'एक्टिंग पैदाइशी प्रतिभा नहीं, आप भी सीखकर बन सकते हैं कलाकार', स्ट्रगल के दिनों को याद कर विजय सेतुपति का छलका दर्द
फिल्म इंडस्ट्री में कई कलाकार ऐसे हैं जो प्रशिक्षण लेने के बाद अभिनय कर रहे हैं। वहीं कुछ कलाकारों सेट पर ही सीखकर आगे बढ़े हैं। बात करें अगर दक्षिण भारतीय अभिनेता विजय सेतुपति की तो उनकी पूरी प्रक्रिया ही अलग रही। वह कहते हैं कि सिनेमा के लिए बहुत जुनून नहीं था। जब मेरी पत्नी मां बनने वाली थीं तब मैंने इंटीरियर डेकोरेशन का बिजनेस शुरू किया था।
जागरण संवाददाता, मुंबई। फिल्म इंडस्ट्री में कई कलाकार ऐसे हैं, जो प्रशिक्षण लेने के बाद अभिनय कर रहे हैं। वहीं कुछ कलाकारों सेट पर ही सीखकर आगे बढ़े हैं। बात करें अगर दक्षिण भारतीय अभिनेता विजय सेतुपति की, तो उनकी पूरी प्रक्रिया ही अलग रही। वह कहते हैं कि सिनेमा के लिए बहुत जुनून नहीं था। जब मेरी पत्नी मां बनने वाली थीं तब मैंने इंटीरियर डेकोरेशन का बिजनेस शुरू किया था।
वह कुछ खास नहीं चला। दो-तीन दुकानें भी खोली थी। मैं दुबई और चेन्नई में बतौर अकाउंटेंट भी काम कर चुका हूं। अचानक एक दिन मैंने तय किया कि मैं अभिनेता बनूंगा, लेकिन बनता कैसे, मैं तो बहुत शर्मिला और अंतर्मुखी था। मुझे पता नहीं था कि कैसे इस स्वभाव को बदलूं। फिर मैंने अपने लिए एक नकली बायोडाटा बनाया कि मैं पांच साल तक मार्केटिंग में काम कर चुका हूं।
अगर आप मार्केटिंग में काम करेंगे, तो आपको रोज नए लोगों से मिलना होगा, क्योंकि आपको अपना प्रोडक्ट बेचना होता है। मुझे लगा कि इसके जरिए मैं अपने स्वभाव को बदल सकता हूं। उसके बाद मैंने सोचा एक्टिंग भी सीख लेते हैं। मैंने एक थिएटर ग्रुप में जाकर वहां एक्टिंग कोर्स के बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि हमें तो अकाउंटेंट चाहिए, तो मैंने वहा अकाउंटेंट के तौर पर काम कर लिया।
दो साल वहां काम करते-करते मैं कलाकारों को ध्यान से देखता था। मुझे लगा कि एक्टिंग देखकर सीख जाऊंगा। वह एक ट्रेनिंग कोर्स की तरह ही था। पहले मुझे लगता था कि एक्टिंग पैदाइशी प्रतिभा होती है, लेकिन वहां सीखा कि अगर आपको सही तरीके से प्रशिक्षित किया जाए, तो आप कलाकार बन सकते हैं। हालांकि अभिनय में आपकी सीमाएं क्या हैं, वह खुद पहचानना होता है, वह कोई नहीं सीखा सकता है।