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Rajasthan Polls: पार्टियों को करनी पड़ रही वोटरों की नब्ज टटोलने की मशक्कत, नहीं मिल रहा स्पष्ट रुझान!

राजस्थान के चुनाव में नेताओं के चुनाव अभियान का पारा चाहे गरम हो मगर मतदाता अपने दिलचस्प चुप्पी ओड़े हैं। सूबे की सत्ता की दोनों प्रमुख दावेदारों कांग्रेस-भाजपा ने चुनाव अभियान के आखिरी हफ्ते में अपनी पूरी ताकत झोंक दी और दोनों पार्टियों के शीर्षस्थ केंद्रीय नेतृत्व के धुआंधार प्रचार अभियान शुरू हो गए हैं। वैसे तो कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित नहीं किया।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sat, 18 Nov 2023 07:25 PM (IST)
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (बाएं) और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (दाएं) (फाइल फोटो)

संजय मिश्र, जयपुर। राजस्थान के चुनाव में नेताओं के चुनाव अभियान का पारा चाहे गरम हो, मगर मतदाता अपने दिलचस्प चुप्पी ओड़े हैं। पूर्वी राजस्थान के तकरीबन आधा दर्जन जिलों से लेकर राजधानी जयपुर के आस-पास तक चुनाव अखाड़े में मतदाताओं की चतुराई भरी यह चुप्पी राजनीतिक पार्टियों को न केवल परेशान कर रही बल्कि जनता का चुनावी नब्ज भांपने के लिए उन्हें भारी मशक्कत करनी पड़ रही।

कांग्रेस और भाजपा के चुनावी वॉर रूम में उनके रणनीतिकार अपने-अपने सर्वे और ग्राउंड फीडबैक का रोजाना आकलन-विश्लेषण कर मतदाताओं के मिजाज के निकट तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, इस दिलचस्प चुनावी परिदृश्य में स्थानीय स्तर पर वर्तमान विधायकों को लेकर नाराजगी का भाव जरूर है, जो विशेष रूप से सत्ताधारी कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है।

कांग्रेस-भाजपा ने झोंकी पूरी ताकत

सूबे की सत्ता की दोनों प्रमुख दावेदारों कांग्रेस और भाजपा ने चुनाव अभियान के आखिरी हफ्ते में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है और दोनों पार्टियों के शीर्षस्थ केंद्रीय नेतृत्व के धुआंधार प्रचार अभियान शुरू हो गए हैं। इतनी गहमागहमी के बावजूद दौसा, टोंक और जयपुर ही नहीं, अलवर, सवाई माधोपुर, करौली जैसे जिलों मे चुनावी बयार की कोई एक दिशा नहीं दिखी।

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जयपुर में कांग्रेस की वॉर रूम के एक पदाधिकारी ने इस बारे में पूछे जाने पर तर्क दिया कि यह इस बात का संकेत है कि गहलोत सरकार के खिलाफ कोई लहर नहीं है जैसा भाजपा दावा कर रही, मगर यह भी सही है विधानसभावार स्थानीय मुद्दे हावी हैं और विधायकों के प्रति नाराजगी का एक फैक्टर है, जो सकारात्मक बयार की राह में अड़चन बन रहा है। इसीलिए सर्वे टीमें से मिल रहे रोजाना के फीडबैक के हिसाब से हर क्षेत्र के लिए चुनावी रणनीति में निरंतर उचित बदलाव किए जा रहे हैं।

जयपुर में चुनाव के लिए बने प्रदेश भाजपा के मीडिया सेंटर में सूबे के एक पदाधिकारी ने अनौपचारिक चर्चा के दौरान कहा कि बेशक सत्ताधारी दल के विधायकों के प्रति नाराजगी का फायदा मिलेगा, मगर राजस्थान के हर क्षेत्र में राजनीतिक समीकरण और मुद्दे अलग-अलग हैं और विशेषकर ग्रामीण राजस्थान के लोगों का मूड भांपना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

ग्रामीण इलाकों से नहीं मिल रहा स्पष्ट रुझान

तिजारा में भाजपा प्रत्याशी बाबा बालकनाथ और आमेर से भाजपा उम्मीदवार वरिष्ठ नेता सतीश पुनिया के चुनाव कार्यालय के संचालन से जुड़े भाजपा पदाधिकारियों ने नाम नहीं छापने की सख्त शर्त के साथ यह बताया कि ग्रामीण इलाकों से कोई स्पष्ट रुझान नहीं मिल रहा। इसके मद्देनजर पिछले कुछ दिनों से संघ परिवार से जुड़े छह-छह लोगों की दर्जनों टीमें हर विधानसभा क्षेत्र के गांव-गांव घूम रही है ताकि भाजपा के लिए जहां भी कमजोर कड़ी दिखे वहां मतदान से पहले इसे दुरूस्त करने का कदम उठाया जा सके।

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इन तमाम इलाकों में भाजपा कार्यकताओं और उम्मीदवारों के समर्थक दबी जुबान में ही सही गहलोत के मुकाबले चेहरा नहीं होने को एक ऐसा फैक्टर मानते नजर आए जिसकी वजह से स्थानीय स्तर पर गहलोत पर हमला करना आसान नहीं हो रहा। हालांकि, इसकी भरपायी के लिए बूथ स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक भाजपा कार्यकर्ता गहलोत के मुकाबले पीएम मोदी के चेहरे की साख का सहारा लेने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

क्या कांग्रेस ने घोषित किया CM चेहरा?

वैसे कांग्रेस ने भी गहलोत को सीएम का आधिकारिक चेहरा घोषित नहीं किया है, मगर चुनाव में नेतृत्व उनका ही है और उनकी राजनीतिक जादूगरी से सभी परिचित हैं। इसीलिए इस मुद्दे पर कांग्रेस के नेता भाजपा पर निशाना साधने का मौका नहीं छोड़ रहे।

जाहिर तौर पर दोनों पार्टियों को अब चुनावी हवा का रुख अपने मुफीद करने के लिए आखिरी हफ्ते में अपने शीर्षस्थ दिग्गजों का सहारा है। पीएम मोदी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर पार्टी के तमाम दिग्गज आखिरी दिनों में पूरा जोर लगा रहे हैं।

वहीं, राहुल गांधी ने तो चुनाव प्रचार के आखिरी दिन तक के लिए जयपुर को बेस कैंप बना लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और प्रियंका गांधी वाड्रा के भी दौरे शुरू हो रहे हैं।