Move to Jagran APP

फुटबाल का फीवर होगा दोगुणा, मैच से पहले लीजिए इन फिल्मों का मजा

लंबे समय से हो रहा है फीफा विश्व कप का इंतजार। हर दिन जब दूर कतर में समय की दूरी के चलते फुटबाल मैचों का देर रात तक इंतजार तो क्यों न तब तक होम थिएटर पर करें इस खेल के इर्द-गिर्द बनी कुछ फिल्मों का दीदार

By Aarti TiwariEdited By: Updated: Fri, 11 Nov 2022 05:31 PM (IST)
Hero Image
ये फिल्में बढ़ाएंगी फीफा विश्‍व कप का फीवर
 एस्केप टू विक्ट्री (1981)

फुटबाल पर केंद्रित सबसे बेहतरीन फिल्मों में शुमार। इसकी स्टोरीलाइन यह है कि किस तरह से द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान युद्धबंदी जर्मनी की एक जेल में आते हैं और देखते ही देखते एक बेहद दिलचस्प मैच का हिस्सा बन जाते हैं। इस फिल्म का निर्देशन जान ह्यूस्टन ने किया था, जिसमें माइकल केन और सिलवेस्टर स्टेलोन के अलावा महान खिलाड़ी पेले, बाबी मूर, ओस्वाल्डो आर्दिलेस आदि भी थे।

साहेब (1985)

अनिल गांगुली निर्देशित यह फिल्म अस्सी के दशक की है। शर्मा जी (उत्पल दत्त) अपने चार बेटों और एक बेटी के साथ संयुक्त परिवार में रहते हैं। अपने चौथे बेटे सुनील (अनिल कपूर) को वह निखट्टू मानते हैं, जो फुटबाल खेलने में लगा रहता है। बाद में बहन की शादी के लिए यही भाई अपनी किडनी बेचकर पैसों का इंतजाम करता है।

एनी गिवन संडे (1999)

इस फिल्म से निर्देशक आलिवर स्टोन ने साबित किया था कि वे थ्रिलर के अलावा अन्य विषयों पर फिल्म बनाने की कुव्वत भी रखते हैं। इसमें अल पचीनो, कैमरून डियाज, डैनिस क्वैड, जेम्स वुड्स जैसे सितारों ने काम किया था। फिल्म में फुटबाल टीमों, विभिन्न क्लबों के बीच फुटबाल खिलाडिय़ों, सटोरियों और माफिया की झलकियों के साथ दिखाया गया था कि जितना खेल मैदान पर होता है, उससे कहीं ज्यादा बाहर भी होता है।

बेंड इट लाइक बेकहम (2002)

भारतीय मूल की ब्रिटिश फिल्म निर्माता गुरिंदर चड्ढा की यह फिल्म एक भारतीय लड़की की फुटबाल खेलने की तमन्ना पर आधारित थी। फिल्म में लंदन में रहने वाली एक सिख युवती के परिवार के विरोध के बावजूद उसके फुटबाल खेलने के जुनून को दिखाया गया है। इसमें प्रमुख भूमिका परमिंदर नागरा ने निभाई थी। उनके पिता की भूमिका में अनुपम खेर थे।

गोल 2 (2007)

हालीवुड फिल्म गोल ट्रायलाजी के पार्ट- 2 'गोल 2Ó में एक फिक्शनल किरदार सैंटियागो मुटेंज की कहानी को दिखाया गया। इस कड़ी का पहली और तीसरी कड़ी से कोई सीधा नाता तो नहीं था, लेकिन एक ट्रायलाजी के हिसाब से इसे फुटबाल के उसी जोश और जुनून केहिसाब से बनाया गया था, जो इसके पहले दो भागों में था।

ग्रेसी (2007)

माना जाता है कि इस फिल्म ने अमेरिका में महिलाओं द्वारा फुटबाल खेलने की सोच को बदलने में अहम भूमिका निभाई। ग्रेसी बावेन के रूप में इसका मुख्य किरदार अभिनेत्री कार्ले शाडर द्वारा निभाया गया था। फिल्म में 70 के अंतिम और 80 के शुरुआती दौर में फुटबाल के प्रति दर्शकों की दीवानगी को दिखाया गया है।

दन दनादन गोल (2007)

जान अब्राहम अभिनीत यह फिल्म फुटबाल पर बनी पहली प्रमाणिक हिंदी फिल्म थी। इस फिल्म में एक ऐसे फुटबाल क्लब (साउथहाल यूनाईटेड) की कहानी बयां की गई थी जिसके पास न तो कोई स्टार खिलाड़ी है, न कोच है और न प्रायोजक। आर्थिक दिक्कतों में घिरे क्लब की एक सबसे बड़ी समस्या का अंतिम हल यह निकलता है कि अगर वह फुटबाल लीग खिताब को जीत ले तो उसकी जमीन बच सकती है। विवेक अग्निहोत्री निर्देशित इस फिल्म में बिपाशा बसु, बोमन ईरानी, अरशद वारसी, राज जुत्शी, दिलीप ताहिल आदि प्रमुख भूमिका में थे!