Javed Akhtar: 'एनिमल' के बाद जावेद अख्तर के निशाने पर 'जब तक है जान', अनुष्का शर्मा के इस डायलॉग पर मचा विवाद
Javed Akhtar खूबसूरत शब्दों के साथ एक कहानी गढ़ने में मशहूर जावेद अख्तर की कलम से एक से बढ़कर एक कहानियां निकली हैं। उनकी राइटिंग स्टाइल बाकी राइटर्स से अलग है। हाल ही में उन्होंने एनिमल फिल्म के खिलाफ अपनी बात रखी थी। अब उनके निशाने पर यश चोपड़ा की जब तक है जान है। उन्होंने मूवी के एक डायलॉग पर आपत्ति जताई है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। दिग्गज लिरिसिस्ट और राइटर जावेद अख्तर (Javed Akhtar) अपने दिल की बात को जुबां पर लाने में संकोच नहीं करते। उन्होंने इंडियन ऑडियंस को कई तरह की बेस्ट और बेहतरीन कहानियां दी हैं। हाल ही में उन्होंने संदीप रेड्डी वांगा की 'एनिमल' के खिलाफ अपनी बात रखी थी। उन्होंने फिल्म की सक्सेस को खतरनाक बताया था। जावेद यहीं नहीं रुके। उनके निशाने पर अब शाह रुख खान की 'जब तक है जान' आई है।
'जब तक है जान' पर बोले जावेद अख्तर
आजकल की फिल्मों में महिला सशक्तिकरण को जिस तरह से दिखाया जा रहा है, जावेद अख्तर उससे खफा हैं। उन्होंने पहले 'एनिमल' मूवी में वुमन रिप्रेजेंटेशन को लेकर अपनी बात रखी और अब डायरेक्टर यश चोपड़ा की 'जब तक है जान' में एक डायलॉग को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि आजकल के फिल्ममेकर्स एक महिला की छवि को बनाने के लिए तरह-तरह के एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। लेकिन उन्हें पता नहीं कि असल में सशक्त महिला है कौन।
वुमन एम्पावरमेंट के कॉन्सेप्ट पर जताई नाराजगी
जावेद अख्तर ने 'जब तक है जान' का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इस फिल्म में अनुष्का शर्मा का डायलॉग है-शादी से पहले मैं पूरी दुनिया के अलग-अलग एक्सेंट वाले मर्दों के साथ सोऊंगी। जावेद ने इस पर कहा कि इतनी मेहनत करने की जरूरत क्या है। उन्हें इसमें ही मॉर्डन महिला दिख रही है। पता ही नहीं है कि सशक्त महिला कहते किसे हैं। इसलिए महिलाओं को अच्छे रोल नहीं मिल रहे।'राइटर और फिल्ममेकर को कंटेंट की समझ नहीं'
उन्होंने आगे कहा कि फिल्म में कोई कंटेंट ही नहीं है। राइटर और फिल्ममेकर को समझ नहीं आ रहा कि कंटेंट क्या है क्योंकि समाज ही इस बारे में क्लियर नहीं है। जिस तरह का कंटेंट लोगों को पसंद आता है, उस पर फिल्म नहीं बनाई जा सकती। जावेद अख्तर ने इस बात पर भी जोर दिया कि माधुरी दीक्षित और श्रीदेवी जैसी एक्ट्रेस को बड़ा रोल नहीं मिला। उन्हें कभी 'बंदिनी', 'सुजाता' जैसी फिल्में ऑफर नहीं की गईं।
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