नाटक देखते-देखते डायरेक्टर को मिल गया था 'शोले' का गब्बर, 'अभिशप्त चंबल' पढ़कर अमजद खान बने खूंखार डाकू
Sholay के गब्बर को आखिर कौन भुला सका है। कितने आदमी थे? जो डर गया समझो मर गया जैसे डायलॉग्स से अमजद खान छा गये थे। उनके डायलॉग्स आज भी बच्चे-बच्चे की जुबां पर रहते हैं। मगर क्या आपको पता है कि आखिर अमजद खान कैसे शोले के गब्बर बने थे और उन्होंने अपने किरदार को निभाने के लिए क्या-क्या किया था। चलिए जानते हैं...
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। एक कलाकार को अमर बनाने के लिए एक किरदार ही काफी है। कई बार सिर्फ एक आइकॉनिक किरदार किसी कलाकार को फर्श से अर्श तक पहुंचा सकता है। कुछ ऐसा ही 'शोले' (Sholay) के गब्बर (Gabbar) के साथ भी हुआ। 'शोले' में गब्बर का किरदार दिग्गज अभिनेता अमजद खान (Amjad Khan) ने निभाया था।
12 नवंबर 1940 को मुंबई में जन्मे अमजद खान ने मात्र 11 साल की उम्र में ही अभिनय शुरू कर दिया था। उनके पिता जयंत भी अभिनेता थे। अमजद की पहली फिल्म थी 'नाजनीन'। इसके बाद उन्होंने 'अब दिल्ली दूर नहीं', 'हिंदुस्तान की कसम' और 'माया' जैसी फिल्मों में काम किया।
शोले से चमकी गब्बर की किस्मत
धीरे-धीरे अमजद खान अपने करियर को ट्रैक पर लाने की कोशिश कर रहे थे। तभी उनकी झोली में एक फिल्म आई, जिसने उन्हें सिनेमा का गब्बर बना दिया। यह फिल्म थी साल 1975 की ब्लॉकबस्टर 'शोले'। आइकॉनिक कैरेक्टर और धांसू डायलॉग्स के चलते आज भी अमजद को बच्चा-बच्चा गब्बर के नाम से जानता है। मगर क्या आप जानते हैं कि वह कैसे 'शोले' के गब्बर बने?यह भी पढ़ें- Sholay Throwback: 40 रीटेक के बाद Amjad Khan पूछ पाए 'कितने आदमी थे', गब्बर सिंह को क्यों सुनने मिले ताने
कैसे अमजद को मिली शोले?
कम लोग जानते हैं कि फिल्मों में आने से पहले अमजद खान एक थिएटर आर्टिस्ट थे। फिल्मों के साथ-साथ वह थिएटर में भी काम किया करते थे। एक रोज वह स्टेज पर परफॉर्म कर रहे थे, उसी दौरान अपने गब्बर की तलाश में रमेश सिप्पी अमजद का शो देखने पहुंच गये। अमजद खान के हाव-भाव देख रमेश सिप्पी इस कदर इंप्रेस हुए कि उन्होंने तुरंत उन्हें गब्बर के लुक में ढाल दिया और समझ गये कि वही 'शोले' के परफेक्ट गब्बर हैं।