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Telangana Polls: तेलंगाना में वादे भी नहीं दे रहे जीत की आश्वस्ति, सभी दलों की गारंटियों के नफा-नुकसान को तौल रहे हैं मतदाता

दक्षिण भारत के प्रवेश द्वार तेलंगाना में सत्ता की लड़ाई हिंदी पट्टी के राज्यों से पूरी तरह अलग दिख रही है। सभी दलों के घोषणा पत्र जारी हो चुके हैं। कांग्रेस और भाजपा के घोषणा पत्रों में वादों की बरसात के बाद बीआरएस सरकार की नौ वर्षों की रेवड़ियां भी तराजू पर चढ़ गई हैं। पिछले चुनाव के वादों को भी वोटरों ने पूरी तरह भुलाया नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sun, 19 Nov 2023 08:23 PM (IST)
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तेलंगाना में जमकर हो रहा प्रचार (जागरण फोटो)

अरविंद शर्मा, हैदराबाद। दक्षिण भारत के प्रवेश द्वार तेलंगाना में सत्ता की लड़ाई हिंदी पट्टी के राज्यों से पूरी तरह अलग दिख रही है। सभी दलों के घोषणा पत्र जारी हो चुके हैं। उनकी गारंटियां भी सामने आ चुकी हैं। क्षेत्रीय शक्ति के रूप में भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने दोनों राष्ट्रीय दलों भाजपा एवं कांग्रेस को पसीना-पसीना कर दिया है। फिर भी अभी तक दावे के साथ कोई नहीं कह सकता है कि जीत उसी की होगी। सबकी गारंटियों को अपने नफा-नुकसान के पैमाने पर तौला जा रहा है।

कांग्रेस और भाजपा के घोषणा पत्रों में वादों की बरसात के बाद बीआरएस सरकार की नौ वर्षों की रेवड़ियां भी तराजू पर चढ़ गई हैं। पिछले चुनाव के वादों को भी वोटरों ने पूरी तरह भुलाया नहीं है। उन्हें नई गारंटियां ललचा रही हैं, लेकिन पुराने वादों के लिए भी मचलना कम नहीं हुआ है। गांवों एवं कस्बों में आकलन किया जा रहा है कि किस दल की गारंटी में कितना दम है।

जनता का झलक रहा गुस्सा

हैदराबाद राजधानी क्षेत्र के लोग तहजीब में जीते हैं। पर्दे में रहकर रेवड़ियों की अपेक्षा करते हैं, लेकिन बाहर निकलते ही सबकुछ शीशे की तरह दिखने लगता है। किसी को टू-बीएचके फ्लैट नहीं मिला है तो कोई दलित बंधु योजना से अभी तक वंचित है। गुस्सा झलक रहा है।

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मतदाताओं का सत्ता विरोधी तेवर देखकर एक मोहल्ले में लगता है कि इस बार कुछ अलग होने जा रहा है, लेकिन अगले ही मोड़ पर उत्साहित मतदाता रेवड़ियों की लिस्ट लिए खड़े मिल जाते हैं। उनकी बातों का संकेत होता है कि तीसरी बार भी कुछ नहीं बदलने जा रहा है। हैदराबाद और मुख्यमंत्री केसीआर के क्षेत्र गजवेल के बीच में मियापुर चौक पर प्रचार का शोर प्रगति पर दिखा।

नमकीन की दुकान पर खड़े बालाराजू कहते हैं कि कार्यकर्ताओं के लिए यह कमाई का मौसम है। सुबह बीआरएस की बैठक में तो दोपहर कांग्रेस की रैली में और शाम तक भाजपा भी अछूत नहीं। सबने पारिश्रमिक तय कर रखा है।

पैसे लेकर पार्टियों के झोले ढोने से इतर सलमान कार चलाकर परिवार का गुजारा करना पसंद करते हैं। कहते हैं कि साहब पेट नहीं होता तो आपसे भेंट नहीं होती। पार्टियां केवल प्रचार के दौरान ही पेट भरती हैं। सभाओं में जाने और नारे लगाने के लिए 300 से 400 रुपये और खाना बंधा हुआ है, लेकिन सालों तक चुनाव नहीं होता न बाकी समय तो अपने दम पर कमाकर ही परिवार का पेट पालना है। इसलिए मैं किसी नेता के चक्कर में नहीं पड़ता।

KCR का गृह नगर गजवेल

तेलंगाना के सबसे समृद्ध इलाकों में गजवेल विधानसभा क्षेत्र की गिनती होती है, क्योंकि यह के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) का गृह नगर है। हैदराबाद से लगभग 54 किलोमीटर दूर इस क्षेत्र में केसीआर तीसरी बार मैदान में हैं।

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गजवेल के वी. अखिल सिकंदराबाद में टेंपू चलाते हैं। उन्हें इससे मतलब नहीं कि तेलंगाना का विकास कौन करेगा। सारा मतलब अपने से है। पर्दे में रहकर बातें नहीं करते। खुलकर कहते हैं कि राजनीति नहीं जानते हैं, लेकिन इतना पता अवश्य रखते हैं कि किसकी सरकार बनने से मेरा कितना भला होगा। केसीआर ने गरीबों को फ्लैट देने का वादा किया था। आज भी किराए के मकान में ही रहता हूं। प्रतिक्रिया कैसे नहीं होगी?

पास में ही सब्जी का ठेला लगाने वाले ई. स्वामी को अखिल की बात नागवार लगती है। फ्लैट की चाबी दिखाकर कहते हैं 20 वर्षों से वह सब्जी का ठेला लगाते हैं। अपना घर का सपना था। सरकार ने पूरा कर दिया।