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राजस्थान चुनाव : झुंझुनू की डायरी, हाथी की चाल से तय होगी पंजे व कमल की ताकत

नारनौल से निकलने के बाद राजस्थान की सीमा शुरू होते ही सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में झुंझुनू जिले का पहला गांव नावता की ढाणी है।

By Preeti jhaEdited By: Updated: Sat, 01 Dec 2018 10:44 AM (IST)
राजस्थान चुनाव : झुंझुनू की डायरी, हाथी की चाल से तय होगी पंजे व कमल की ताकत
झुंझुनू, महेश कुमार वैद्य। नारनौल से निकलने के बाद राजस्थान की सीमा शुरू होते ही सूरजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में झुंझुनू जिले का पहला गांव नावता की ढाणी है। यहां दोनों राज्यों की सीमा पर विशेष जांच दल का नाका लगा है। एक अधिकारी डा. दिनेश श्योराण इस मार्ग से आने-जाने वाले वाहनों का मय चालक पूरा विवरण दर्ज कर रहे हैं। वाहनों की जांच में अब तक दो बार में लगभग 4 लाख की ऐसी नकदी बरामद हुई है, जिसके बारे में वाहन मालिक सही जवाब नहीं दे पाए।

मतदाता खुलकर किसी की हार-जीत कहने से बचते हैं, लेकिन यह कहने में संकोच नहीं करते कि हाथी की चाल

से ही पंजे व कमल का कमाल बताएगी। पिछली बार मोदी की लहर में भाजपा की जीत के जैसे दमदार दावे हो रहे थे, वैसा इस बार नहीं है। हालात बदले हुए हैं। शेखावाटी के इस जिले में भाजपा की उम्मीद हाथी की चाल पर टिकी है, जबकि कांग्रेस ठीक स्थिति में होते हुए भी इस बात से आशंकित है कि कहीं हाथी की चाल तेज न हो जाए।

कुछ देर नाके पर रुकने के बाद कार थोड़ा आगे खड़े लोगों के पास रुकती है। बुजुर्ग राधेश्याम व युवा प्रदीप बताते हैं कि कांग्रेस के श्रवण कुमार, भाजपा के सुभाष पूनिया व बसपा के कर्मबीर यादव के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। साथ खड़े लोग पिलानी विधानसभा क्षेत्र के थे। उन्होंने बताया कि पिलानी में मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच बनता जा रहा है। हम पचेरी स्थित सिंहानिया विश्वविद्यालय के सामने से होते हुए कुछ दूरी पर कार रोकते हैं। पचेरी के मुरारीलाल हमें यह गणित समझाते हैं कि मुकाबला त्रिकोणीय है। यहां से आगे हम सिंघाणा होते हुए भैसावतां कलां गांव पहुंचते हैं।

यहां मुख्य सड़क पर कांग्रेस के कार्यकर्ता झंडे लेकर खड़े हैं। पूछने पर बताते हैं कि कुछ देर बाद यहां पर हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहुंचने वाले हैं। इससे पहले की मैं कांग्रेसियों से बात शुरू करता हुड्डा वहां पहुंच गए। दैनिक जागरण से बातचीत में बड़ी जीत का दावा करते हुए हुड्डा आगे बख्तावरपुर गांव की ओर बढ़ जाते हैं। उनके जाने के बाद हमने गांव के लोगों से बात की। भैंसावता के मुकेश नरुका, अशोक सिंह व अन्य लोग बताते हैं कि यहां के तीन गांवों में दो पर कांग्रेस व एक पर भाजपा बढ़त में दिख रही है।

थोड़ा चलकर हम सूरजगढ़ विस के  सिंघाणा कस्बे में रुकते हैं। यहां लगभग 15 हजार मतदाता है। चाय की दुकान पर बैठे करीब एक दर्जन लोगों के बीच हमारा जाना हुआ तो अधिकांश की राय यह थी कि हाथी जितनी तेज चलेगा उतना भाजपा को फायदा होगा और हाथी की चाल बेहद धीमी रही तो कांग्रेस आसानी से बाजी मार लेगी। एक ने बात काटकर कहा कि हाथी सब पर भारी है, परंतु उसकी बात के समर्थन में दूसरे लोग नहीं आए। सिंघाना से कापर होते हुए जैसे ही हम गोठड़ा गांव पहुंचते हैं तो यहां से खेतड़ी विस क्षेत्र शुरू हो जाता है। खेतड़ी में कांग्रेस के डा. जितेंद्र सिंह, भाजपा के धर्मपाल व बसपा के पूर्णमल सैनी के बीच मुकाबला माना जा रहा है, लेकिन कांग्रेसी यहां ज्यादा उत्साहित दिखते हैं।

भाजपाई जीत का दावा तो कर रहे हैं, लेकिन उनके दावे का आधार यह है कि बसपा का हाथी कांग्रेस के हाथ को कमजोर कर देगा। गत 26 नवंबर को मायावती सूरजगढ़ विस क्षेत्र के गांव भुआना में रैली करके गई हैं। इस रैली के बाद सूरजगढ़ के बसपा समर्थक  खुश हैं, जबकि उनकी खुशी कांग्रेस की चिंता बढ़ा रही है। भाजपा दोनों की लड़ाई में अपना फायदा देख रही है।

गोठड़ा की ढ़ाणी के पास एक पेट्राेल पंप पर हमारी मुलाकात सेनि पंचायत अधिकारी रामश्वरूप गुर्जर से होती है। गुर्जर चलते फिरते इन्साइक्लोपीडिया हैं। खेतड़ी गुर्जर बाहुल्य है। जब रामश्वरूप से पूछा गया कि क्या सचिन पायलट के कारण गुर्जर कांग्रेस की ओर जाएंगे तब उनका जवाब था कि जहां शिक्षा की कमी है वहां इस तरह की बात संभव है। इसके बाद हमने कई अन्य विधानसभा क्षेत्रों के गांवों से फीडबैक लिया। कुल मिलाकर पूरा गणित हाथी की चाल पर ही टिका है। मजबूत हाथ भी हाथी की तेज चाल से कुछ कंपित है जबकि भाजपा हाथी के दौड़ने की दुआ कर रही है।

यह है झुंझुनू का गणित:

झुंझुनू जिले की सात विधानसभा सीटों पर गणित एक तरफा नहीं रहा। इस जिले की 7 विधानसभा सीटों में से भाजपा को वर्ष 2013 में तीन व वर्ष 2008 में 1 सीट मिली थी। कांग्रेस को वर्ष 2008 में 4 व 2013 में 1 विस सीट मिली थी।

सात में से एक पिलानी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। खेतड़ी को छोड़कर शेष छह विस सीटों पर जाट संख्या में सबसे अधिक है। सूरजगढ़ में यादव दूसरी सबसे बड़ी शक्ति है तो पिलानी व नवलगढ़ में अनूसूचित जाति। झुंझुनू व मंडावा में मुस्लिम तथा उदयपुर वाटी में सैनी मतदाताओं की संख्या दूसरे नंबर पर है। पिलानी, सूरजगढ़, झुंझुनू, मंडावा व नवलगढ़ में राजपूतों की भी अच्छी-खासी संख्या है। उदयपुर वाटी में गुर्जर व खेतड़ी में जाट क्रमश: चौथी सबसे बड़ी ताकत है। जातिवाद से दूर रहने की बात करते हुए भी सभी दलों ने जातीय गणित पर जोर दिया है।