Rajasthan में हार के साथ ही कांग्रेस में बढ़ी कलह, आधा दर्जन नेताओं ने आलाकमान को किया याद; गहलोत को ठहराया जिम्मेदार
राजस्थान में कांग्रेस की हार के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ पार्टी नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस के आधा दर्जन वरिष्ठ नेताओं ने आलाकमान तक संदेश पहुंचाकर गहलोत को हार का बड़ा कारण बताया है। कई नेताओं ने पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा तक संदेश पहुंचाया है कि गहलोत ने पार्टी में नया नेतृत्व तैयार नहीं होने दिया।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस की हार के बाद सोमवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ पार्टी नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है। कांग्रेस के आधा दर्जन वरिष्ठ नेताओं ने आलाकमान तक संदेश पहुंचाकर गहलोत को हार का बड़ा कारण बताया है। इन नेताओं का कहना है कि गहलोत ने तीस साल में हर बार आलाकमान विशेषकर गांधी परिवार का उपयोग किया, लेकिन देने की बारी आई तो उन्हें ही आंख दिखा दी। आलाकमान की इच्छा को दरकिनार कर मनमर्जी से फैसले किए।
गहलोत पर लगाया पार्टी में नया नेतृत्व तैयार नहीं होने देने का आरोप
सूत्रों के अनुसार, पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश चौधरी, गुजरात के पूर्व प्रभारी रघु शर्मा, पूर्व विधायक दिव्या मदेरणा, विधायक दीपेंद्र सिंह शेखावत, खिलाड़ी लाल बैरवा व जीआर खटाना सहित कई नेताओं ने गहलोत के प्रति नाराजगी जताई है। इनमें से कुछ नेताओं ने पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी व महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा तक संदेश पहुंचाया है कि गहलोत ने पार्टी में नया नेतृत्व तैयार नहीं होने दिया।
आलाकमान तक पहुंचाई गई है गहलोत के प्रति नाराजगी
चौधरी लगातार गहलोत पर हमला बोलते रहे हैं। चौधरी ने राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आएलपी) को गहलोत की प्रायोजित पार्टी बताया है। यह बात चौधरी काफी समय से कहते आ रहे हैं। चौधरी का मानना है कि गहलोत कांग्रेस के जिस-जिस नेता का नुकसान करना चाहते हैं, उसके खिलाफ आरएलपी को खड़ी करते रहे हैं। ये नेता अधिकारिक तौर पर तो बोलने को तैयार नहीं हैं, लेकिन चुनाव में पार्टी की हार के दूसरे ही दिन आलाकमान तक गहलोत के प्रति नाराजगी पहुंचाई है।
यह कांग्रेस की नहीं, गहलोत की हारः लोकेश शर्मा
सूत्रों के अनुसार, अधिकांश वर्तमान विधायकों को टिकट दिए जाने और फिर उनके हारने का जिम्मेदार भी इन नेताओं ने गहलोत को ठहराया है। 10 साल तक गहलोत के विशेषाधिकारी रहे लोकेश शर्मा ने कहा कि यह कांग्रेस की नहीं, बल्कि गहलोत की हार है। उन्होंने कहा कि 25 सितंबर, 2022 को आलाकमान के खिलाफ हुआ विद्रोह गहलोत द्वारा प्रायोजित था।
तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देश पर सीएम बदलने को लेकर बुलाई गई विधायक दल की बैठक में विधायकों के नहीं पहुंचने को लेकर गहलोत ने ही अपने विश्वस्तों को जिम्मा सौंपा था।
गहलोत पर अपने समर्थकों को खुश करने का आरोप
नाराज नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार रहते हुए राजनीतिक नियुक्तियों में सभी वर्गों को साधने के बजाय अपने समर्थकों को गहलोत ने खुश किया। अपने समर्थक विधायकों को भ्रष्टाचार करने की खुली छूट दे दी, जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ गई। बसपा और निर्दलीय विधायकों को सरकार में स्थान दिया गया, जिन्होंने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं व नेताओं को नुकसान पहुंचाने का काम किया।
कांग्रेस के कई नए विधायकों ने सचिन पायलट से की मुलाकात
बसपा और निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस के समानान्तर अपनी टीम तैयार कर ली, जिसने पार्टी की विचारधारा के विपरीत काम किया। इन नेताओं का कहना है कि चुनाव प्रचार अभियान भी गहलोत ने खुद पर ही केंद्रित रखा। इस बीच, एक दर्जन से अधिक नये विधायकों ने सोमवार को पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट से मुलाकात की या फिर फोन पर संपर्क किया है।
यह भी पढे़ंः Rajasthan Election Result: '...BJP तय करेगी मेरी भूमिका', CM बनने के सवाल पर क्या बोलीं दीया कुमारी