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महाराष्ट्र में मुस्लिम बहुल सीटों की दावेदारी में एक अनार सौ बीमार की स्थिति, भाजपा के लिए चुनौती बनेगा शरद गुट

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा जहां वोट जिहाद की बात करके लोकसभा चुनाव में हुई चूक को सुधारने में जुट गई है वहीं महाविकास आघाड़ी (मविआ) के दलों में मुस्लिम बहुल सीटों की दावेदारी में एक अनार सौ बीमार की स्थिति पैदा होती दिखाई दे रही है। लोकसभा चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) को भी बड़ी संख्या में मुस्लिमों के मत प्राप्त हुए।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Thu, 17 Oct 2024 05:45 AM (IST)
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महाराष्ट्र में मुस्लिम बहुल सीटों की दावेदारी में एक अनार सौ बीमार की स्थिति

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा जहां वोट जिहाद की बात करके लोकसभा चुनाव में हुई चूक को सुधारने में जुट गई है, वहीं महाविकास आघाड़ी (मविआ) के दलों में मुस्लिम बहुल सीटों की दावेदारी में एक अनार सौ बीमार की स्थिति पैदा होती दिखाई दे रही है। मविआ में कांग्रेस और राकांपा (शरदचंद्र पवार) तो पहले से मुस्लिम बहुल सीटों एवं मुस्लिम मतों पर अपना अधिकार समझते रहे हैं।

लोकसभा चुनाव में शिवसेना (यूबीटी) को भी बड़ी संख्या में मुस्लिमों के मत प्राप्त हुए। उस समय मविआ के ही एक दल समाजवादी पार्टी ने खुद को लोकसभा चुनाव की रेस से दूर रखकर कांग्रेस, राकांपा (शरदचंद्र पवार) एवं शिवसेना (यूबीटी) को अपना समर्थन दिया। लेकिन अब विधानसभा चुनाव में वह अपना हक चाहती है।

यूपी में 37 लोकसभा सीटें जीतने के बाद आजमी के हौसले बुलंद

पिछले विधानसभा चुनाव में उसने दो सीटें जीती थीं। इस बार उसने बहुत पहले से महाराष्ट्र की 12 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर रखी है। अब तक इस बारे में कोई फैसला होने पर सपा के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गई, तो वह मविआ से अलग हो जाएंगे। उत्तर प्रदेश में 37 लोकसभा सीटें जीतने के बाद आजमी के हौसले बुलंद हैं।

उन्हें लगता है कि मुंबई में बड़ी संख्या में रह रहा उत्तर प्रदेश का पिछड़ा और दलित वर्ग उनके प्रतिबद्ध मुस्लिम मतदाताओं के साथ जुड़कर अखिलेश यादव के पीडीए समीकरण को मुंबई में भी जीवंत कर सकता है। इसीलिए वह मुस्लिम बहुल सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। इसी प्रकार असदुद्दीन ओवैसी की एआइएमआइएम ने भी महाविकास आघाड़ी से गठबंधन का प्रस्ताव दिया था।

वह राज्य की लगभग 24 सीटों पर मविआ का हिस्सा बनकर चुनाव लड़ना चाहती है। लेकिन अभी तक मविआ के साथ उसकी भी कोई बात नहीं बनी है। पिछले विधानसभा चुनाव में वह भी 44 सीटें लड़कर दो सीटें जीती थी। हाल ही में उसके पूर्व सांसद इम्तियाज जलील के नेतृत्व में छत्रपति संभाजी महाराज नगर से मुंबई तक सैकड़ों कारों के साथ निकला मोर्चा इसी माहौल का सबूत था।

सपा और एआइमआइम जैसे मुस्लिम मतों के बड़े दावेदारों के अलावा कांग्रेस, राकांपा (शरदचंद्र पवार) और अब शिवसेना (यूबीटी) भी मुस्लिम मतों पर अपनी दावेदारी छोड़ना नहीं चाहते। इसलिए मुस्लिम बहुल सीटों पर ये दल आसानी से पीछे हट जाएंगे, ऐसा बिल्कुल नहीं लगता। दूसरी ओर सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति में मुस्लिम मतों की अकेली दावेदार राकांपा (अजीत पवार) है। उसने पहले ही घोषित कर दिया है कि वह अपने हिस्से में आई कुल सीटों में से 10 प्रतिशत मुस्लिम उम्मीदवार देगी।

मुंबई में तो उसके दो उम्मीदवार करीब-करीब तय भी हैं। इनमें एक पूर्व मंत्री नवाब मलिक की बेटी सना मलिक की उम्मीदवारी तय मानी जा रही है, तो दूसरे बांद्रा (पूर्व) से वर्तमान विधायक जीशान सिद्दीकी हैं। जिनके पिता बाबा सिद्दीकी की हाल ही में हत्या कर दी गई है। जीशान ने पिछला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता था। लेकिन फिलहाल उन्हें कांग्रेस से निष्कासित किया जा चुका है।