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Amitabh Bachchan की वो फिल्म, जिसके फ्लॉप होने के बाद कहने लगे थे लोग- बच्चन खल्लास हो गया!

अमिताभ बच्चन ने इंडस्ट्री में जितनी लम्बी पारी खेली है और खेल रहे हैं वो कम ही कलाकारों को नसीब होता है। कल्कि 2898 एडी में उन्हें अश्वत्थामा के रूप में एक्शन करते देख दर्शक हैरान हैं। दूसरी पारी में जिस तरह के किरदार निभाये हैं वो सिनेमा में एक अलग ही मुकाम रखता है मगर एक वक्त ऐसा भी था जब उन्हें खत्म मान लिया गया था।

By Manoj Vashisth Edited By: Manoj Vashisth Updated: Wed, 14 Aug 2024 01:30 PM (IST)
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गंगा जमना सरस्वती के दृश्य में अमिताभ बच्चन। फोटो- स्क्रीनशॉट
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। 1988 में अमिताभ बच्चन की फिल्म गंगा जमना सरस्वती रिलीज हुई थी। उस वक्त यह फिल्म मगरमच्छ वाले दृश्य के लिए बेहद चर्चित रही थी, जिसमें अमिताभ बच्चन अपने कंधे पर एक मगरमच्छ बांधकर विलेन बने अमरीश पुरी की हवेली पर पहुंचते हैं।

अस्सी के दौर में जवान हो रही पीढ़ी को याद होगा कि इस दृश्य को फिल्म के प्रमोशनल पोस्टर्स में भी खूब इस्तेमाल किया गया था। हिंदी सिनेमा के पर्दे पर यह एक सनसनीखेज दृश्य था। इससे पहले पोस्टरों पर हीरो को शेर या किसी दूसरे जानवर से लड़ते हुए तो दिखाया गया था, मगर कंधे पर मगरमच्छ को ले जाते हुए नहीं देखा गया था। 

मगर, क्या आप यकीन करेंगे कि ऐसे दिलचस्प दृश्यों के बावजूद गंगा जमना सरस्वती फ्लॉप रही थी और इस फिल्म की असफलता के साथ ही अमिताभ बच्चन के करियर को फिनिश यानी खत्म माना जाने लगा था। मैगजीनों में इस संबंध में कवर स्टोरी लिखी गईं कि सुपरस्टार अमिताभ के सामने अब क्या विकल्प बचे हैं। 

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फोटो- एक्स व स्क्रीनशॉट/YouTube

मीडिया में अमिताभ बच्चन के करियर पर लगा बैरियर

ऐसा ही एक पुराना मैगजीन कवर सोशल मीडिया साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर वायरल हो रहा है, जिसमें अमिताभ की हताशा से भरी तस्वीर के साथ लिखा गया है- FINISHED... With The Crash Of Ganga Jumnaa Saraswathi, Is It The End Of The Road For The Superstar? (गंगा जमना सरस्वती के क्रैश होने के बाद क्या सुपरस्टार के लिए रास्ता बंद हो गया है?)

द इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया के कवर का यह फोटो निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री के अलावा और भी एक्स यूजर्स ने शेयर किया है। विवेक ने इसके साथ लिखा-

मैगजीन और इसके संपादकों का करियर दशकों पहले खत्म हो चुका है, लेकिन अमिताभ बच्चन, 35 साल बाद भी, हर रोज दहाड़ रहे हैं। विवेक ने मैगजीन के टाइटल पर तंज कसते हुए आगे लिखा- सिर्फ इतना कहना है कि मीडिया के जरिए जितनी भी जानकारी हमें मिलती है, वो किसी के विचार हैं या उनकी व्यावसायिक मजबूरी। 

फोटो- एक्स 

राजनीति में 'कैमियो' के बाद सिनेमा में लौटे अमिताभ

23 दिसम्बर, 1988 को रिलीज हुई गंगा जमना सरस्वती उस दौर की फिल्म है, जब वो राजनीति में संक्षिप्त पारी खेलकर सिनेमा की दुनिया में वापसी के लिए जद्दोजहद कर रहे थे और खोई हुई जमीन को पाने में जुटे थे। शहंशाह के जरिए उनकी वापसी तो धमाकेदार रही, मगर उस जिस आसमान को छोड़कर वो सियासत की जमीन पर पैर जमाने गये थे, गंगा जमना सरस्वती की विफलता ने उसे और दूर कर दिया था। 

31 जनवरी 1989 के इंडिया टुडे के अंक में भी अमिताभ बच्चन के करियर को लेकर इस तरह की आशंकाएं जाहिर की गई थीं। अमिताभ बच्चन के करियर पर बैरियर लगने की चर्चा उस दौर में हर फिल्मप्रेमी कर रहा था। इसी लेख में बॉम्बे (मुंबई) के एक टैक्सी ड्राइवर सुलेमान अहमद के हवाले से लिखा गया था- अब बच्चन खलास हो गया।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, फिल्म ने पहले हफ्ते में शानदार कारोबार किया था, मगर दूसरे हफ्ते से बैठना शुरू हो गई। बॉम्बे टेरीटरी में फिल्म का ओपनिंग वीक का कलेक्शन 12.76 लाख रुपये था, लेकिन दूसरे हफ्ते में कलेक्शंस 28-40 फीसदी तक गिर गये। दिल्ली और पंजाब को छोड़कर फिल्म का बाकी हिस्सों में भी यही हाल रहा।

बढ़ रहा था नये सितारों की लोकप्रियता का ग्राफ

गंगा जमना सरस्वती का निर्देशन मनमोहन देसाई ने किया था, जिनके साथ अमिताभ बच्चन ने इंडस्ट्री की कुछ बड़ी हिट फिल्में दी थीं। फिल्म में मीनाक्षी शेषाद्रि फीमेल लीड रोल में थीं, जबकि मिथुन चक्रवर्ती और जया प्रदा ने सहयोगी भूमिकाएं निभाई थीं। अमरीश पुरी विलेन बने थे। संगीत अनु मलिक ने दिया था। फिल्म का टाइटल ट्रैक और 'साजन मेरा उस पार है...' गाने चर्चित रहे थे।

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इस फिल्म के बाद अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिकाओं में सक्रिय तो रहे, मगर सफल नहीं हो सके। उनकी कुछ फिल्मों को सफलता तो मिली, मगर उसमें उनके साथ नये जमाने का कोई सितारा था। तब तक अनिल कपूर, आमिर खान, सनी देओल चंकी पांडेय, गोविंदा, संजय दत्त ने बॉक्स ऑफिस जगह बनाना शुरू कर दिया था। सदी बदलने पर मोहब्बतें के साथ अमिताभ बच्चन के करियर की दिशा बदलनी शुरू हुई थी।