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Rajasthan Election: SC-ST के लिए आरक्षित सीटों को जीतने में भाजपा आगे, गहलोत के गृह जिले की आठ सीटों पर भी कब्जा

राजस्थान चुनाव में अशोक गहलोत मंत्रिमंडल के 17 सदस्यों और कई वरिष्ठ विधायकों के चुनाव हारने के साथ ही सीएम के गृह जिले की दस में से आठ सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की जीत हुई है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर भी कांग्रेस के मुकाबले भाजपा ने अधिक सीट जीती है। बता दें कि इस बार 72 विधायक पहली बार चुनाव जीतकर आए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Mon, 04 Dec 2023 11:36 PM (IST)
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SC-ST के लिए आरक्षित सीटों को जीतने में भाजपा आगे (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान विधानसभा चुनाव में अशोक गहलोत मंत्रिमंडल के 17 सदस्यों और कई वरिष्ठ विधायकों के चुनाव हारने के साथ ही सीएम के गृह जिले की दस में से आठ सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों की जीत हुई है। वहीं, दो सीटों पर गहलोत सहित कांग्रेस के दो प्रत्याशियों की जीत हुई है।

SC/ST सीट पर भाजपा का बेहतर प्रदर्शन

अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित सीटों पर भी कांग्रेस के मुकाबले भाजपा ने अधिक सीट जीती है। प्रदेश में एससी के लिए आरक्षित कुल 34 में से भाजपा ने 22 सीटों पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस ने 11 सीटें जीती है। एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई है। एसटी के लिए आरक्षित कुल 25 सीटों में से भाजपा ने 12 और कांग्रेस ने 10 सीटें जीती है। शेष तीन सीट अन्य के खाते में गई है।

2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को एससी के लिए आरक्षित 12 ही सीट मिली थी। वहीं, कांग्रेस को 19 सीटें मिली थी। इसी तरह एसटी के लिए आरक्षित सीटों में कांग्रेस को 12 सीटें और भाजपा को नौ ही सीटें मिली थी। ऐसे में इस बार कांग्रेस के परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले दलित समाज ने भी कांग्रेस के मुकाबले भाजपा प्रत्याशियों पर अधिक विश्वास जताया है। कांग्रेस ने 15 मुस्लिम नेताओं को टिकट दिया था,जिनमें से पांच ही जीत सके। दस की हार हुई है। इस बार भाजपा ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया।

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कितने विधायक पहली बार चुने गए?

नये 199 विधायकों में 173 विधायक 12वीं कक्षा या इससे अधिक पढ़े हुए हैं। 26 विधायक 12वीं कक्षा से कम पढ़े लिखे हैं। इस बार 72 विधायक पहली बार चुनाव जीतकर आए हैं। इनमें भाजपा के 46, कांग्रेस के 19 और सात अन्य हैं।

वोट शेयर दोनों ही पार्टियों का बढ़ा

इस चुनाव में भाजपा का वोट शेयर 41.69 प्रतिशत रहा, जबकि पिछले चुनाव में यह आंकड़ा 38.77 प्रतिशत था, अर्थात भाजपा का वोट प्रतिशत पिछले चुनाव के मुकाबले 2.92 प्रतिशत अधिक है। कांग्रेस को इस बार 39.53 प्रतिशत वोट मिले, जबकि पिछले चुनाव में 39.30 प्रतिशत था, यानी कांग्रेस का वोट प्रतिशत .23 प्रतिशत बढ़ा, लेकिन 69 सीटों पर ही सिमट गई।

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राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को 2.39 प्रतिशत वोट इस बार मिले, जबकि पिछली बार यह आंकडा 2.40 प्रतिशत था अर्थात पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार .एक प्रतिशत वोट कम मिले हैं। बसपा को वोट शेयर पिछले चुनाव में 4.03 प्रतिशत था, जो इस चुनाव कम होकर में 1.82 प्रतिशत रह गया। अन्य का वोट शेयर पिछले चुनाव में 15.5 प्रतिशत था, जो इस बार कम होकर 14.57 प्रतिशत रह गया।