फिल्म बनाने में ज्यादा दिमाग नहीं लगाते 'जब वी मेट' डायरेक्टर इम्तियाज अली, कहा- 'मैं दिल से मूवी बनाता हूं'
डायरेक्टर इम्तियाज अली जब वी मेट रॉक स्टार और तमाशा जैसी रोमाटिंक फिल्में बनाने के लिए जाते हैं। अब वो अमर सिंह चमकीला लेकर आ रहा है। यह फिल्म पंजाबी गायक अमर सिंह चमकीला की जिंदगी पर बनी है जिन्हें 27 साल की उम्र में गोली मार दी गई थी। इस बीच इम्तियाज अली ने थिएटर्स के बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म पर काम करने का अपना अनुभव शेयर किया है।
प्रियंका सिंह, मुंबई। निर्देशक और लेखक इम्तियाज अली ने अब डिजिटल प्लेटफार्म का रुख किया है। उनकी आगामी फिल्म अमर सिंह चमकीला 12 अप्रैल को नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी। यह फिल्म पंजाबी गायक अमर सिंह चमकीला की जिंदगी पर बनी है, जिन्हें 27 साल की उम्र में गोली मार दी गई थी। इम्तियाज से बातचीत के प्रमुख अंश...
डिजिटल प्लेटफार्म के लिए फिल्म बनाने का अनुभव कैसा रहा?
मैं बड़े पर्दे का ही निर्देशक हूं। कल्पनाओं में जो कहानियां होती हैं, वह बड़े पर्दे के लिए ही होती हैं। खुश हूं कि इस बार डिजिटल प्लेटफार्म के लिए फिल्म बनाई है। मुझे देखना था कि यह नई चीज (डिजिटल प्लेटफार्म) क्या है। मैं नई चीजों से परहेज नहीं करता हूं। किसी दूसरे की राय न लेकर खुद फिल्म बनाकर समझना चाहता था कि इस प्लेटफॉर्म की अच्छाइयां- बुराइयां क्या हैं। मैं नई तकनीकी के खिलाफ नहीं जाता हूं। वैसे भी डिजिटल प्लेटफॉर्म के लिए कई प्रोग्राम बना रहा हूं।
जब वी मेट 2 फिल्म बनाने की मांग आपसे होती आई है। उसको लेकर कोई योजना है ?
फिलहाल सोचा नहीं है। किसी अच्छी चीज को खराब करने का कोई मतलब नहीं है। कोई नई कहानी आएगी, जिसमें उस फिल्म को आगे बढ़ाने की बात होगी, तो देखेंगे। फिलहाल मैंने बड़े पर्दे के लिए एक नई कहानी लिखी है। एक नई दिशा में जाने की इच्छा है।संगीत और रोमांस आपकी फिल्मों का हिस्सा रहा है। अमर सिंह चमकीला फिल्म में दोनों को दिखाने का मौका मिला ?
हां, ऐसा होता है कि जो चीजें दिल के करीब होती हैं, वह किसी न किसी जरिये कहानी में आ जाती है। मैं जानकर नहीं करता हूं, लेकिन मैं कहानी की जरूरत के बारे में पहले सोचता हूं । चमकीला की कहानी बनाने के बारे में इसलिए सोचा, क्योंकि विपरीत चीजों के मिश्रण वाली कहानियां कमाल की बनती हैं। पंजाब में वह बात नजर आती है, जहां पर उत्सव का माहौल है, तो वहीं निराशा भी है। वहां का डांस और गाने प्रसिद्ध हैं, फुलकारी वाली कढ़ाई में रंग ही रंग होते हैं। वहीं इतिहास में अलेक्जेंडर से लेकर अब तक कोई न कोई हिंसा भी होती आई है। यह जो मिश्रण है, वह चमकीला की जिंदगी में भी नजर आया।फिल्म में कई दृश्य हूबहू वैसे ही हैं, जैसे चमकीला और उनकी पत्नी अमरजोत कौर स्टेज पर परफार्म करते थे। इतनी गहराई से रिसर्च कैसे की ?
उनके कई वीडियोज यू ट्यूब पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा कई लोगों से शादियों की रिकॉर्डिंग ली, जिनके दादा या नाना की शादी में चमकीला ने परफॉर्म किया था। उन लोगों से मिला था, जो चमकीला की जिंदगी में रह चुके हैं। जो कहानियां उन्होंने मुझे सुनाई, उसे उसी तरह से फिल्म में रखा है। चमकीला अपने शो में गाते थे, फिर बीच में कुछ बातें भी करते थे। इसलिए हमने स्टूडियो में गाना रिकॉर्ड करने की बजाय दिलजीत दोसांझ और परिणीति चोपड़ा से लाइव गवाया।