अभिनेत्री अचला सचदेव हिंदी सिनेमा की लोकप्रिय मां रही हैं। बलराज साहनी देव आनंद से लेकर शाह रुख खान तक उन्होंने अलग- अलग पीढ़ियों के साथ काम किया। इसके अलावा 1965 में आई फिल्म वक्त के गाने ऐ मेरी जोहरा जबीं ने भी अचला सचदेव को खूब पहचान दिलाई लेकिन अंत समय में अभिनेत्री अकेले रह गईं। यहां तक कि उन्हें अपने इलाज के लिए भी संघर्ष करना पड़ा।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। हिंदी सिनेमा में कई ऐसे सितारे रहे हैं, जो दुनिया को अलविदा कहने के बाद भी यादगार बन गए। करियर में खूब शोहरत भी कमाई, लेकिन आखिरी वक्त तंगहाली में गुजरा। यहां तक कि इलाज कराने के लिए भी पाई- पाई को तरस गए। ऐसी ही एक अभिनेत्री हैं अचला सचदेव, जिन्होंने बॉलीवुड में मां का किरदार निभाने के लिए पहचान पाई।
अचला सचदेव ऐसी अभिनेत्री हैं, जिन्होंने बलराज साहनी से लेकर शाह रुख खान तक, सितारों की कई पीढ़ी के साथ काम किया।
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रेडियो में किया काम
पाकिस्तान के पेशावर में जन्मी अचला सचदेव ने 'ऑल इंडिया रेडियो' में बतौर अनाउंसर भी काम किया। पहले लाहौर और बंटवारे के बाद दिल्ली 'ऑल इंडिया रेडियो' से जुड़ीं। अचला सचदेव ने 'कल हो न हो', 'कभी खुशी कभी गम' और 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' में शाह रुख खान की दादी के किरदार में नजर आई थीं।
इन फिल्मों में किया काम
1950 में अचला सचदेव को देव आनंद की फिल्म 'दिलरुबा' में काम करने का मौका मिला। मूवी में उन्होंने देव साहब की बहन का रोल अदा किया था। इसके बाद अचला सचदेव के लिए हिंदी सिनेमा के दरवाजे हमेशा के लिए खुल गए, क्योंकि फिल्म हिट साबित हुई थी। 'दिलरुबा' की सफलता के बाद अभिनेत्री 'चांदनी', 'प्रेम पुजारी', 'मेरा नाम जोकर', 'हरे राम हरे कृष्ण', 'संगम', 'दिल एक मंदिर' और 'मिस मैरी' समेत कई फिल्में में नजर आईं।
सिनेमा की जोहरा जबीं
अचला सचदेव सबसे ज्यादा मां का किरदार निभाने के लिए फिल्म इंडस्ट्री में जानी गईं। साल 1965 में आई फिल्म 'वक्त' में अभिनेत्री बलराज साहनी के साथ नजर आई थीं। फिल्म में उन्होंने अभिनेता की पत्नी की भूमिका निभाई थी। वक्त में बलराज साहनी और अचला सचदेव पर फिल्माया गया गाना 'ऐ मेरी जोहरा जबीं' खूब पॉपुलर हुआ था।
अंत में रह गईं अकेली
अचला सचदेव की निजी जिंदगी की बात करें, तो उन्होंने दो बार शादी की। उनके पहले पति ज्ञान सचदेव एक निर्देशक थे। इस शादी से उन्हें एक बेटा हुआ, जिसे उन्होंने जोथिन सचदेव नाम दिया। हालांकि, शादी के कुछ साल बाद अचला और ज्ञान अलग हो गए और उनका बेटा जोथिन अमेरिका चला गया। ज्ञान से तलाक के बाद, अचला ने क्लिफर्ड डगलस पीटर्स से शादी की। क्लिफोर्ड से शादी करने के बाद, वह पुणे में बस गईं। दुर्भाग्य से पीटर्स का निधन हो गया और अचला सचदेव अकेली पड़ गईं।
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आखिरी वक्त में पहचानना हुआ मुश्किल
पुणे में अचला सचदेव अकेले रह रही थीं। इस दौरान वो आर्थिक रूप से भी कमजोर हो चुकी थीं। एक दिन वो फिसल कर अपने किचन में गिर गईं, जिससे उनके पैर की हड्डी टूट गई। इसके थोड़े वक्त बाद उन्हें लकवा मार गया। अपने अंतिम दिनों में अचला पहचान में नहीं आ रही थीं। 3 महीने तक अस्पताल में संघर्ष करने के बाद 30 अप्रैल 2012 को उनका निधन हो गया। आखिरी वक्त में अमेरिका में रह रहे अचला सचदेव के बेटे ने भी उनकी सुध नहीं ली।