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Telangana Election 2023: गारंटियों में उलझा तेलंगाना, किस पर भरोसा करें मतदाता; राजनीतिक दलों में वादों की होड़

Telangana Assembly Election 2023 तेलंगाना में भी विधानसभा चुनाव होना है। चुनावों को लेकर तमाम राजनीतिक दल लोक-लुभावन वादे कर रहे हैं। कांग्रेस बीजेपी और बीआरएस कई वादे कर रहे हैं। मतदाताओं का विश्वास जीतने के लिए ये वादे किए जा रहे हैं। तेलंगाना में कांग्रेस भी काफी सक्रिय हो गई है।

By Jagran NewsEdited By: Manish NegiUpdated: Tue, 31 Oct 2023 08:57 PM (IST)
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तेलंगाना में चुनावी वादों की झड़ी

अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। विधानसभा के चुनाव तो पांच राज्यों में हो रहे हैं, लेकिन तेलंगाना की राजनीति में कुछ ज्यादा ही गरमागरमी है। मतदाताओं पर हर तरफ से वादों की बौछारें की जा रही हैं। नई-नई तरह की गारंटियां दी जा रही हैं। एक कह रहा कि मेरी गारंटी पर भरोसा करो। दूसरा उसे काट रहा है और कह रहा है कि हमारी गारंटियां आजमाई हुई हैं। इस्तेमाल के बाद विश्वास करना अधिक व्यावहारिक है। मतदाता क्या करे? किसकी गारंटियों पर ज्यादा भरोसा करे?

राजनीति पूरी तरह गारंटियों में उलझ गई है। भाजपा की जनसभाओं में कांग्रेस एवं बीआरएस के वादों को चुनावी जुमला बताया जा रहा है, जिससे उलझनें और बढ़ रही हैं। आंध्र प्रदेश से 2014 में अलग होने वाले तेलंगाना राज्य में कांग्रेस को पहली बार संभावना नजर आ रही है, इसलिए केसीआर सरकार से सत्ता हथियाने के लिए प्रचार के कई हथकंडे अपनाए जा रहे। कांग्रेस अपने प्रतिद्वंद्वी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) से आगे बढ़कर वादे कर रही है, ताकि मतदाताओं में अधिक भरोसा पैदा हो सके।

कांग्रेस नेता लगातार कर रहे दौरा

राहुल गांधी, प्रियंका गांधी एवं मल्लिकार्जुन खरगे समेत अन्य नेताओं के दौरे लगातार जारी हैं। खजाने का ख्याल किए बिना ही कांग्रेस एवं बीआरएस की सारी सभाओं में गारंटियों को ही प्राथमिकता दी जा रही है। केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की उज्ज्वला, शौचालय एवं जन-धन खाते जैसी कल्याणकारी योजनाओं से मुकाबले के लिए केसीआर सरकार ने भी पहले से ही कई योजनाएं चला रखी हैं, जिनमें प्रमुख है रायथु बंधु। इसके तहत किसानों को प्रतिवर्ष प्रति एकड़ 10 हजार रुपये दिए जाते हैं।

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गारंटी की होड़

कांग्रेस की गारंटी में जब इसे बढ़ाकर 15 हजार रुपये कर दिया गया तो केसीआर को भी पीछे रहना स्वीकार नहीं हुआ। उन्होंने 16 हजार रुपये कर दिया। यानी बीआरएस की सरकार की वापसी होती है तो प्रत्येक किसान को प्रति एकड़ दस हजार के बदले अब 16 हजार रुपये मिलेंगे। इसी तरह घर-घर की जरूरत गैस सिलेंडर की कीमत को लेकर भी दोनों दलों में होड़ दिखी।

कांग्रेस ने पांच सौ रुपये में गैस सिलेंडर देने का वादा किया तो केसीआर ने मात्र चार सौ रुपये में देने का वादा कर दिया। कांग्रेस से एक सौ रुपये कम। कांग्रेस ने महालक्ष्मी गारंटी के तहत महिलाओं को प्रत्येक महीने ढाई हजार रुपये की मदद देने एवं सरकारी बसों में मुफ्त यात्रा का वादा किया तो केसीआर ने तीन हजार रुपये का वादा कर दिया। केसीआर की सरकार पहले से ही किसानों को 24 घंटे बिजली दे रही है। कर्ज माफ कर दिया है। बैंक से लोन लेने की शर्त खत्म कर दी है। कांग्रेस भी कहां पीछे रहने वाली है। इसने भी दो सौ यूनिट बिजली मुफ्त देने का वादा किया है। बेघर लोगों को मकान के लिए पांच लाख रुपये देने का भरोसा दिया है। दोनों का दावा है कि उनकी ही गारंटी पक्की है। दूसरे का छलावा।

हर जगह अलग गारंटी

कांग्रेस सभी पांच राज्यों में चुनाव लड़ रही है, लेकिन आश्चर्य है कि उसकी गारंटियां सभी राज्यों में अलग-अलग हैं। राज्यों और परिस्थितियों के हिसाब से वादे किए जा रहे हैं। अपनी सरकार वाले राज्यों छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान के लिए कांग्रेस की अलग गांरटियां हैं, जबकि विरोधी दलों की सरकार वाले मध्य प्रदेश एवं तेलंगाना के लिए अलग गारंटियां हैं।

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