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MCD चुनाव 2017: किसका बजेगा डंका, विकास बनाम जाति पर टिका पेंच

निगम चुनाव में जातीय समीकरण के आधार पर हार-जीत देखने को मिल सकती है। शह और मात का खेल जारी है।

By Amit MishraEdited By: Updated: Mon, 10 Apr 2017 11:14 AM (IST)
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MCD चुनाव 2017: किसका बजेगा डंका, विकास बनाम जाति पर टिका पेंच

नई दिल्‍ली [जेएनएन]। दिल्‍ली नगर निगम चुनाव में एक बार फ‍िर जाति बनाम विकास की अनकही जंग शुरू हो गई है। ऐसे में अब यह सवाल अहम हो गया है कि क्‍या निगम चुनाव में विकास की लहर चलेगी या फ‍िर जातीय समीकरण में पूरी सियासत उलझ कर रह जाएगी।

दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में जनता ने भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अरविंद केजरीवाल को अपना समर्थन दिया था। यही कारण है कि 'आप' को जबरदस्‍त सफलता मिली थी और विपक्ष को करारी शिकस्‍त का सामना करना पड़ा था।

इस बार निगम चुनाव में जातीय समीकरण के आधार पर हार-जीत देखने को मिल सकती है। तो चलिए, दिल्ली की तीन विधानसभाओं आदर्श नगर, बादली और रिठाला के अंतर्गत आने वाले वार्डों के मुद्दे व समस्याीओं के साथ जातीय समीकरण पर एक नजर डालते हैं। 

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आदर्श नगर: समस्‍याओं का अंबार

आदर्श नगर की परिसीमन के बाद सराय पीपलथला, आदर्श नगर और धीरपुर तीन वार्ड बने हैं। यह समस्‍याओं का अंबार है। तीनों वार्डों में पार्किंग सबसे बड़ी समस्या है। इसको लेकर आए दिन यहां विवाद होता रहता है। यहां की सफाई व्‍यवस्था भी खस्ताहाल है। जातीय समीकरण पर नजर दौड़ाएं तो इन वार्डों में पिछड़ी जाति का दबदबा है। यहां 28 फीसद पिछड़ी जाति के लोग हैं। 18-18 फीसद वैश्‍व और एसएसी विरादरी के लोग हैं। इसी तरह से 15-15 फीसद पंजाबी और मुस्लिम बिरादरी के लोग हैं।

बादली: कागजों तक ही सिनटा विकास 

बादली विधानसभा क्षेत्र में परिसीमन के बाद पांच वार्ड बने हैं, जिसमें स्वरूप नगर, स्वामी श्रद्धानंद कॉलोनी, जहांगीरपुरी, भलस्वा और समयपुर बादली शामिल हैं और इन वार्डों में ओबीसी (40 फीसदी) का दबदबा है। इसके अलावा एससी 19, यादव 13, मुस्लिम 12, ब्राहम्ण आठ, सिख चार व जाट एक फीसदी हैं। वहीं अगर मुद्दों व समस्याएओं की बात करें तो यहां अवैध काॅलोनियों की संख्या ज्यादा हैं और यहां रह रहे लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।

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रिठाला: ब्राह्मणों की अधिक संख्या 

रिठाला विधानसभा क्षेत्र में इस बार पांच वार्ड हैं, जिसमें रोहिणी-ए, रोहिणी-बी, विजय विहार, बुध विहार और रिठाला शामिल हैं। यहां जातीय समीकरण की बात करें तो स्थिति अलग है, सभी वार्डों में ब्राह्मणों की तादाद ज्यादा है। करीब 30 फीसदी ब्राह्मण है, जबकि वैश्य (20 फीसदी) व पंजाबी (20 फीसदी) की संख्या भी ठीक-ठाक है। वहीं अन्य में एससी 19 मुस्लिम आठ फीसदी हैं। वहीं चुनावी मुद्दों की बात करें तो सफाई की बदहाल स्थिति व पार्किंग का ना होना लोगों की आम समस्याएं हैं। 

गर्म है सियासी माहौल 

दिल्ली में जैसे-जैसे नगर निगम चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे माहौल गरमाता जा रहा है। 23 अप्रैल को होने वाले मतदान से पहले भाजपा, 'आप' और कांग्रेस ने अपने सियासी मोहरे तय कर दिए हैं। शह और मात का खेल जारी है। सभी दल अपनी खूबियों और दूसरों की कमियों का हवाला देते हुए लोगों से वोट देने की अपील कर रहे हैं।

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इस बार चुनावी मैदान में भाजपा के सामने नगर निगम पर अपना कब्जा जमाए रखने की चुनौती होगी तो दूसरी तरफ कांग्रेस अपने पुराने दौर में फिर से लौटना चाहेगी। इस सब के बीच पहली बार नगर निगम चुनाव लड़ रही 'आप' इतिहास रचने की कोशिश में है। अब, देखना यह है कि दिल्ली की जनता किस दल पर कितना भरोसा दिखाती है।