Exclusive: राजस्थान में कांग्रेस कैसे रखेगी अपनी सत्ता बरकरार? गोविंद सिंह डोटासरा ने जागरण से की खास बातचीत
अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लंबे अर्से तक चली खींचतान के समाधान के बाद राजस्थान कांग्रेस फिलहाल एकजुट मैदान में उतर सूबे के चुनावी इतिहास को बदलने का दावा कर रही। गहलोत सरकार की लोकप्रिय योजनाओं के साथ भाजपा की अंदरूनी खींचतान को परिपाटी बदलने की बुनियाद बता रही। इन्हीं सबको लेकर राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने दैनिक जागरण के सहायक संपादक संजय मिश्र से चुनावी पहलुओं पर खास बातचीत की।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Fri, 20 Oct 2023 09:23 PM (IST)
संजय मिश्र, जयपुर। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच लंबे अर्से तक चली खींचतान के समाधान के बाद राजस्थान कांग्रेस फिलहाल एकजुट मैदान में उतर सूबे के चुनावी इतिहास को बदलने का दावा कर रही। गहलोत सरकार की लोकप्रिय योजनाओं के साथ भाजपा की अंदरूनी खींचतान को परिपाटी बदलने की बुनियाद बता रही।
सांसदों को मैदान में उतारने के भाजपा के कदम को 2023 चुनाव में तय नुकसान को देखते हुए 2024 के लिए डैमेज कंट्रोल बटा रही। पार्टी आलाकमान के साथ उम्मीदवारों का नाम फाइनल करने दिल्ली आए राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने दैनिक जागरण के सहायक संपादक संजय मिश्र से चुनावी पहलुओं पर खास बातचीत की। पेश है इसके अंश:
सवाल- करीब चार दशक से हर पांच साल में सत्ता बदल देने का राजस्थान के वोटरों का मिजाज रहा है फिर 2023 में इतिहास बदलने के कांग्रेस के विश्वास का आधार क्या है?
उत्तर- अबकी बार परिस्थितियां बदली है, क्योंकि एक से बढ़कर एक स्कीम लाकर कांग्रेस सरकार ने बेहतर काम किया है। कोरोना संकट में राजस्थान के कामकाज की प्रधानमंत्री ने भी भरपूर सराहना की थी। हमारी सरकार की दस गारंटी, महंगाई राहत कैंप और किसानों का 16000 करोड़ की कर्ज माफी और 2000 यूनिट बिजली फ्री, इंदिरा रसोई जैसी हमारी योजनाओं जमीन पर उतरीं, जिसका सबको सीधे लाभ हुआ है।चिरंजीवी योजना में 25 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा और हर घर में कम से कम 10 लाख का जीवन बीमा है। देश में पहली बार किसी राज्य में राइट टू हेल्थ और न्यूनतम गारंटी एक्ट लागू हुआ है। इन अच्छे कामों के साथ कांग्रेस संगठन और सरकार में अच्छा तालमेल रहा है, तो उधर भाजपा में भारी लड़ाई है। सूबे में भाजपा के आठ-नौ गुट बन गए हैं जो न केवल आपस में लड़ रहे बल्कि वसुंधरा जी को नीचा दिखाने में लगे हुए हैं। इसीलिए राजस्थान के लोग इस बार कांग्रेस को दूसरी बार लाकर चुनावी इतिहास बदलना चाहते हैं।
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सवाल- हर सत्ताधारी पार्टी उपलब्धियां बता ऐसे दावे करती है आपके इस आत्मविश्वास का क्या कोई एक सापेक्ष आधार है?
उत्तर- पिछली बार मोदी जी की लोकप्रियता फैक्टर से हमें नुकसान हुआ था मगर पीएम के चेहरे का जादू अब लोगों में फीका पड़ गया है। दूसरी बात है कि पिछले पांच सालों में भाजपा के आंतरिक झगड़ों के कारण वसंधुरा जी घर बैठ गईं और उनकी सक्रियता नहीं रही।
मध्यप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में भाजपा ने विधायकों को तोड़-फोड़ और प्रलोभन देकर सरकारें गिराई और राजस्थान में भी ऐसा करने की कोशिश की जो सूबे की जनता को बिल्कुल पसंद नहीं आयी है। इसके साथ ही भाजपा विपक्ष की भूमिका निभाने में नाकाम रही है और सबसे अहम राजस्थान की जनता जनकल्याणकारी सरकार की निरंतरता का मन बना चुकी है।