Firozpur, Punjab Lok Sabha Election 2019: सुखबीर बादल व घुबाया के बीच सीधा मुकाबला
फिरोजपुर में अकाली दल से सुखबीर सिंह बादल मैदान में हैं। उन्हें टक्कर दे रहे हैं अकाली दल से दो माह पहले ही कांग्रेस में गए मौजूदा सांसद शेर सिंह घुबाया।
By Kamlesh BhattEdited By: Updated: Sat, 18 May 2019 05:20 PM (IST)
जेएनएन, फिरोजपुर। पाकिस्तान की सीमा से सटे लोकसभा क्षेत्र फिरोजपुर में मुख्य मुकाबला अकाली दल और कांग्रेस में हैं। अकाली दल पार्टी अध्यक्ष और पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल मैदान में हैं। उन्हें टक्कर दे रहे हैं अकाली दल से दो माह पहले ही कांग्रेस में गए मौजूदा सांसद शेर सिंह घुबाया। घुबाया ने सुखबीर से ही राजनीति के दावपेंच सीखे हैं और इस बार उन्होंने अपने ही गुरु को पसीना बहाने पर मजबूर कर दिया है। जिस समुदाय 'राय बिरादरी' से घुबाया आते हैं, उसका क्षेत्र में प्रभाव ज्यादा है। अकाली दल राय सिख बिरादरी को अपने पक्ष में करने के लिए जोड़तोड़ का खेल खेल रहा है। राय सिख बिरादरी के लोगों को व्यक्ति विशेष की तरफ देखने के बजाय पार्टी के साथ जुड़े रहने के तर्क दिए जा रहे हैं।
सरकार के खिलाफ अध्यापकों का 'मिशन ट्यूशन' चुनाव में पंजाब के सरकारी कर्मचारियों का एक बड़ा तबका प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। चुनावी इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि अध्यापक चार-चार की टोलियां बनाकर गुपचुप तरीके से घर-घर जाकर लोगों को कांग्रेस के खिलाफ 'ट्यूशन' पढ़ा रहे हैं। अगर अध्यापक अपने मिशन में कामयाब हो गए तो कांग्रसे को एक बहुत बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
अबोहर में कांटे की टक्करबड़े शहरों में अबोहर को छोड़कर फाजिल्का, फिरोजपुर, जलालाबाद, मुक्तसर आदि में शिरोमणि अकाली दल के गढ़ को भेदना कांग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। अबोहर में भी कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल में कांटे की टक्कर है। कांग्रेस प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ के अपने ही क्षेत्र में पार्टी की स्थिति कुछ ठीक नहीं है। कांग्रेस के लोग ही अंदरखाते विरोध कर रहे हैं। शायद विधानसभा चुनाव में जाखड़ भी इसी वजह से हारे थे। फाजिल्का से विधायक दविंदर सिंह घुबाया जो कि कांग्रेस प्रत्याशी घुबाया के बेटे हैं, उनको छोड़कर क्षेत्र के लगभग सभी विधायक और पूर्व विधायक घुबाया के विरोध में हैं।
राय सिख का फैक्टर जलालाबाद और अबोहर व फाजिल्का में राय सिखों की संख्या ज्यादा है। यह बिरादरी जिस किसी के भी पक्ष में चलती है, तो इकट्ठी ही चलती है। बिरादरी के बहुत कम लोग ऐसे हैं जो समुदाय से छिटक कर दूसरी जगह पर वोट करें। हालांकि, यदि मत प्रतिशत देखें तो यह बिरादरी सिर्फ साढ़े बाइस फीसद है, जबकि हिंदुओं व सिखों के वोट ज्यादा हैं। क्षेत्र में साढ़े चौबीस फीसद जट सिख, पैंतीस प्रतिशत हिंदु अरोड़वंशी और अठारह प्रतिशत कंबोज बिरादरी के वोट हैं। अरोड़वंशी समाज के साथ-साथ बाबरिया समाज भी अपनी अहम भूमिका निभाता है। हिंदु अरोड़ वंशियों के करीब चार लाख वोट हैं। बाबरिया समाज के भी करीब एक लाख वोट हैं।
थोक में किन्नू-लीची पर उद्योग कोई नहीं क्षेत्र में किन्नू-लीची के बहुत बगीचे हैं। यहां पर सीजन में किन्नू और लीची भारी मात्रा में पैदा होते हैं। क्षेत्र का दुर्भाग्य ही है कि केंद्रीय फूड प्रोसेसिंग मंत्री हरसिमरत कौर पड़ोसी क्षेत्र बठिंडा से होने के बावजूद यहां पर कोई फल आधारित उद्योग स्थापित नहीं करवा पाईं।
मतदाताओं की संख्याकुल मतदाता: 15 लाख 87 हजार 296
पुरुष मतदाता: 8,45,907महिला मतदाता: 7,41,350
थर्डजेंडर: 39लोकसभा चुनाव 2014 रिजल्ट
प्रत्याशी पार्टी वोट मिलेशेर सिंह घुबाया अकाली दल 4,87,932 (31,420 वोटों से जीते)सुनील जाखड़ कांग्रेस 4,56,512सतनाम कंबोज आप 1,13,412हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करेंपंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
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