राजस्थान में चेहरा विहीन भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में असमंजस, वसुंधरा राजे भी हैं नाराज
Rajasthan Election नेताओं में असमंजस इस बात को लेकर है कि इस बार टिकट कौन बांटेगा। टिकट बांटने की कमान केंद्रीय नेतृत्व अपने पास रखेगा या प्रदेश की कोर कमेटी को सौंपेगा। यह साफ नहीं है। पिछले दो दशक से अब तक हर चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के हाथ में टिकट बंटवारे की कमान होती थी लेकिन इस बार वे अब तक मुख्यधारा से दूर है।
By Jagran NewsEdited By: Mahen KhannaUpdated: Fri, 22 Sep 2023 02:53 PM (IST)
जयपुर, ब्यूरो। राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति है। असमंजस की स्थिति के बीच ही भाजपा की चारों परिवर्तन संकल्प यात्रा समाप्त हो गई। असमंजस की स्थिति के कारण ही परिवर्तन संकल्प यात्राओं में उम्मीद के मुताबिक भीड़ नहीं जुटी।
कई स्थानों पर तो भीड़ जुटाने के लिए हरियाणा से डांसर बुलाई गई ,धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, लेकिन फिर भी लोग नेताओं को सुनने के लिए नहीं पहुंचे।
टिकट कौन बांटेगा इस पर असमंजस
नेताओं में असमंजस इस बात को लेकर है कि इस बार टिकट कौन बांटेगा। टिकट बांटने की कमान केंद्रीय नेतृत्व अपने पास रखेगा या प्रदेश की कोर कमेटी को सौंपेगा। यह साफ नहीं है। पिछले दो दशक से अब तक हर चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के हाथ में टिकट बंटवारे की कमान होती थी, लेकिन इस बार वे अब तक मुख्यधारा से दूर है। यह साफ नहीं हो पा रहा कि वसुंधरा खुद दूर है या पार्टी नेतृत्व ने उन्हे दूर किया है।वसुंधरा हैं नाराज
यह बात अवश्य सामने आई थी कि प्रदेश में चार परिवर्तन यात्रा निकाले जाने से वसुंधरा नाराज हैं। पूर्व में दो बाद वसुंधरा के नेतृत्व में परिवर्तन यात्रा पूरे प्रदेश में निकाली गई थी। इस बार उन्हे पूर्वी राजस्थान में यात्रा का नेतृत्व करने के लिए कहा गया,जिसे उन्होंने नामंजूर कर दिया।सितंबर के पहले सप्ताह में जब चारों यात्रा रवाना हुई तो वसुंधरा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी.नड्डा,गृहमंत्री अमित शाह,रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गड़करी के साथ मंच पर मौजूद थी, लेकिन उसके बाद वे दिल्ली चली गई, जहां से शुक्रवार को वापस जयपुर लौटी हैं।
वसुंधरा की दूरी का एक बड़ा कारण सीएम फेस भी है। पिछले दो दशक से वसुंधरा ही प्रदेश में सीएम फेस रही हैं। लेकिन इस बार पार्टी ने किसी एक नेता को सीएम का चेहरा घोषित नहीं करने का निर्णय लिया है। चुनाव जीतने के बाद सीएम का नाम तय होगा। प्रदेश भाजपा को उम्मीद है कि 25 सितंबर को होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा के बाद पार्टी के पक्ष में अधिक माहौल बनेगा।