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Telangana Polls: KCR के सामने सत्ता बचाने से पहले सीट बचाने की चुनौती, क्या BJP-कांग्रेस के चक्रव्यूह का निकाल पाएंगे तोड़?

कल्याण योजनाओं (फ्रीबीज) के सहारे लगातार तीसरी बार वापसी के लिए प्रयासरत मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पूरी ताकत लगा दी है। यही कारण है कि इस बार उन्होंने दो सीटों से नामांकन किया है। परंपरागत सीट गजवेल से लगातार तीसरी बार और कामारेड्डी से पहली बार मैदान में हैं। हैदराबाद से 54 किमी दूर गजवेल में केसीआर अब तक प्रचार के लिए नहीं आए।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Mon, 20 Nov 2023 07:42 PM (IST)
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तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (फोटो: @BRSparty)

अरविंद शर्मा, हैदराबाद। तेलंगाना में सत्ता की लड़ाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। कल्याण योजनाओं (फ्रीबीज) के सहारे लगातार तीसरी बार वापसी के लिए प्रयासरत मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) ने पूरी ताकत लगा दी है। सशंकित भी कम नहीं हैं। सत्ता बचाने से पहले सीट बचाने की चुनौती है। यही कारण है कि इस बार उन्होंने दो सीटों से नामांकन किया है।

परंपरागत सीट गजवेल से लगातार तीसरी बार और कामारेड्डी से पहली बार मैदान में हैं। गजवेल में उनके ही पुराने सहयोगी एटाला राजेंदर ने भाजपा के टिकट पर चुनौती दे रखी है तो कामारेड्डी में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने घेर लिया है, जो कांग्रेस के मुख्यमंत्री दावेदार भी माने जा रहे हैं।

हैदराबाद से 54 किमी दूर गजवेल में हालांकि, केसीआर जीत को लेकर आश्वस्त है और इसीलिए अब तक प्रचार के लिए नहीं आए। अब विरोधी खेमा इसे ही मुद्दा बना रहे हैं, क्योंकि ऐसे भी कई हैं जिन्होंने पिछले दस साल में कभी केसीआर को सामने से देखा ही नही हैं।

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लगभग 60 हजार आबादी वाले गजवेल कस्बे को अपनी किस्मत पर गर्व है। चमचमाती सड़कें शोर मचाती हैं कि यह वीआईपी क्षेत्र है। चार लेन की मुख्य सड़क के बीच में फूलों की क्यारियां आकर्षित करती हैं। चमकीले बोर्ड, अस्पताल, बैंकों की शाखाएं और लोगों की समृद्ध मुस्कान बताती है कि नौ वर्षों में इस क्षेत्र का काफी ख्याल रखा गया है। फिर भी केसीआर शायद भूल रहे हैं कि अलग तेलंगाना के प्रणेता के रूप में वोटरों ने उन्हें 2014 में पसंद किया था। 2018 की कहानी भी अलग थी। तब तेलंगाना भावना उफान पर थी।

गजवेल में KCR के सामने यह चेहरे

कल्याण योजनाओं ने केसीआर की छवि को निखार दिया था। दस वर्षों में स्मृतियां कमजोर हो जाती हैं। लोग भूलने लगते हैं। उसपर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी का मंचों से यह आरोप कि भाजपा और बीआरएस में फिक्सिंग है, केसीआर को परेशान तो कर ही रहा है। हालांकि, सच यह है कि केसीआर के लिए गजवेल की चुनौती इसलिए बड़ी है कि भाजपा के एटाला राजेंदर मैदान में हैं, जो पहले बीआरएस में भी रह चुके हैं। कांग्रेस ने नरसा रेड्डी को उतार रखा है।

क्या KCR से खुश है गजवेल की जनता?

विरोधियों के तमाम हमले के बावजूद आम धारणा है कि गजवेल के लोग केसीआर से खुश हैं। शायद केसीआर को भी ऐसा ही भ्रम है। इसीलिए उन्होंने इस चुनाव में प्रचार के लिए अभी तक गजवेल में कदम नहीं रखा है। चिरपल्ली के गौडाराम कहते हैं कि उन्हें पूरा प्रदेश देखना है। गजवेल के लिए हमलोग पर्याप्त हैं।

बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर नरसिम्हा बताते हैं कि हम वोट देते हैं, लेकिन कभी सामने से देखा नहीं। हमारा काम हो जाता है, मगर मुलाकात नहीं होती। शादी-समारोहों में भी बुलाने पर नहीं आते। केसीआर की इसी शैली को भाजपा प्रत्याशी एटाला उछाल रहे हैं।

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केसीआर सरकार में स्वास्थ्य एवं वित्त विभाग संभाल चुके एटाला तेलंगाना आंदोलन में भी साथ थे। जमीन घोटाले के आरोप में 2021 में केसीआर ने बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गए। एटाला लोगों को केसीआर के पुराने वादों की याद दिला रहे हैं। रैलियों में कहते हैं कि 2018 के चुनाव में केसीआर ने गरीबों को टू-बीएचके फ्लैट, प्रत्येक परिवार में एक को नौकरी एवं विभिन्न स्तरों पर राज्य सरकार में दो लाख वैकेंसी को भरने की कसम खाई थी। जो कहा था वो दिया क्या?

मुदिराज समुदाय से आते हैं एटाला

एटाला खुद को भी एक राजनीतिक पीड़ित बताते हैं। केसीआर की मुश्किलें इसलिए भी बढ़ती दिख रही है कि एटाला मुदिराज समुदाय से आते हैं, जो ओबीसी है। गजवेल विधानसभा क्षेत्र में इसकी आबादी लगभग 60,000 है, जबकि केसीआर वेलमा जाति से हैं, जिसकी आबादी प्रदेश में बहुत ही कम है। चुनौतियां कांग्रेस की ओर से भी है। केसीआर को भरोसा अपनी उन कल्याणकारी योजनाओं पर है, जिन्हें वह नौ वर्षों से चलाते आ रहे हैं।

बीआरएस के प्रचारक वोटरों को आगाह करते हैं कि कांग्रेस अगर सत्ता में आ गई तो ये सारी योजनाएं बंद हो जाएंगी, मगर कांग्रेस वोटरों को आगे की दुनिया दिखा रही है। उसकी छह गारंटियों में उन सारी योजनाओं की राशि लगभग दुगुनी है जिन्हें केसीआर की सरकार ने पहले से चला रखा है।