Move to Jagran APP

निगेटिव भूमिकाओं में दिखीं दीपशिखा नागपाल का रुख अब पाजिटिव किरदारों की ओर

टीवी और डिजिटल प्लेटफार्म कलाकारों को प्रयोग करने के मौके दे रहा है। ज्यादातर निगेटिव भूमिकाओं में दिखीं दीपशिखा नागपाल का रुख अब पाजिटिव किरदारों की ओर है। स्टार भारत के शो ना उम्र की सीमा हो में वह मैच्योर किरदार में होंगी..

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sat, 30 Jul 2022 02:22 PM (IST)
Hero Image
अब मैं काम तभी करती हूं जब रोल अच्छा लगता है- दीपशिखा नागपाल
प्रियंका सिंह। भूमिकाओं के साथ प्रयोग करने के मौके मिल रहे हैं? हां, इतने सालों से काम कर रही हूं तो दर्शकों को कुछ नया देना ही होता है। मुझे तीन-चार शो आफर हुए थे, लेकिन ना उम्र की सीमा हो शो में अपना रोल पसंद आया। स्क्रीन पर मुझे देखकर दर्शकों को लगता है कि कुछ गड़बड़ करेंगी, लेकिन इस शो में ऐसा कुछ नहीं होगा। टाइपकास्ट न होना पहले के मुकाबले अब आसान हो गया है? ऐसा कह सकते हैं। जब पहला शो अजनबी आफर हुआ था तो दो विकल्प दिए गए थे कि एक सीधी सादी लड़की का, दूसरा जिसके जीवन में बहुत चुनौतियां हैं। मैंने दूसरी लड़की का रोल किया, वह टाइपकास्ट हो गया कि स्ट्रांग पर्सनालिटी है तो निगेटिव रोल अच्छा कर लेंगी। अब मैं काम तभी करती हूं जब रोल अच्छा लगता है।

इस शो के शीर्षक में कितना यकीन करती हैं? अक्सर उम्र के दायरे में महिलाओं को बांधा जाता है...

यह बात सच है कि अब भी लोग लड़के से बड़ी लड़की को अपना नहीं पाते हैं। लोग क्यों नहीं समझते कि प्यार हो जाता है। मैंने जब अपने से छोटी उम्र के लड़के से शादी की थी तो मुझे भी सुनना पड़ा था। वैसे उम्र सिर्फ एक नंबर है। जब इस तरह की बातें लोग करते हैं तो जरूरी है कि दोनों मजबूत रहें। एक कमजोर हो गया तो रिश्ता टूट जाएगा।

क्या अब बड़ी उम्र की अभिनेत्रियों को मिलने वाले किरदारों को लेकर बदलाव महसूस होता है?

हां, छोटे स्तर पर सही, लेकिन बदलाव है। नीना गुप्ता को कितने अच्छे किरदार मिल रहे हैं। मेरा मानना है कि उम्र से क्या लेना-देना, अगर आप किरदार में फिट हो रहे हैं।

ट्रोलर्स को जवाब देने का क्या तरीका है?

प्रतिक्रिया न देना सबसे बेस्ट तरीका है। पहले सबको सफाई देती रहती थी, लेकिन अब नहीं। मेरा दो बार तलाक हो चुका है। लोग कहते थे कि मुझमें ही कुछ कमी होगी, तभी ऐसा हुआ। मैंने अपना करियर, बच्चे खुद संभाले हैं। हम ग्लैमर इंडस्ट्री का हिस्सा हैं तो कई बार कीमत चुकानी पड़ती है।

मानसिक शांति बनाए रखने के लिए क्या करती हैं?

मैं मेडिटेशन, वर्कआउट करती हूं। अपना सारा गुस्सा जिम में वर्कआउट में निकालती हूं। पर्सनल लाइफ का असर प्रोफेशनल लाइफ पर बिल्कुल नहीं पड़ने देती हूं। आपकी दुख भरी कहानी सुनने में किसी को दिलचस्पी नहीं है। मैं किसी के सामने बेचारी नहीं बनती हूं। मैं यही कहना चाहती हूं कि जिंदगी में चाहे जो हो जाए आगे बढ़ना है। आपके दोनों बच्चे अब बड़े हो गए हैं।

खुद के लिए वक्त निकालना अब आसान हो गया है?

हां, (हंसते हुए) मुझे तो लगता है कि मैं फिर से सिंगल हो गई हूं। जब वे छोटे थे तो उनकी पढ़ाई-लिखाई, खाना-पीना सब देखना होता था। अब वे खुद व्यस्त हैं। हम तीनों दोस्त जैसे हैं। जीवन के इस हिस्से का मजा ले रही हूं। मैंने इस बात को अपना लिया है कि उन्हें मेरी जरूरत है, लेकिन हर जगह पर नहीं। मुझे घूमना और ट्रैकिंग करना पसंद है। मैं वे चीजें कर रही हूं। मेरी जवाबदेही सिर्फ अपने बच्चों के प्रति है।