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अभिषेक बच्चन ने आराध्या की स्मार्टनेस का श्रेय दिया पत्नी को, बताया घर पर एश्वर्या राय कैसे रखती हैं बेटी का ध्यान

सात अप्रैल को नेटफ्लिक्स पर रिलीज होने वाली आगामी फिल्म ‘दसवीं’ को लेकर अभिषेक बच्चन ने जागरण डाट कॉम की प्रियंका सिंह के साथ की एक खास मुलाकात। जिसके दौरान उन्होंने फिल्मों से लेकर पर्सनल लाइफ तक कई बातें शेयर कीं।

By Vaishali ChandraEdited By: Updated: Sun, 03 Apr 2022 07:04 AM (IST)
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Abhishek Bachchan, Aishwarya Rai, Aaradhya Bachchan, Instagram
प्रियंका सिंह, मुंबई जेएनएन। फिल्म ‘लूडो’, ‘बाब बिस्वास’ और वेब सीरीज ‘ब्रीद: इनटू द शैडोज’ से डिजिटल प्लेटफार्म पर दर्शकों का मनोरंजन करने वाले अभिनेता अभिषेक बच्चन हर दर्शक की प्रतिक्रिया को मानते हैं अहम। सात अप्रैल को नेटफ्लिक्स पर रिलीज होने वाली अपनी आगामी फिल्म ‘दसवीं’ को लेकर अभिषेक बच्चन ने प्रियंका सिंह के साथ साझा किए अपने जज्बात...

बीते दिनों आपने इंस्टाग्राम पर अपनी फिल्मों पर बात न कर पाने को लेकर पोस्ट लिखी थी। क्या अब फ्रंटफुट पर खेलने का वक्त आ गया है?

(हंसते हुए) मुझे बहुत ध्यान देना होगा कुछ भी लिखने से पहले। दरअसल, मेरा व्यक्तित्व ही ऐसा है। मेरी आदत नहीं रही है कि मैं अपने काम के बारे में बात करूं। पहले मैं शर्माता था, लेकिन आजकल का जमाना है कि अपने काम को लेकर बात करो। मैंने उस फिल्म को बनाने में मेहनत की है तो यह बोलने में क्या गलत है कि मैंने अच्छी फिल्म बनाई है।

21 साल के करियर में इतनी फिल्में करने के बाद भी क्या आगामी फिल्म आपको नर्वस करती है?

हां, क्योंकि फिल्में करना कभी आसान नहीं होता। एक फिल्म बनाना बहुत ही कठिन काम है और होना भी चाहिए। जीवन में कोई भी चीज आसानी से नहीं मिलनी चाहिए। जब कोई चीज जीवन में आसानी से मिल जाती है तो मैं उससे थोड़ा डर जाता हूं। मेरे दादा जी (स्व. हरिवंश राय बच्चन) ने मेरे पिता जी (अमिताभ बच्चन) से और मेरे पिता जी ने मुझसे कहा था कि जब तक जीवन है संघर्ष है, इस बात को हमेशा याद रखना। यह मान लो कि यह कभी बदलने वाला नहीं है। जिस दिन जागे और संघर्ष नहीं करना पड़े तो समझ लीजिए कोई समस्या है। फिल्म मुश्किल होनी ही चाहिए। अगर वह आपको चुनौती नहीं देगी तो आप बदल नहीं पाएंगे।

आपने बताया था कि आप अपनी पहली फिल्म से ही उसे मिले रिव्यू को बाथरूम में लगाकर रखते हैं...

मैं रिव्यू को गंभीरता से इसलिए लेता हूं, क्योंकि जो मेरे बारे में ये जो लिख रहे हैं, वे भी मेरे दर्शक हैं। अगर आपकी कोई राय मेरे काम के बारे में है और रिव्यू के जरिए आप मुझे बता सकते हैं कि मैं क्या गलत कर रहा हूं तो यकीनन मुझे उसे गंभीरता से लेना चाहिए। कोई मुझे मेरे काम के बारे में बता रहा है तो मैं क्यों न सुनूं?

अगर मैं उसे सुनना बंद कर दूंगा तो इसका मतलब मुझमें अहंकार है। अहंकार किसी भी कलाकार के लिए जहर है। फिर मेरा माइंडसेट यह होगा कि सामने वाला कुछ जानता नहीं है, मैं सब कुछ जानता हूं। जिस दिन कलाकार ऐसा सोचना शुरू कर देगा, उसका अंत बहुत नजदीक होगा। एक कलाकार को स्पंज की तरह होना चाहिए। उसे ज्ञान को खुद के भीतर सोखना आना चाहिए। हो सकता है मेरे सहकर्मी ऐसा न सोचते हों। मेरे लिए हर राय, हर टिकट, हर दर्शक मायने रखता है।

लगातार दिखते रहना आपके लिए कितना जरूरी है?

बहुत जरूरी है। कई कलाकार इतना अच्छा काम कर रहे हैं, बहुत जरूरी है कि मैं भी काम करता रहूं। स्टारडम जैसी बातों के जाल में न फंसें। सिर्फ अच्छा काम करें, लोग आपको याद रखेंगे। मैंने हमेशा माना है कि काम अच्छा होगा, तो लोग सिर-आंखों पर बिठाएंगे। स्टारडम इसका बायप्रोडक्ट है, जो अच्छा काम करने पर मिल ही जाएगा।

इस फिल्म में आप एक उम्र के बाद पढ़ाई करते हैं, जिसमें मुश्किलें भी आती हैं। आपके लिए ऐसी कौन सी ऐसी चीजें हैं, जिन्हें अपनाना या सीखना अब कठिन है?

वाकई इस बारे में मुझे सोचना होगा कि क्या है, जो इस उम्र में मैं आसानी से नहीं अपना पाऊंगा। शायद एडजस्टमेंट, क्योंकि हम अपने जीवन में इतने सेट हो जाते हैं कि बस यही करना है। नए माहौल में शायद एडजस्ट नहीं करूंगा। पढ़ाई से जुड़ी चीजें शायद मैं आसानी से कर पाऊं, क्योंकि अब मस्तिष्क इतना विकसित है, इसमें जीवन का अनुभव जुड़ा हुआ है।

आप पर पढ़ाई करने के लिए दबाव डाला जाता था या आप पढ़ाई में अच्छे थे?

नहीं, मेरे माता-पिता ने मुझे किसी भी चीज के लिए कभी फोर्स नहीं किया। इस पर जोर दिया है कि भइया, आप इंसान अच्छे बनो। इसी पर ध्यान दो, बाकी सब अपने आप ही ठीक हो जाएगा।

आपकी दसवीं कक्षा से जुड़ी क्या यादें हैं? आपकी बेटी आराध्या भी पढ़ रही है। उसकी पढ़ाई और अपनी पढ़ाई में कितना अंतर पाते हैं?

मैंने अपनी दसवीं की पढ़ाई यूरोप से की है। वहां का माहौल, सिलेबस, एजुकेशन सिस्टम सब यहां से बहुत अलग है। आराध्या अभी बहुत छोटी हैं। वह पांचवी कक्षा में हैं। यहां और वहां के पढ़ाई के बीच तुलना करना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल होगा, क्योंकि मैं यहां की शिक्षा व्यवस्था से बहुत भली-भांति वाकिफ नहीं हूं।

आराध्या का एक वीडियो पिछले दिनों वायरल हुआ था, जिसमें वह हिंदी में कविता बोल रही थीं...

हां, यह ऐश्वर्या की मेहनत है। इसका श्रेय उनको जाना चाहिए। वह दिन-रात आराध्या पर मेहनत करती हैं। उन्हें पढ़ाती हैं। मैं अपने काम में व्यस्त रहता हूं तो मुझे उनके साथ बैठने या पढ़ाने का मौका नहीं मिलता है।