Amrish Puri Death Anniversary: 'मिस्टर इंडिया' के बाद डरने के बजाय बच्चों को हो गया था 'मोगैम्बो' से प्यार
Amrish Puri Death Anniversary अमरीश पुरी हिंदी सिनेमा के उन कलाकारों में शामिल हैं जिन्होंने अपने अभिनय से कई पीढ़ियों को प्रभावित किया। मगर असल जिंदगी में वो अपने किरदारों से बिल्कुल उलट शख्सियत थे। इस विरोधाभास ने उनकी ऑनस्क्रीन इमेज को और निखारा।
नई दिल्ली, जेएनएन। हिंदी सिनेमा के अगर ऐसे कलाकारों की लिस्ट बनायी जाए, जिनके अभिनय ने रील और रियल का फर्क मिटा दिया तो अमरीश पुरी का नाम शुरुआत के कुछ पायदानों पर आएगा। फिल्मों में खलनायकी के लिए नफरत बटोरने वाले अमरीश वास्तविक जीवन में बिल्कुल अलग इंसान थे, जिसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है।
उनकी असली जिंदगी फिल्मी किरदारों से बिल्कुल अलग थी। उनकी पहचान एक पारिवारिक, अनुशासित, संगीत के शौकीन, सेहत के प्रति गंभीर शख्स के रूप में थी। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि फिल्मों में बुराइयों का पुतला नजर आने वाले अमरीश पुरी के फैन फॉलोइंग में बच्चों की तादाद भी काफी थी। मिस्टर इंडिया की सफलता के बाद वो बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हो गये थे। हिंदी सिनेमा के लीजेंड्री एक्टर की पुण्यतिथि पर खास यादें-
सबसे अधिक लोकप्रिय हुआ मोगैम्बो वाला पोस्टकार्ड
अमरीश पुरी के बेटे राजीव पुरी ने जागरण डॉट कॉम से बातचीत में कहा था कि रियल लाइफ में उन्हें बच्चों के बीच रहना पसंद था। मिस्टर इंडिया आने के बाद परिवार को लगा कि मोगैम्बो वाला किरदार निभाने की वजह से बच्चे उनसे डरने लगेंगे, मगर हुआ उल्टा। राजीव बताते हैं कि इस फिल्म के बाद उनके चाहने वालों में बच्चों की संख्या अधिक हो गयी थी। पार्टियों में बच्चे उन्हें घर लिया करते थे।
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Photo- Amrish Puri Family
पब्लिक प्लेस पर बच्चे उनसे मोगैम्बो खुश हुआ बोलने के लिए कहते थे। राजीव ने बताया कि फैंस की चिट्ठियों के जवाब देने के लिए एक अलग स्टाफ था, जो उनके फोटो वाली पोस्टकार्ड पर सिग्नेचर लेकर पोस्ट करता था। सबसे ज्यादा डिमांग मोगैम्बो वाले पोस्टकार्ड की सबसे अधिक डिमांड थी।
बांसुरी बजाने का बचपन से शौक, रोज करते थे रियाज
अमरीश पुरी का जन्म जालंधर में हुआ था। अभिनय की शौक उन्हें बचपन से ही था। अपने दौर के दिग्गज कलाकार और गायक केएल सहगल उनके कजिन थे। वहीं, बड़े भाई मदन पुरी जाने-माने चरित्र अभिनेता था। अमरीश पुरी ने बचपन से ही गीत-संगीत की गतिविधियों में बढ़चढ़कर भाग लिया था। उन्हें बांसुरी बजाने का शौक था और अभिनय की पारी शुरू होने के बाद भी यह जारी रहा। अपनी कई फिल्मों में सुरों की आजमाइश करते नजर आने वाले अमरीश निरंतर रियाज करते थे।
Photo- Amrish Puri Family
कई सालों तक थिएटर की साधना के साथ सत्तर के दौर में अमरीश पुरी ने फिल्मों में छोटे-छोटे किरदार निभाकर शुरुआत की थी। मगर, उनके अभिनय को सही पहचान श्याम बेनेगल की निशांत से मिली थी। उस वक्त उनकी उम्र तकरीबन 44 साल थी। इसके बाद कामयाबी का ऐसा सिलसिला शुरू हुआ, जो 400 फिल्मों के पार पहुंचा। उनका निधन 12 जनवरी 2005 को हुआ था। अंतिम समय तक अमरीश पुरी अभिनय में व्यस्त थे। आखिरी बार वो किसना- द वारियर पोइट में अभिनय करते हुए नजर आये थे।
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