12th Fail: Anurag Kashyap ने '12वीं फेल' को बताया बेस्ट फिल्म, IPS मनोज कुमार शर्मा से हुई मुलाकात को किया याद
Anurag Kashyap On 12th Fail इन दिनों विकांत मैसी और मेधा शंकर स्टारर फिल्म 12वीं फेल लगातार सुर्खियों में बनी हुई है। कई स्टार्स ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। अब अनुराग कश्यप ने भी सोशल मीडिया पर एक लंबा-चौड़ा नोट लिखते हुए फिल्म की तारीफ की है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि उन्हें इस फिल्म क्या अच्छा लगा।
By Rajshree VermaEdited By: Rajshree VermaUpdated: Fri, 12 Jan 2024 06:05 PM (IST)
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Anurag Kashyap On 12th Fail: विधु विनोद चोपड़ा के निर्देशन में बनी फिल्म '12वीं फेल' अपने रिलीज के बाद से ही चर्चा में बनी हुई है। हाल ही में, फिल्म को थिएटर के बाद ओटीटी पर रिलीज किया गया। कई बड़े-बड़े स्टार्स, निर्माताओं ने फिल्म देखने के बाद इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी। अब फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप ने भी इस मूवी को लेकर एक लंबा-चौड़ा नोट लिखा है।
इस नोट में अनुराग कश्यप ने आईपीएस ऑफिसर मनोज कुमार शर्मा से मुलाकात को याद किया और कहा कि वह उनकी कहानी की कल्पना करने में असमर्थ थे, जिसे फिल्म में दिखाया गया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि '12वीं फेल' में सबसे अच्छा क्या काम किया।
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बेस्ट मेनस्ट्रीम फिल्म '12वीं फेल'
अनुराग कश्यप ने अपने सोशल मीडिया हैंडल हैंडल पर फिल्म '12वीं फेल' का एक पोस्टर शेयर करते हुए नोट लिखा। अनुराग ने लिखा 'बेस्ट मुख्यधारा की फिल्म, जो मैंने 2023 में देखी है। विधु विनोद चोपड़ा ने 71 साल की उम्र में एक जिद्दी आदमी की सरल कहानी पर आधारित एक उत्कृष्ट कृति तैयार की है, जो जीवन उसे जो देता है उससे ज्यादा पाने की चाह रखता है।
वह जाता है और जो चाहता है, कैसे लेता है। फिल्म के बारे में जिस बात ने मुझे आश्चर्यचकित किया वह यह है कि कैसे उन्होंने मुख्यधारा की सभी परंपराओं को तोड़ दिया और इसके सीन को सरल लंबे शॉट्स में फिल्माया'।
इस चीज ने अनुराग को किया इम्प्रेस
इस नोट में अनुराग ने यह भी बताया कि उन्हें फिल्म और इसकी सिनेमैटोग्राफी में सबसे ज्यादा क्या पसंद आया। उन्होंने शेयर किया कि 'मुखर्जी नगर के भीड़ के सीन, जो ऐसा लगता है जैसे कैमरा माहौल को परेशान किए बिना कहानी को देखने के लिए हुआ था। ऐसा महसूस हुआ मानो हम दीवार पर उड़कर फिल्म को देख रहे हों।विरल पृष्ठभूमि स्कोर, कुछ ऐसा जो मुख्यधारा सिनेमा हमेशा दिखाता है। फिल्म निर्माता को खुद पर, अपने अभिनेताओं और अपनी कहानी कहने पर इतना विश्वास है कि वह दर्शकों या भावनाओं में हेरफेर करने के लिए बीजीएम का उपयोग नहीं करते हैं'।