबीसी और एसटी समुदाय को साधने में जुट गई है। हालांकि, भाजपा के लिए इन समुदायों का भरोसा जीतना आसान नहीं है। दूसरी ओर भाजपा के लिए छोटे दल और निर्दलीय भी चुनौती पेश कर सकते हैं।

किन सीटों पर पलट सकती है बाजी?

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने का मिल सकता है। महायुति और महाविकास अघाड़ी के अलावा छोटे दलों का गठजोड़ भी सामने आ सकता है। पिछले चुनाव की बात की जाए तो छोटी पार्टियों ने 16 सीटें जीती थीं और 13 निर्दलीय निर्वाचित हुए थे। यानी कि कुल 29 सीटों पर छोटे-छोटे दलों के प्रभाव को कम नहीं आंक सकते हैं। वहीं 30 सीटें ऐसी थीं, जहां हार-जीत का अंतर 5000 वोट से कम था।

अगर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तो इन सीटों पर बड़ा उलटफेर हो सकता है। खासकर उन सीटों पर जहां मराठा आरक्षण के खिलाफ ओबीसी समुदाय या धनगर को एसटी दर्जा देने विरोध हो रहा है।

महाराष्‍ट्र के छह जोन: किसका कहां दबदबा?

कुल सीटें: 288

  • विदर्भ: यहां कुल 62 सीटें हैं, जिनमें 55 प्रतिशत सीटों पर पिछले तीन विधानसभा चुनाव 2009, 2014, 2019 में महायुति गठबंधन जीतता आ रहा है।
  • पश्चिमी महाराष्ट्र: यहां 70 सीटें हैं। इन 70 में से 76 प्रतिशत सीट महाविकास अघाड़ी जीतता आ रहा है।
  • उत्तर महाराष्ट्र : यहां 35 सीटें हैं, जिनमें 60 प्रतिशत पर महायुति जीता है।
  • मराठवाड़ा यहां कुल 46 सीटें हैं, जिनमें से 51 प्रतिशत सीटों पर महायुति हमेशा हारता आया है।
  • ठाणे- कोकण क्षेत्रः यहां कुल 39 सीटें हैं, जिनमें से 50-50 प्रतिशत सीटें दोनों गठबंधन जीतते रहे हैं।
  • मुंबई क्षेत्रः यहां कुल 36 सीटें हैं। यहां 43 प्रतिशत सीटों पर महाविकास अघाड़ी गठबंधन हमेशा हारता आया है।

महाविकास अघाड़ी की रणनीति

इस विधानसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी में तीनों पार्टियों को चुनाव प्रचार में रणनीति के तहत अलग-अलग जिम्मेदारी मिली है।

  • शिवसेना-उद्धव ठाकरे: महाराष्ट्र के संसाधन गुजरात ले जाने और मराठी अस्मिता को जोर-शोर से उठाने का जिम्मा सौंपा गया है।
  • कांग्रेस: शिंदे सरकार के कथित भ्रष्टाचार और घोटालों के खिलाफ अभियान चलाने की जिम्मेदारी मिली है।
  • एनसीपी-पवार: बाकी मुद्दों पर जनता के बीच बनाएंगे पैंठ।

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एमवीए के दलों की रणनीति

महायुति सरकार के खिलाफ जो माहौल लोकसभा चुनाव में दिखाई दिया, उसे हर हाल में इस चुनाव में भी बनाए रखना है। महाराष्ट्र में किसी भी हाल में हरियाणा की पुनरावृत्ति न हो, इसे सुनिश्चित करना है। कांग्रेस पार्टी राज्य में केंद्रीय भूमिका में है, इसके बावजूद सहयोगी दलों को अधिक तरजीह दे रही है।

एमवीएम में प्रचार की पूरी रणनीति उद्धव ठाकरे संभालेंगे, जबकि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार व नाना पटोले उनके साथ तालमेल से काम करेंगे।

कांग्रेस ने पकड़े ये पांच मुद्दे

विजय वडेट्टीवार ने महायुति सरकार से जुड़े पांच बड़े मामलों की सूची बनाई है, जिनमें एंबुलेंस खरीद, स्वास्थ्य विभाग, आरटीओ, टीडीआर, धारावी रिहैबिलिटेशन प्रोजेक्ट शामिल है। कहा जा रहा है कि इनमें कथित तौर पर घोटाले हुए हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि एकनाथ शिंदे सरकार के कार्यकाल में 15,000 करोड़ रुपये से अधिक के कथित घोटाले हुए हैं।

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