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Mizoram Election: मिजोरम में ZPM को दो तिहाई बहुमत, मुख्यमंत्री जोरमथांगा और उप मुख्यमंत्री तावंलुइया समेत कई मंत्री हारे चुनाव

मिजोरम में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) को मिजोरम में दो-तिहाई बहुमत मिला है। सोमवार को हुई मतगणना में 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा में 27 सीटें जीतकर जेडपीएम ने मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को सत्ता से बाहर कर दिया। सत्तारूढ़ एमएनएफ को महज 10 सीटें मिल पाईं। इसके अलावा भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट मिली।मुख्यमंत्री और एमएनएफ प्रमुख जोरमथांगा जेडपीएम के लालथनसांगा से 2101 वोटों से हार गए।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Mon, 04 Dec 2023 08:13 PM (IST)
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मिजोरम में ZPM को दो तिहाई बहुमत।

पीटीआई, आइजोल। पूर्व आइपीएस लालदुहोमा की पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) को मिजोरम में दो-तिहाई बहुमत मिला है। सोमवार को हुई मतगणना में 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा में 27 सीटें जीतकर जेडपीएम ने मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) को सत्ता से बाहर कर दिया। सत्तारूढ़ एमएनएफ को महज 10 सीटें मिल पाईं। इसके अलावा भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट मिली।

2,101 वोटों से हारे सीएम जोरमथांगा

जेडपीएम के सीएम पद के चेहरे लालदुहोमा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एमएनएफ के जे माल्सावमजुआला वानचावंग को 2,982 वोटों से हराकर सेरछिप सीट पर जीत हासिल की। चुनाव आयोग के मुताबिक, मुख्यमंत्री और एमएनएफ प्रमुख जोरमथांगा जेडपीएम के लालथनसांगा से 2,101 वोटों से हार गए। एमएनएफ के प्रमुख हारने वाले नेताओं में उप मुख्यमंत्री तावंलुइया, स्वास्थ्य मंत्री आर लालथंगलियाना, ग्रामीण विकास मंत्री लारुअत्किमा भी शामिल हैं।

पलक और सैहा सीट पर भाजपा ने दर्ज की जीत

भाजपा ने पलक और सैहा सीट पर जीत हासिल की। कांग्रेस को लांग्टलाई पश्चिम सीट पर ही जीत हासिल हो सकी। 22 साल मिजोरम में राज करने वाली कांग्रेस एक तरह से वहां से साफ हो गई है। एकमात्र सीट पर भी उसका प्रत्याशी महज 432 वोटों से जीता। पहली बार यहां मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी का कोई प्रत्याशी नहीं जीत पाया। इस बार सदन में तीन महिला विधायक पहुंची हैं।

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राज्य में सात नवंबर को हुआ था मतदान

मिजोरम में सात नवंबर को मतदान हुआ था और राज्य के 8.57 लाख मतदाताओं में से 80 प्रतिशत से अधिक ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। 18 महिलाओं सहित कुल 174 उम्मीदवार मैदान में थे। एमएनएफ, जेडपीएम और कांग्रेस ने 40-40 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि भाजपा ने 23 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। यहां पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा। इसके अलावा 17 निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी जंग में थे।

जेडपीएम के नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक आज

जेडपीएम नवनिर्वाचित विधायकों और वरिष्ठ नेताओं की बैठक के बाद मिजोरम में सरकार बनाने का दावा पेश करेगी। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के सपडांगा ने कहा कि मिजोरम में सरकार बनाने की दावेदारी पर फैसला करने के लिए नवनिर्वाचित विधायकों और पार्टी की निर्णय लेने वाली संस्था वैल उपा काउंसिल की बैठक संभवत: मंगलवार को होगी।

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सत्ता विरोधी लहर रही हार की वजह- जोरमथांगा

मिजोरम के निवर्तमान मुख्यमंत्री और एमएनएफ सुप्रीमो जोरमथांगा ने सोमवार को कहा कि राज्य विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी की हार के लिए सत्ता विरोधी लहर मुख्य कारण रही। एमएनएफ की करारी हार के बाद सोमवार शाम को राज्यपाल हरि बाबू कंभमपति को जोरमथांगा ने अपना इस्तीफा सौंप दिया। एमएनएफ को पिछली बार 26 सींटें मिली थीं जबकि इस बार वह बमुश्किल दहाई के अंक तक पहुंच पाई।

दलबदल कानून में अयोग्य घोषित हो चुके हैं लालदुहोमा

दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराए जाने वाले पहले सांसद बने 73 वर्षीय लालदुहोमा का अब मिजोरम का सीएम बनना तय है। उनकी पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) ने दो तिहाई बहुमत से राज्य की सत्ता हासिल की है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सुरक्षा के प्रभारी के रूप में कार्य करने वाले पूर्व आइपीएस अधिकारी लालदुहोमा अपनी पार्टी के सीएम पद का चेहरा हैं।

चुनाव आयोग के अनुसार जेडपीएम को 2019 में ही एक राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत किया गया था। इसने सोमवार को मिजोरम विधानसभा के नतीजों में 40 में से 27 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया। तीन दशकों से अधिक समय से पूर्वोत्तर राज्य में मुख्यमंत्री पद पर दो वरिष्ठ राजनेता कांग्रेस के ललथनहवला और एमएनएफ के जोरमथांगा ही आसीन रहे है। इस तरह मिजोरम को सीएम के रूप में इस बार नया चेहरा मिलेगा।

1986 में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था

लालदुहोमा ने पहली बार 1984 में कांग्रेस के टिकट पर मिजोरम विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन पीपुल्स कान्फ्रेंस पार्टी के उम्मीदवार लालमिंगथंगा से 846 वोटों के अंतर से हार गए थे। उसी वर्ष, उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव लड़ा और निर्विरोध चुने गए। तत्कालीन मुख्यमंत्री ललथनहवला और कुछ कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगने के बाद जेडपीएम नेता ने 1986 में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।

अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद बने

1988 में कांग्रेस छोड़ने के बाद लालदुहोमा दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित होने वाले पहले सांसद बने। 2020 में विस अध्यक्ष लालरिनलियाना सेलो ने उन्हें दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया था। ऐसी सजा पाने वाले वह पहले विधायक थे, लेकिन 2021 में उपचुनाव जीत गए।