Rajasthan Election Result 2023: भाजपा-कांग्रेस के बीच BSP की एंट्री, राजस्थान में छोटी पार्टियां भी बना रहीं रणनीति
Rajasthan Election Result 2023 छत्तीसगढ़ में इस बार आम आदमी पार्टी भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप) राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) माकपा और बसपा ने प्रत्याशी खड़े किए थे। बाप के प्रत्याशी राजकुमार रोत ने अशोक गहलोत से निकटता का हवाला देकर अपनी पार्टी के नेताओं को कांग्रेस का समर्थन करने को लेकर संकेत दिए हैं। देखना है कि आगे पार्टियों का रुख क्या होगा।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में चुनाव परिणाम आने से पहले कांग्रेस और भाजपा जैसी बड़ी पार्टियों के साथ छोटी पार्टियों ने भी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। बसपा इस बार बाहर से समर्थन देने के बजाय सरकार में शामिल होने के विकल्प पर विचार कर रही है तो राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और भारतीय ट्राइबल पार्टी के नेता निर्दलीयों को साथ जोड़कर दबाव बनाने की जुगत में हैं।
बाप पार्टी ने 17 प्रत्याशी चुनाव में उतारे
राज्य में इस बार आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी), भारतीय आदिवासी पार्टी (बाप), राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी), माकपा और बसपा ने प्रत्याशी खड़े किए थे। इन आधा दर्जन पार्टियों के सात से आठ प्रत्याशियों के चुनाव जीतने की संभावना जताई जा रही है। इसे देखते हुए कांग्रेस और भाजपा के नेताओं ने इन छोटी पार्टियों के नेताओं व प्रत्याशियों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। इनमें बाप के प्रत्याशी राजकुमार रोत ने अशोक गहलोत से निकटता का हवाला देकर अपनी पार्टी के नेताओं को कांग्रेस का समर्थन करने को लेकर संकेत दिए हैं। रोत वर्तमान में विधायक हैं। बाप ने 17 प्रत्याशी चुनाव में उतारे थे।
बाहर से समर्थन देगी बसपा
वहीं, आरएलपी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल का दावा है कि इस बार जनता तीसरा विकल्प चुनेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा के दावे फेल होंगे। तीसरा मोर्चा सरकार बनाएगा। आरएलपी ने 77 प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, जिनमें तीन से चार मजबूत स्थिति में हैं। माकपा दो सीटों भादरा व दातारामगढ़ में मजबूत स्थिति में नजर आ रही है। माकपा नेतृत्व से गहलोत ने संपर्क किया है।बसपा के प्रदेश नेतृत्व की रणनीति है कि यदि दोनों बड़ी पार्टियों में किसी को सरकार बनाने के लिए विधायकों की जरूरत पड़ेगी तो बसपा बाहर से समर्थन नहीं देगी, बल्कि इस बार सरकार में शामिल होगी।
बीटीपी इन जगहों पर है सक्रिय
बीटीपी ने अभी अपना रुख सार्वजनिक नहीं किया है। आप का कोई भी प्रत्याशी मजबूत स्थिति में नजर नहीं आ रहा है। सूत्रों के अनुसार बेनीवाल और बीटीपी के नेता निर्दलीय विधायकों से संपर्क साध रहे हैं। दोनों पार्टियों की रणनीति कांग्रेस और भाजपा पर दबाव बनाकर अपने पक्ष में फैसला करवाने की है। हालांकि इन्होंने अपनी रणनीति जाहिर नहीं की है। उल्लेखनीय है कि बेनीवाल की पार्टी नागौर, जोधपुर व बाड़मेर जिलों में मजबूत स्थिति में है। बीटीपी आदिवासी बहुल बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर व उदयपुर में सक्रिय है।
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