तेलंगाना चुनाव को त्रिकोणीय नहीं बनने देने को लेकर कांग्रेस सतर्क, हफ्ते में दूसरी बार राहुल गांधी करेंगे राज्य का दौरा
तेलंगाना चुनाव को त्रिकोणीय नहीं बनने देने को लेकर कांग्रेस सरकार काफी सतर्क हो गई है। कांग्रेस के तेलंगाना चुनाव से जुड़े रणनीतिकारों के अनुसार भाजपा विधानसभा चुनाव में भीतरी तौर पर केसीआर की मदद करना चाह रही और बदले में लोकसभा चुनाव में अपने लिए बेहतर गुंजाइश बनाने की जुगत में है।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। तेलंगाना में केसीआर सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का फायदा मिलने की उम्मीद कर रही कांग्रेस चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की भाजपा की कोशिशों को लेकर बेहद सतर्क हो गई है। सूबे की सत्ता हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही पार्टी मुकाबले को त्रिकोणीय नहीं बनने देना चाहती क्योंकि इसका चुनावी फायदा तेलंगाना की सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति को हो सकता है।
इसके मद्देनजर अपने तमाम दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारने के भाजपा की रणनीति को कांग्रेस परोक्ष रूप से बीआरएस की मदद का दांव मान रही है। इसलिए पार्टी ने तय किया है कि भाजपा और केसीआर के बीच कथित सांठगांठ को चुनाव अभियान में और ज्यादा आक्रामक तरीके से उठाया जाएगा।
इस मुद्दे को जोर-शोर से किया जाएगा प्रचारित
इस क्रम में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी के कविता की दिल्ली के कथित शराब घोटाला मामले में उनके खिलाफ इडी की ओर से कार्रवाई नहीं करने का मुद्दा जोर-शोर से प्रचारित किया जाएगा। कांग्रेस के तेलंगाना चुनाव से जुड़े रणनीतिकारों के अनुसार, भाजपा विधानसभा चुनाव में भीतरी तौर पर केसीआर की मदद करना चाह रही और बदले में लोकसभा चुनाव में अपने लिए बेहतर गुंजाइश बनाने की जुगत में है। उनके अनुसार तेलंगाना के भाजपा उम्मीदवारों की सूची में सूबे तीन सांसदों के साथ तमाम ऐसे नेताओं को भी उतारा गया है जो लोकसभा चुनाव के लिए भी भाजपा के संभावित प्रत्याशी हैं।
कर्नाटक चुनाव के बाद भाजपा का सियासी ग्राफ आया नीचे
इनके चुनाव मैदान में उतरने का लक्ष्य साफ है कि सत्ता विरोधी मतों का बंटवारा किया जाए। उनके मुताबिक तेलंगाना में पिछले छह महीने के दौरान विशेष कर कर्नाटक चुनाव के बाद भाजपा का सियासी ग्राफ नीचे आया है और इसका फायदा कांग्रेस को मिला है।कांग्रेस इसी वजह से केसीआर की सत्ता के लिए गंभीर चुनौती बन गई है। तेलंगाना कांग्रेस के प्रभारी माणिक राव ठाकरे इस बारे में कहते हैं कि पीएम मोदी-केसीआर की गहरी दोस्ती से सूबे के लोग वाकिफ हैं। चुनाव में केसीआर पर पीएम का हमला केवल दिखावा है और भाजपा के उम्मीदवार तय करने में भी बीआरएस की सलाह की अहम भूमिका है।
केसीआर पर राहुल गांधी का हमला
वैसे कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पहले से ही केसीआर पर हमलावर हैं और पिछले हफ्ते तेलंगाना के तीन दिन के अपने दौरे की लगभग हर चुनावी सभा में उन्होंने बीआरएस-भाजपा और एएमआइएम को एक बताने से गुरेज नहीं किया। राहुल इस हफ्ते भी चुनाव प्रचार के लिए तेलंगाना जाएंगे और पार्टी के रूख से साफ है कि भाजपा-केसीआर पर उनका हमला अब और ज्यादा तीखा होगा।