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OTT छोड़कर इन पुरानी फिल्मों को सिनेमाघरों में देखने के लिए लोग क्यों कर रहे हैं जेब ढीली, जानिए 5 कारण

सिनेमाघरों में भी एक बार फिर से ओल्ड इज गोल्ड वाला फॉर्मूला अपनाया जा रहा है। पिछले काफी समय से 80-90 और 2000 की कई यादगार फिल्में सिनेमाघरों में फ्राइडे को री-रिलीज की जा रही हैं। जहां नई फिल्मों को अपना बजट निकालने में भी मशक्कत करनी पड़ रही है वहीं ये पुरानी फिल्में दोबारा रिलीज के बाद अच्छी कमाई कर रही हैं। क्या है इसकी वजह चलिए जानते हैं-

By Tanya Arora Edited By: Tanya Arora Updated: Sat, 14 Sep 2024 05:36 PM (IST)
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पुरानी फिल्मों की री-रिलीज की पांच वजह/ फोटो- IMDB

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। किसी ने सही कहा है लाइफ इस फुल ऑफ सर्कल और बॉलीवुड में भी ये बात अप्लाई होती है। पुराना दौर एक बार फिर से लौट चुका है और कई पुरानी फिल्में दोबारा से सिनेमाघरों में दस्तक दे रही हैं। तुम्बाड़ से लेकर रहना है तेरे दिल में, रॉकस्टार, लैला मजनू, परदेस सहित कई फिल्मों को हर फ्राइडे री-रिलीज की जा रही हैं।

हालांकि, ये फिल्में ओटीटी पर भी उपलब्ध हैं, लेकिन इसके बावजूद ऑडियंस सिनेमाघरों तक जा रही है और इन फिल्मों पर दोबारा पैसा खर्च करने से नहीं कतरा रही है। क्यों लोग इन फिल्मों पर बिना सोचे-समझे अपना समय और पैसा खर्च कर रहे हैं और इससे थिएटर ओनर्स को क्या प्रॉफिट हो रहा है, चलिए जानते हैं उसके पांच कारण-

कोई बड़ी फिल्म नहीं दिखा पा रही कमाल

बीता साल बॉक्स ऑफिस के लिए अच्छा बीता। पठान-जवान और एनिमल जैसी फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल भी दिखाया। हालांकि, 2024 जैसे ही आया वैसे ही बॉलीवुड फिल्मों का भट्ठा एक बार फिर से बैठ गया। इस साल सिर्फ स्त्री 2- कल्कि 2898 एडी और शैतान जैसी फिल्में ही बॉक्स ऑफिस पर कमाल कर पाई। इसके अलावा कई सुपरस्टार्स की फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर पानी भी नहीं मांगा।

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कब ये फिल्में आईं और कब थिएटर से हटी, ये भी नहीं पता चला। लोगों को नई फिल्मों को देखने की उत्सुकता इसलिए भी नहीं है, क्योंकि मेकर्स या तो अधिकतर एक्शन मूवी लेकर आ रहे हैं, या ज्यादातर ऐसे कांसेप्ट जो दर्शकों को घिसे-पिटे लग रहे हैं। जिसकी वजह से नई फिल्मों के लिए दर्शक थिएटर का रुख करने और पैसे खर्च करने में भी सोच रहे हैं।

री-रिलीज पर फिल्म के चलने के चांस

साल 2018 में जब इम्तियाज अली की फिल्म लैला-मजनू रिलीज हुई थी, तो ये फिल्म बुरी तरह से पिट गई थी, लेकिन मेकर्स ने जब इसे 2024 में दोबारा री-रिलीज किया, तो फिल्म ने अपनी पूरी लागत निकाल ली। कुछ ऐसा ही रॉकस्टार की री-रिलीज के साथ भी हुआ, इस फिल्म ने री-रिलीज पर तकरीबन आठ करोड़ के आसपास का बिजनेस किया।

2024 में जहां नई फिल्मों को थिएटर तक ऑडियंस को लाने में मशक्कत करनी पड़ रही है, तो वहीं थिएटर के मालिक पुरानी फिल्मों साथ एक चांस ले रही है। खास बात ये है की फिल्में पहले के मुकाबले दूसरी बार ज्यादा पैसा कमा रही है।

थिएटर के मालिकों की हो रही है भरपाई

कोरोना वायरस आने के वजह से साल 2020 में बड़े-बड़े थिएटर्स पर ताला लग गया था। सिनेमाघरों में ऑडियंस को बिना डर के लौटने में तकरीबन तीन साल लगे हैं ऐसे में मल्टीप्लेक्स से लेकर बड़े-बड़े थिएटर के मालिकों को काफी नुकसान झेलना पड़ा है।

इस बात से सब वाकिफ हैं कि 80-90 और 2000 के दौर की फिल्मों का अपना ही क्रेज रहा है, ऐसे में जिन्होंने उस समय अपनी पसंदीदा फिल्में नहीं देखी हैं, वह अब उन मूवीज को देख पा रहे हैं। खास बात ये है कि ज्यादातर ऑडियंस पुरानी फिल्मों को थिएटर में देखने आए, इसके लिए वह टिकट प्राइस भी कम रखते हैं, जो लोगों को भी महंगी नहीं लगती।

स्टारडम है एक बड़ा फैक्टर

शाह रुख-सलमान खान, अक्षय कुमार और रजनीकांत जैसे सुपरस्टार्स के दीवाने सिर्फ 90 के किड्स ही नहीं हैं, बल्कि आज की जनरेशन भी है। आज की जेन-जी ने उनकी बड़ी-बड़ी फिल्मों के बारे में सुना तो है, लेकिन देखा नहीं है। सलमान खान को एक्शन करते देख, शायद उनकी युवा फैंस ये नहीं जानते की एक समय पर वह सिर्फ फैमिली और रोमांटिक फिल्में करते थे। ऐसे में वह अपने पसंदीदा सितारे की फिल्म को देखने के लिए थिएटर का रुख कर रहे हैं।

ओटीटी पर मौजूद फिल्मों को सिनेमाघरों में देखने की वजह

पुरानी सभी फिल्में ओटीटी पर ऑडियंस को अलग-अलग प्लेटफॉर्म्स पर देखने को मिल जाती हैं, लेकिन शायद उन्हें लार्जर देन लाइफ का वह अनुभव नहीं मिलता, जो उन्हें थिएटर में मिलता है, फिर भले ही उन्हें उसके लिए पैसे खर्च करने पड़े। ये भी एक वजह है कि लोग पुरानी फिल्मों के लिए भी थिएटर पहुंच जाते हैं।

इसकी दो और बड़ी वजह हैं, पहली फिल्मों की माउथ पब्लिसिटी और दूसरी सोशल मीडिया पर पुरानी फिल्मों की छोटी-छोटी क्लिप्स का वायरल होना, जो लोगों को थिएटर तक लेकर आ रहे हैं।

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